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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण, इन लक्षणों से शुरूआती दौर में पहचाने ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को

स्तन कैंसर महिलाओं में एक गंभीर और तेजी से बढ़ती बीमारी है और दुनियाभर में इसके सबसे ज्‍यादा मामले सामने आ रहे हैं.. भारत में इसके रोगियों की संख्‍या दूसरे नंबर पर हैं। इससे बचने के लिए स्तन कैंसर के लक्षणों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है, ताकि समय रहते इसका इलाज हो सके। स्तन कैंसर की पहचान में देरी होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। कई बार ऐसा होता है कि जानकारी का अभाव और शर्म की वजह से महिलाये रोग के घातक होने पर इलाज के लिए पहुंचती हैं। आज हम आपको स्तन कैंसर के उन शुरूआती लक्षणों के बारे में बता रहे हैं जिनसे खुद महिलाएं आसानी से पता लगा सकती हैं। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण (Breast cancer symptoms and treatment in hindi)

स्तनों के आकार में परिवर्तन

Breast cancer symptoms in hindi

ब्रेस्ट कैंसर का सबसे बड़ा लक्षण स्तनों में बदलाव होता है। यदि एक स्तन का आकार दुसरे के मुकाबले अचानक से बड़ा हो रहा हो तब यह स्तन कैंसर का संकेत हो सकता है। क्योंकि, सामान्यतः दोनों ही स्तन एक दूसरे की तुलना में छोटे-बड़े होते हैं, लेकिन जब स्तन का आकार सामान्य रूप से विभिन्न आकारों में परिवर्तित हो, तब यह स्तन कैंसर का लक्षण हो सकता है।

गांठ होना

सामान्यतः यह लक्षण सबसे पहले उभर का सामने आता है। इस रोग में स्‍तन के अंदर गांठ जैसी बन जाती है, जो कि थोडे़ समय बाद साफ दिखाई देने लगती है। इसे आप अपने शरीर को देखने और छूने पर महसूस कर सकती हैं। डॉक्‍टरी परामर्श और जांच के बाद यह पता लगाया जा सकता है कि वह गांठ कितनी पुरानी और कितनी बड़ी है। जांच के बाद यदि ब्रेस्‍ट कैंसर की पुष्टि हो जाती है तो इसका तुरंत इलाज कराना चाहिए।

सूजन का होना

ब्रैस्ट या अंडरआर्म में सूजन आना भी स्तन कैंसर का एक संकेत हो सकता है।यदि आपको बुखार के साथ-साथ सूजन, लाल या बैंगनी रंग जैसे दिखाई दे रहें हों तब यह ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में, जितना जल्द हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के प्रकार – Types of Breast Cancer

ब्रेस्ट कैंसर के कई प्रकार होते हैं। आपको किस प्रकार का कैंसर है इससे यह निर्धारित किया जाता है कि उपचार किस तरह से किया जायेगा। सबसे आम प्रकार के स्तन कैंसर निम्न हैं:

डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (Ductal Carcinoma In Situ, DCIS): यह कैंसर का एक नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive – जब कैंसर कोशिकाएं आसपास की कोशिकाओं या ऊतकों तक नहीं फैलती) अग्रगामी (Precursor; एक स्टेज या पदार्थ जिसमें से दूसरे का गठन होता है) है। अगर आपको DCIS है तो स्तन को लाइन करने वाले डक्ट्स बदल जाते हैं और कैंसरग्रस्त लगने लगते हैं। हालांकि लेकिन कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की तरह ये स्तन ऊतक तक नहीं पहुंचे हैं।

लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू (Lobular Carcinoma In Situ, LCIS): यह वो कैंसर है जो दूध बनाने बाली ग्रंथियों में विकसित होता है हालांकि यह अभी आसपास के ऊतकों तक नहीं फैला है।

इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (Invasive Ductal Carcinoma, IDC): यह सबसे आम प्रकार का स्तन कैंसर है। यह स्तन की दूध नलिकाओं (Milk Ducts) में उत्पन्न होकर आसपास के स्तन ऊतकों पर आक्रमण करता है। एक बार जब कैंसर दूध नलिकाओं से बाहर फ़ैल जाता है, फिर ये आसपास के ऊतकों और अंगों तक भी फ़ैल सकता है।

इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा (Invasive Lobular Carcinoma, ILC): यह पहले स्तन के लोब्यूल्स या दूध बनाने वाली ग्रंथियों में बनता है। अगर कैंसर का निदान ILC के रूप में हुआ है, तो इसका अर्थ ये है कि कैंसर अबतक आसपास के ऊतकों और अंगों तक फ़ैल चुका है।

अन्य प्रकार के स्तन कैंसर इतने आम नहीं हैं:

इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर (Inflammatory Breast Cancer): इसमें कोशिकाएं लिम्फ नोड्स को अवरुद्ध कर देती हैं जिससे स्तन पूरी तरह स्त्रावित नहीं हो पाते। हालांकि, ट्यूमर बनाने के बजाय, IBC के कारण स्तन में सूजन हो जाती है, वे लाल लगने हैं और गरम महसूस हो सकते हैं। कैंसरग्रस्त स्तन छिला हुआ और मोटा लग सकता है, संतरे के छिलके के समान। यह प्रकार स्तन कैंसरों का सिर्फ एक प्रतिशत ही है।

ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (Triple-Negative Breast Cancer): इस प्रकार के कैंसर का निदान होने के लिए ज़रूरी है कि ट्यूमर में निम्नलिखित तीनों लक्षण हों:

  1. उसमें एस्ट्रोजन रिसेप्टर (Estrogen Receptors) न हों।
  2. उसमें प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर (Progesterone Receptors) न हों।
  3. उसकी सतह पर अतिरिक्त HER2 प्रोटीन (HER2 प्रोटीन स्तन कैंसर के विकास को बढ़ाता है) नहीं होने चाहिए।

अगर ट्यूमर तीनों लक्षण दिखता है, तो उसे ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर ज़्यादा जल्दी फैलता और बढ़ता है। इस प्रकार के कैंसर का उपचार करना भी बहुत कठिन होता है।

निप्पल का पेजेट रोग (Paget Disease Of The Nipple): इस प्रकार का स्तन कैंसर ब्रेस्ट डक्ट्स में उत्पन्न होता है, लेकिन जैसे जैसे ये बढ़ता है, यह निप्पल की त्वचा और एरिओला को प्रभावित करता है। पेजेट रोग स्तन कैंसर के अन्य प्रकारों, जैसे DCIS या IDC के साथ भी हो सकता है।

फिलोड्स ट्यूमर (Phyllodes Tumor): यह एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो स्तन के कनेक्टिव ऊतकों में होता है।

वाहिकासार्कोमा (Angiosarcoma): जो कैंसर स्तन की रक्त वाहिकाओं या लिम्फ वाहिकाओं में होता है उसे वाहिकासार्कोमा कहते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के चरण – Stages of Breast Cancer in Hindi

स्तन कैंसर की गंभीरता के मुताबिक उसे स्टेजिज़ में बांटा जा सकता है। स्तन कैंसर के स्टेज का पता लगाने के लिए डॉक्टर को निम्न जानकारी होनी चाहिए:

  1. कैंसर इनवेसिव (Invasive – जब कैंसर कोशिकाएं आसपास की कोशिकाओं या ऊतकों तक फ़ैल जाती हैं) है या नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive – जब कैंसर कोशिकाएं आसपास की कोशिकाओं या ऊतकों तक नहीं फैलती)
  2. ट्यूमर कितना बड़ा है
  3. लिम्फ नोड्स शामिल हैं या नहीं
  4. कैंसर अन्य किसी अंग तक फैला है या नहीं

स्तन कैंसर(breast cancer) के पांच मुख्य स्टेज होते हैं:

स्टेज 0 (Stage 0): स्तन कैंसर डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (Ductal Carcinoma In Situ, DCIS) है। यह एक प्रकार की कैंसर से पूर्व होने वाली उत्पत्ति है। DCIS में कैंसर कोशिकायें स्तन के डक्ट्स में रहती हैं और आपस के ऊतकों तक नहीं पहुंची होतीं।

स्टेज 1 (Stage 1): स्टेज 1 ट्यूमर्स का आकार 2 सेंटीमीटर (cm) से बड़ा नहीं होता। इस स्टेज के कैंसर में लिम्फ नोड्स प्रभावित नहीं होते।

