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इन 7 साधुओं के पास है असल ज़िन्दगी में ‘सुपरपॉवर’, कारनामे देख कर उड़ जायेंगे होश

हम सभी को सुपरहीरोज़ की मूवी देखना पसंद होता है. उन्हें देख कर ऐसा लगता है कि काश हम भी वह कारनामे कर पाते जो सुपर हीरोज़ करते हैं. हम सभी ने एक बार तो ज़रूर सोचा होगा कि काश हमें भी वो शक्ति मिल जाती जो इन सुपर हीरोज़ के पास होती है. लेकिन यह केवल फिल्मों में ही होता है. आम आदमी के लिए सुपर हीरो जैसे काम करना संभव नहीं. लेकिन यदि हम आपको कहें कि इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनमें सुपरहीरो की तरह शक्तियां मौजूद होती है, तो क्या आप मानेंगे? शायद नहीं, पर कुछ लोग ऐसे हैं जिनके कारनामे किसी सुपर हीरो से कम नहीं. पर कौन हैं ये लोग? सुपर हीरो की तरह कमाल दिखाने वाले ये लोग कोई और नहीं बल्कि बौद्ध भिक्षुक होते हैं. कहते हैं कि बौद्ध भिक्षुओं का दिमाग आम आदमी की तुलना में बिल्कुल अलग तरीके से काम करता है. इन कामों को करने के लिए वह अपने दिमाग और शरीर को इस तरीके से ट्रेन कर लेते हैं जो कि एक आम इंसान के बस की बात नहीं. आज हम बात करेंगे कौन-कौन से अचंभित कर देने वाले काम कर सकते हैं ये बौद्ध भिक्षुक.

सुपर शक्ति

बहुत सारे लोग एक किलोमीटर भी दौड़ने के लिए दो या तीन स्टॉप लेते हैं. कुछ लोग तो पुशअप्स भी नहीं कर पाते. लेकिन ये भिक्षुक ये सारे काम बिन थके एक झटके में कर लेते हैं. वह अलग-अलग तरह के पुशअप्स करते हैं. कुछ पुशअप्स तो वह एक या दो उंगली पर भी कर लेते हैं.

दीवारों पर चलना

दीवार पर चलना एक असंभव कार्य है. लेकिन बौद्ध भिक्षुक दीवार पर चलने वाला काम बड़ी आसानी से कर लेते हैं. कई बार तो उन्होंने इस काम का प्रदर्शन भी किया है. चलने के अलावा वह दीवार पर दौड़ते हैं, वह भी कोई मेहनत किये बगैर.

किसी चीज़ का डर नहीं

इन बौद्ध भिक्षुओं की सबसे बड़ी क्वालिटी यह है कि ये लोग किसी भी चीज़ से डरते नहीं. जैसा कि आप इस फ़ोटो में देख रहे हैं कि कैसे एक बौद्ध भिक्षुक बिना डरे एक बड़े बर्तन में बैठा है जिसमें तेल है और नीचे से उसमें आग लगी है. कोई भी साधारण व्यक्ति यह करने की सोच भी नहीं सकता.

पानी पर चलना

क्या कोई व्यक्ति पानी पर चल सकता है? जवाब होगा नहीं. पर बौद्ध भिक्षुक ये कारनामा भी बखूबी निभाते हैं. फ़ोटो में पानी पर चल रहे इस बौद्ध भिक्षुक का नाम है शी लिलिआंग. लिलिआंग ने पानी पर तैरते हुए तख्ते के साथ करीब 125 मीटर का फ़ासला तय किया था.

बुलेट की तरह तेज़

किसी भी कार्य को करने के लिए आम व्यक्ति की स्पीड सामान्य होती है. परंतु ये बौद्ध भिक्षुक कोई भी कार्य बुलेट की स्पीड में कर देते हैं. आम व्यक्ति की तुलना में इन्हें बेहद कम समय लगता है. आखिर कोई इतना तेज़ कैसे हो सकता है?

बॉडी टेम्परेचर एडजस्ट

जैसे कि हम सभी जानते हैं बौद्ध भिक्षुक ठंडी जगहों पर रहते हैं. ठंडी जगहों पर रहने के बावजूद वह स्वेटर या जैकेट का इस्तेमाल नहीं करते. भले ही टेम्परेचर माइनस में क्यों न चला जाए! उन्होंने अपने दिमाग के ज़रिये बॉडी के तापमान को इस कदर एडजस्ट कर लिया है ताकि उन्हें ठंड महसूस न हो  सके. यह आम इंसान के बस की बात नहीं.

कम चयापचय यानी लो मेटाबोलिज्म 

बौद्ध भिक्षुक अपनी मेटाबोलिज्म की क्षमता को 60 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं. इसका मतलब यह है कि आम व्यक्ति की तुलना में बौद्ध भिक्षुओं को जीने के लिए ज़्यादा खाने और ऑक्सीजन की ज़रुरत नहीं पड़ती. वह कम में ही अपना जीवन निर्वाह कर लेते हैं.

 

 

 

 

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