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जानिये 70 साल पहले कितना महंगा था भारत, उस दौर में इन चीज़ों की कीमत थी बेहद सस्ती, जानकर उड़ जाएंगे होश

समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता. वह हर पल हर घड़ी बदलता रहता है और वक़्त के साथ ही उससे जुड़ी हर चीज़ बदल जाती है. लेकिन वो पुरानी यादें ही हैं जो हमें अपने बीते हुए कल का एहसास कराती है. आज दुनियाभर में महंगाई काफी बढ़ चुकी है. जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत को 15 अगस्त 1947 में आज़ादी मिली थी और आज भारत को आज़ाद हुए 70 साल से ज़्यादा समय बीत चुका है. आज हम जानने की कोशिश करेंगे कि 70 साल पहले 1947 के समय में हमारे भारत में कितनी महंगाई हुआ करती थी.

हवाई सफ़र

आपको जानकार हैरानी होगी कि आज से 70 साल पहले 1947 में मुंबई से अहमदाबाद का हवाई सफ़र केवल 18 रुपये में तय किया जाता था. आज के समय में किसी भी हवाई सफ़र के लिए आराम से हज़ारों रुपये खर्च हो जाते हैं.

चावल   

आज भारत में अच्छे क्वालिटी वाले चावल की कीमत 50 रुपये से शुरू होकर 150 रुपये तक की होती है. लेकिन 1947 में प्रति किलो चावल की कीमत मात्र 50 पैसे थी. मतलब कोई भी व्यक्ति केवल एक रुपये में 2 किलो चावल आसानी से खरीद सकता था.

चीनी और गेहूं

1947 के दौर में चीनी और गेहूं की कीमत भी बेहद कम हुआ करती थी. जहां चीनी प्रति किलो मात्र 50 पैसे में मिल जाती थी वहीं गेहूं 26 पैसे किलो में मिलता था. आज के टाइम में चीनी की कीमत 50 रुपये प्रति किलो है.

पेट्रोल

आज हम भारत में पेट्रोल की बात करें तो 73 रुपये में एक लीटर पेट्रोल हम खरीदते हैं. लेकिन आज से 70 साल पहले यही पेट्रोल 40 पैसे प्रति लीटर में मिल जाया करता था और केरोसिन का दाम 23 पैसे प्रति लीटर था.

फिल्म की टिकट

आज हम अगर फिल्म देखने जाते हैं तो आराम से दो लोगों की टिकट में 500 से लेकर 1000 तक रुपये खर्च हो जाते हैं. पर 1947 के दौर में एक रुपये में दो इंसान आसानी से फिल्म देख सकता था.

रेनकोट

हम सभी को पता है कि बारिश से बचने के लिए रेनकोट का इस्तेमाल किया जाता है. इस रेनकोट की कीमत आज के टाइम में 1000 रुपयों से लेकर 3000 तक होती है. पर उस दौर में इसी रेनकोट की कीमत केवल एक रुपये हुआ करती थी.

रेडियो

पहले के समय में टीवी नहीं हुआ करता था और ऐसे में रेडियो ही लोगों को जोड़ने का एकमात्र यंत्र था. इसलिए हर दो हज़ार लोगों के बीच में एक रेडियो होता था. उस समय एक रेडियो की कीमत 100 रुपये होती थी.

घोड़ागाड़ी की सवारी

1947 के समय में घोड़ागाड़ी हुआ करती थी जिसे ‘विक्टोरिया’ के नाम से जाना जाता था. विक्टोरिया की सवारी करने के लिए एक मील यानी 1.6km पर एक आना लिया जाता था. एक घोड़ागाड़ी में 8 लोग एक साथ सवारी कर सकते थे.

कॉल की कीमत

उस समय मोबाइल फ़ोन नहीं हुआ करते थे और ऐसे में टेलीफोन ही एकमात्र कम्युनिकेशन का साधन था. इसलिए 1947 में हज़ार लोगों पर एक टेलीफोन होता था और एक कॉल की कीमत 1 पैसा प्रति मिनट हुआ करती थी.

यह आंकड़े देख कर हम कह सकते हैं कि आज के हिसाब से उस समय की महंगाई कुछ भी नहीं थी और उस समय जीवन जीने की चीज़ें बहुत ही सस्ती हुआ करती थीं.

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