स्टेज 2 (Stage 2): इस स्टेज के स्तन कैंसर दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार में, ट्यूमर का आकार 2 cm से बड़ा नहीं होता लेकिन कैंसर लिम्फ नोड्स तक फ़ैल जाता है। दुसरे प्रकार में, ट्यूमर का आकार 2 से 5 cm के बीच होता है लेकिन कैंसर लिम्फ नोड्स या आसपास के ऊतकों तक नहीं फैला होता।

स्टेज 3 (Stage 3): इस स्टेज में कई प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। पहले में ट्यूमर का आकार 5 cm से बड़ा नहीं होता लेकिन यह कैंसर आसपास के ऊतकों या लिम्फ नोड्स तक फ़ैल चुका होता है। ऐसा भी हो सकता है कि कैंसर छाती या त्वचा तक फैला हो लेकिन लिम्फ नोड्स तक नहीं। अन्य प्रकार में ट्यूमर किसी भी आकर का हो सकता है और लिम्फ नोड्स तक फ़ैल सकता है (भले ही वे दूर हों)।

स्टेज 4 (Stage 4): इस स्टेज में ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है और, ट्यूमर पास और दूर दोनों तरह के लिम्फ नोड्स तक फ़ैल चुका है।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के लक्षण – Breast Cancer Symptoms in Hindi

आम तौर पर, शुरूआती स्टेज पर स्तन कैंसर( Breast Cancer Symptoms) के कोई लक्षण नहीं पाए जाते। ट्यूमर का आकार छोटा हो सकता है (जो महसूस न हो पाए), हालांकि कोई भी असामान्यता मैमोग्राम (Mammogram) में देखी का सकती है। ट्यूमर होने का पहला संकेत अक्सर स्तन पर होने वाली गांठ या लम्प (Lump) ही होता है जो पहले वहाँ नहीं था। हालांकि हर गाँठ कैंसर हो ये ज़रूरी नहीं, इसलिए गाँठ महसूस होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

स्तन कैंसर में निम्न लक्षण पाए जा सकते हैं(Breast cancer symptoms):

  1. गाँठ या ऊतकों का मोटा होना महसूस होना (जो अभी-अभी बना हो)
  2. पूरे स्तन पर त्वच पर गुठलियाँ बनना या त्वचा का लाल होना
  3. पूरे स्तन या स्तन के कुछ हिस्से में सूजन
  4. निप्पल्स से स्तन के दूध के अलावा किसी और द्रव का स्त्राव
  5. निप्पल्स से खून निकलना
  6. निप्पल्स या स्तन की त्वचा का छीलना
  7. स्तन के आकार में अचानक और अस्पष्टीकृत परिवर्तन होना
  8. स्तन की त्वचा में परिवर्तन
  9. बांह में सूजन या गाँठ बनना
  10. इनवर्टेड निप्पल्स (Inverted Nipples- निप्पल्स का बाहर की तरफ न होकर अंदर की तरफ होना)

इनमें से कोई लक्षण होने का अर्थ यह नहीं है कि आपको स्तन कैंसर ही है। कोई भी लक्षण पाए जाने पर अपने डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के कारण – Breast Cancer Causes in Hindi

विशेषज्ञ निश्चित रूप से स्तन कैंसर के कारण का पता नहीं लगा पाए हैं। निम्नलिखित कारण स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

उम्र बढ़ना या वृद्ध होना (Getting Older)

महिला की उम्र बढ़ने से स्तन कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ता है। महिलाओं में पाए जाने वाला स्तन कैंसर 80% से ज़्यादा स्थितियों में 50 से ज़्यादा उम्र की महिलाओं में होता है (मेनोपॉज़ के बाद)।

जेनेटिक्स (Genetics; आनुवंशिक विज्ञान)

अगर महिला के किसी करीबी रिश्तेदार को स्तन कैंसर या अण्डाशयी कैंसर है या हो चुका है, तो ऐसी महिलाओं में स्तन कैंसर होने का खतरा ज़्यादा होता है। अगर परिवार के दो सदस्यों को स्तन कैंसर हो जाता है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके जीन्स सामान थे जिस वजह से उनको यह कैंसर हुआ हो क्योंकि स्तन कैंसर एक आम कैंसर है। ज़्यादातर स्तन कैंसर आनुवंशिक नहीं होते।

जिन महिलाओं में BRCA1 और BRCA2 जीन्स होते हैं उनमें स्तन कैंसर या/ और अण्डाशयी कैंसरहोने का खतरा अधिक होता है। ये जीन्स वंशागत हो सकते हैं। TP53 अन्य जीन है जिससे स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

वक़्त से पहले मासिक धर्म (Early Menstrual Period)

जिन महिलाओं में 12 की उम्र से पहले मासिक धर्म शुरू हो जाते हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है।

पहले कभी स्तन कैंसर हो चुका हो (History Of Breast Cancer)

जिन महिलाओं को पहले स्तन कैंसर हो चुका हो, भले ही वह नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive- अन्य कोशिकाओं या ऊतकों तक न फैलने वाला), उनमें स्तन कैंसर होने का जोखिम अन्य महिलाओं की तुलना में ज़्यादा होता है।

स्तन पर गाँठ होना (Having Had Certain Types Of Breast Lumps)

जिन महिलाओं के स्तन पर कैंसररहित गांठें रह चुकी हों, उनमें कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।

स्तन में मौजूद सघन ऊतक (Dense Breast Tissue)

जिन महिलओं के स्तन ऊतक ज़्यादा सघन होते हैं उनमें स्तन कैंसर होने का जोखिम ज़्यादा होता है।

देरी से गर्भवती होना या गर्भवती न होना (Late or No Pregnancy)

30 साल की उम्र के बाद पहला गर्भधारण करने या गर्भधारण न करने से भी स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।

देरी से मेनोपॉज़ (Late Menopause)

55 की उम्र के बाद मेनोपॉज़ होने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय न होना (Not Being Physically Active)

जो महिलाएं ज़्यादा शारीरिक गतिविधियां नहीं करतीं उनमें स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापा (Being Overweight)

मोटापा कई बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है। जिन महिलाओं का वज़न ज़्यादा है उनमें स्तन कैंसर होने की सम्भावना ज़्यादा होती है।

कॉम्बिनेशन हॉरमोन थेरेपी का प्रयोग (Using Combination Hormone Therapy)

पांच साल से ज़्यादा समय तक मेनोपॉज़ में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) का स्थान लेने के लिए होर्मोनेस की दवाएं लेने से भी स्तन कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

गर्भ-निरोधक दवाएं लेने से (Taking Birth Control Pills)

कुछ गर्भ-निरोधक दवाएं स्तन कैंसर होने का खतरा बढाती हैं।

मदिरा और धूम्रपान का सेवन (Alcohol Consumption And Smoking)

ऐसा पाया गया है कि मदिरा और धूम्रपान का अत्यधिक सेवन स्तन कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ता है।

कुछ विशिष्ट नौकरियां (Certain Jobs)

महिलाएं जो ऐसी नौकरियां करतीं हैं जिनमें कार्सिनोजेन्स (Carcinogens) और अंत: स्रावी (Endocrine) डिसरप्टर्स (Disruptors) में ज़्यादा संपर्क में आने की सम्भावना है, उन महिलाओं में अन्य महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर का खतरा अधिक हो जाता है:

  1. कृषि सम्बन्धी नौकरियां (Agricultural Jobs) – लगभग 35% अधिक जोखिम
  2. बार या कैसीनो में काम (Jobs in Bars or Casino) – दुगने से ज्यादा जोखिम
  3. ऑटोमोटिव प्लास्टिक विनिर्माण नौकरी (Automotive Plastics Manufacturing Jobs) – तीन गुना से जोखिम
  4. खाने की कैनिंग सम्बन्धी नौकरियां (Food Canning Jobs) – दुगने से ज्यादा जोखिम
  5. धातु सम्बन्धी काम (Metalworking Jobs) – लगभग 75% अधिक जोखिम

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) से बचाव – Prevention of Breast Cancer in Hindi

  1. लाइफ स्टाइल में कुछ बदलावों से महिलाओं में स्तन कैंसर के होने के जोखिम से बचा जा सकता है।
  2. मदिरा एवं धूम्रपान का सेवन: जो महिलाएं नियमित रूप से ज़्यादा मात्रा में मदिरा या धूम्रपान का सेवन करती हैं, उनमें स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
  3. शारीरिक व्यायाम: जो महिलाएं हफ्ते में पांच दिन नियमित तौर पर व्यायाम करती हैं, उनमें स्तन कैंसर होने का खतरा कम होता है।
  4. डाइट (आहार): विशेषज्ञों का मानना है कि संतुलित और स्वस्थ आहार का सेवन करने से महिलाओं में स्तन कैंसर के जोखिम को टाला जा सकता है।
  5. मेनोपॉज़ (Menopause) के बाद हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy): हॉर्मोन थेरेपी स्तन कैंसर होने के खतरे को कम करता है। मरीज़ को यह करवाने से पहले इसके फायदे और नुकसानों के बारे में चिकित्सक से परामर्श कर लेना चाहिए।
  6. शरीर का वजन: शरीर का वज़न ज़्यादा होने से भी स्तन कैंसर होने का खतरा रहता है। स्वस्थ शारीरिक वजन बनाये रखने से इस खतरे से बचा जा सकता है।
  7. स्तनपान: जो महिलाएं स्तनपान करवा रही होती हैं उनमें अन्य महिलाओं के मुकाबले स्तन कैंसर होने का खतरा कम रहता है।

जिन महिलाओं में स्तन कैंसर होने का ज़्यादा खतरा रहता है उनको डॉक्टर द्वारा एस्ट्रोजन (Estrogen) अवरुद्ध करने की दवाएं जैसे Tamoxifen और Raloxifene निर्धारित की जा सकती हैं। Tamoxifen से गर्भाशयी कैंसर (Uterine Cancer) का खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं में ज़्यादा जोखिम होता है उनमें सर्जरी का विकल्प चुना जा सकता है। मरीज़ों को चिकत्सक से इस बारे में बात करनी चाहिए कि स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग के परिक्षण और जांच कब शुरू करने चाहिए।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का परीक्षण – Diagnosis of Breast Cancer in Hindi

यह निर्धारित करने के लिए कि लक्षण स्तन कैंसर की वजह से हैं या स्तन की किसी अन्य परेशानी की वजह से हैं, डॉक्टर एक संपूर्ण शारीरिक जांच और अन्य कुछ टेस्ट्स करेंगे। निम्न टेस्ट्स की मदद से स्तन कैंसर का निदान किया जा सकता है:

  1. ब्रेस्ट एग्जाम (Breast Exam): डॉक्टर दोनों स्तन के असामान्य भागों की जांच करने के लिए एक संपूर्ण ब्रेस्ट एग्जाम करते हैं। डॉक्टर शरीर के अन्य अंगों की भी जांच कर सकते हैं जिससे ये पता लगाया जा सके कि लक्षण शरीर की किसी अन्य समस्या की वजह से तो नहीं हैं।
  2. मैमोग्राम (Mammogram): स्तन की सतह के नीचे देखने का सबसे अच्छा तरीका है मैमोग्राम नामक इमेजिंग टेस्ट। कई महिलाएं वार्षिक मैमोग्राम्स करवाती हैं जिससे जांच की जा सके कि उन्हें स्तन कैंसर तो नहीं है। अगर डॉक्टर को संदेह है कि आपको ट्यूमर या अन्य संदिग्ध परेशानी है, तो भी डॉक्टर मैमोग्राम करने के लिए कह सकते हैं। अगर मैमोग्राम में कोई असामान्यता पायी गयी हो तो, डॉक्टर अन्य टेस्ट्स करवाने के लिए भी कह सकते हैं।
  3. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): स्तन अल्ट्रासाउंड से स्तन ऊतकों की एक तस्वीर बन जाती है। अल्ट्रासाउंड में ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है। अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर को ट्यूमर या सिस्ट में अंतर करने में मदद मिलेगी।
  4. बायोप्सी (Biopsy): अगर मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड से कोई परिणाम न पाया गया हो, तो डॉक्टर संदिग्ध भाग का एक सैंपल लेकर उसका टेस्ट कर सकते हैं। सैंपल की मदद से कैंसर का पता लगाया जा सकेगा।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का इलाज – Breast Cancer Treatment in Hindi

कैंसर का उपचार किस पद्धति का प्रयोग करके किया जायेगा यह इस पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है, कैंसर कितना फैला है और ट्यूमर का आकार कितना बड़ा है। यह सब पता चल जाने के बाद आप अपने डॉक्टर के साथ उपचार के विकल्पों के बारे में चर्चा कर सकते हैं। उपचार का सबसे आम तरीका है स्तन कैंसर की सर्जरी। सर्जरी के अतिरिक्त, कीमोथेरेपी (Chemotherapy), विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy) या हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy) जैसे उपचार के तरीकों को भी अपनाया जा सकता है।

सर्जरी (Surgery)

स्तन कैंसर को हटाने के लिए कई प्रकार की सर्जरी की जाती हैं:

लम्पेक्टॉमी (Lumpectomy): इस प्रक्रिया द्वारा संदिग्ध या कैंसरग्रस्त भाग को निकाल दिया जाता है और आसपास के ऊतकों को उनकी जगह पर ही रहने दिया जाता है।

मास्टेक्टॉमी (Mastectomy): इस प्रक्रिया द्वारा सर्जन पूरा स्तन निकाल देते हैं। डबल मास्टेक्टॉमी (Double Mastectomy) में दोनों स्तन निकाले जाते हैं।

सेंटिनल नोड बायोप्सी (Sentinel Node Biopsy): इस सर्जरी द्वारा कुछ लिम्फ नोड्स (जिनमें ट्यूमर से स्त्राव हो रहा हो) को निकाला जाता है। लिम्फ नोड्स की जांच की जाएगी और अगर वे कैंसरग्रस्त नहीं हैं तो ऐसा हो सकता है कि आपको लिम्फ हटाने के लिए अतिरिक्त सर्जरी की ज़रुरत न पड़े।

कांख-संबंधी लिम्फ नोड विच्छेदन (Axillary Lymph Node Dissection): अगर सेंटिनल नोड बायोप्सी टेस्ट के परिणाम पॉज़िटिव आये तो, इस प्रक्रिया को करने की आवश्यकता हो सकती है।

कॉन्ट्रालेटरल रोगनिरोधी मास्टेक्टॉमी (Contralateral Prophylactic Mastectomy): भले ही स्तन कैंसर सिर्फ एक स्तन में हो, लेकिन कुछ महिलाएं कॉन्ट्रालेटरल रोगनिरोधी मास्टेक्टॉमी करवाने का निर्णय भी लेती हैं। इस सर्जरी में स्वस्थ स्तन को निकाल दिया जाता है जिससे फिर से स्तन कैंसर होने का खतरा टाला जा सकता है।

विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)

कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक्स-रे (X-Rays) की उच्च स्तरीय किरणों का प्रयोग किया जा सकता है। ज़्यादातर विकिरण उपचार में शरीर के बाहर एक बड़ी मशीन का प्रयोग किया जाता है (External Beam Radiation)।

कैंसर के उपचार के तरीकों में प्रगति की वजह से शरीर के अंदर कैंसर को विकीर्ण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy) कहा जाता है। इस प्रक्रिया को करने के लिए सर्जन रेडियो-एक्टिव सीड्स या पेलेट्स को शरीर के अंदर ट्यूमर के पास रखते हैं।

कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

कीमोथेरेपी एक दवा है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकती है। कुछ मरीज़ सिर्फ कीमोथेरेपी ही करवाते हैं लेकिन इस प्रक्रिया का प्रयोग अक्सर उपचार के अन्य विकल्पों, खासकर सर्जरी, के साथ किया जाता है।

कुछ स्थितियों में, सेक्टर सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी करना उचित समझते हैं। इसका उद्देश्य यह होता है कि ट्यूमर को सिकोड़ा जा सके और सर्जरी ज़्यादा चीरकर या काटकर न करनी पड़े। कीमोथेरेपी के कई दुष्प्रभाव भी होते हैं जिनके बारे में मरीज़ को उपचार शुरू होने से पहले से पता होना चाहिए।

हॉर्मोन थेरेपी (Hormone Therapy)

अगर स्तन कैंसर पर आपके हॉर्मोन्स का असर पड़ता हो, तो डॉक्टर हॉर्मोन्स को अवरुद्ध करने के लिए एक चिकित्सा शुरू कर सकते हैं जिससे कैंसर के विकास को रोकने का प्रयास किया जाता है। एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) महिलाओं में पाए जाने वाले दो ऐसे हॉर्मोन्स हैं जो स्तन कैंसर के ट्यूमर के विकास को बढ़ाते हैं। इन हॉर्मोस के उत्पादन को कम करने या रोकने की दवाएं लेने से कैंसर के विकास को कम किया जा सकता है।

दवाएं (Medications)

कुछ दवाओं से विशिष्ट असामन्यताओं और कैंसर कोशिकाओं के म्यूटेशंस पर हमला किया जा सकता है। जैसे, “Herceptin (Trastuzumab) से HER2 प्रोटीन के उत्पाद अवरुद्ध किया जा सकता है। HER2 कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने में मदद करता है, इसलिए इस प्रोटीन को बनने से रोकने से कैंसर के विकास को रोका जा सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के जोखिम और जटिलताएं – Breast Cancer Risks & Complications in Hindi

ब्रेस्ट कैंसर से होने वाली अन्य बीमारियां –

मानसिक जोखिम निम्न हैं:

  1. भय, अनिद्रा, कामेच्छा में कमी, गहन उपचार से होने वाले शारीरिक परिवर्तन के कारण  अवसाद अतिरिक्त शारीरिक समस्याएं निम्नलिखित हैं:
  2. फेफड़े के ऊतकों में सूजन
  3. हृदय में क्षति
  4. कैंसर कोशिकाओं के अपने स्थान से निकलकर किसी और अंग में प्रवेश करके कैंसर बना देना

कीमोथेरेपी से भी कुछ जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है:

  1. कीमोथेरेपी करवाने के बाद 7-14 दिनों तक रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे संक्रमण हो सकते हैं।
  2. बाल झड़ना
  3. मतली और उलटी
  4. कब्ज या दस्त
  5. दांतों या मुँह की समस्याएं जैसे मसूड़ों में दर्द, मुँह का अलसर आदि।
  6. रूखी त्वचा और नाखूनों का टूटना
  7. लगातार थकान मेहसूस होना
  8. प्रजनन क्षमता में कमी
  9. समयपूर्व मेनोपॉज़
  10. मेनोपॉज़ होने के लक्षण जैसे हॉट फ्लैशेस (Hot Flashes; चेहरे, गर्दन, कान और धड़ में गर्माहट महसूस होना), योन सम्बन्धी लक्षण, आदि।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) में परहेज़ – What to avoid during Breast Cancer in Hindi?

ब्रेस्ट कैंसर(breast cancer) का निदान होने पर निम्न बातों का ध्यान दें:

  1. कम से कम जंक फ़ूड खाएं।
  2. मदिरा का सेवन न करें
  3. धूम्रपान न करें।
  4. आलसी न बनें और हलके-फुल्के व्यायाम करें जिससे कैंसर की पुनरावृत्ती होने की संभावना कम हो जाये।
  5. चिंता न करें और नकारात्मकता से दूर रहें।

ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) में क्या खाना चाहिए? – What to eat during Breast Cancer in Hindi?

  1. पूरे दिन में बार-बार थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। इससे उपचार से होने वाले दुष्प्रभाव जैसे मतली से बचा जा सकेगा।
  2. प्रोटीन संयुक्त आहार का सेवन करें -चिकन, मछली अंडे, बीन्स, सोया-युक्त खाद्य पदार्थ, वसा-रहित डेरी प्रोडक् जैसे दही आदि। इनसे कोशिकाओं की मरम्मत होने में सहायता मिलेगी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होगी।
  3. साबुत अनाज से बने खाद्य पदार्थों (Whole Grain Foods) का सेवन करें – दलिया/ ओटमील (Oatmeal), भूरा चावल (Brown Rice), साबुत गेहूं से बनी ब्रेड (Whole Wheat Breads), साबुत अनाज से बना पास्ता (Whole Grain Pastas)। इनसे कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर मिलता है जो शरीर में ऊर्जा का दर बनाये रखने में मदद करते हैं।
  4. फल. और सब्जियों का सेवन करें। इनसे एंटी-ऑक्सीडेंट मिलते हैं।
  5. स्वस्थ वसा के स्त्रोत का सेवन करें – ऑलिव ऑइल, एवोकैडो (Avocados), मेवे (Nuts) आदि।
  6. मीठा जितना हो सके उतना कम खाएं।
  7. पानी पीते रहें। कोशिश करें कि दिन में कम से कम 2 लीटर तरल पदार्थों का सेवन करें। कैफीन-युक्त द्रव (Caffeinated Beverages) का सेवन कम से कम करें।

ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) की दवा – Medicines for Breast Cancer in Hindi

ब्रैस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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