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एक हस्ताक्षर के लिए पिता को ठोकर खाता देख, नौ साल की बेटी ने लिया प्रण और बन बैठी…

कहते हैं कभी कभी जीवन में ऐसी घटनाएं हो जाती है जिससे जीवन को नयी दिशा मिल जाती है और लोग बेहद मुश्किल और असंभव काम को भी कर दिखाते हैं। ऐसा ही कहानी है.. महाराष्ट्र की एक लड़की की जिसने नौ साल की उम्र में अपनी पिता की परेशानी देखकर ठाना था की अब किसी का पिता इस परेशानी ने नहीं गुजरना पड़ेगा। इसके लिए वो खुद उस मुकाम पर पहुंचेगी ताकि गरीबों का जीवन बदल सके।

नौ साल की लड़की ने ली कठिन प्रतिज्ञा

आज से कई साल पहले की बात है, महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक किसान सरकारी दफ्तर के नीचे से लेकर ऊपर तक अपने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाने के लिए भाग रहा था। तब उस किसान की नौ साल की बेटी रोहिणी भाजीभाकरे ने उनसे पूछा कि ‘आप क्या कर रहे हैं, आपको क्यों इतना परेशान होना पड़ रहा है। आखिर क्या वजह है कि सरकारी घोषणा के बाद भी आपको इतना भटकना पड़ रहा है। इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन  है?’  तब उसके पिता ने जवाब दिया, जिला कलक्टर। क्योंकि उसके दस्तखत हमारे दस्तावेजों में नही है। इतना सुनते ही उस बच्ची की दिमाग में चढ़ गया, और प्रतिज्ञा ली कि बड़ा होकर उसे कलक्टर बनना है और सबकी मुश्किलें हल करनी है।

23 साल बाद पूरा कर दिया पिता को दिया वादा

नौ साल की उम्र में पिता से किया गया वादा महाराष्ट्र की रोहिणी भाजीभाकरे ने 23 साल बाद आइएएस अधिकारी बनकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। आज रोहिणी तमिलनाडु के सलेम जिले की पहली महिला कलक्टर बन गई। अपनी प्रशासनिक क्षमताओं के साथ-साथ मूलतः मराठी रोहिणी भाजीभाकरे ने अपनी बोल चाल की भाषा को भी निखारा है और मदुरई जिले में तमिल भी बोल लेती हैं। जिला सलेम को 170 पुरुष कलक्टर के बाद पहली महिला कलेक्टर मिली। रोहिणी इस उपलब्धि पर गर्व महसूस करती हैं साथ ही पुरानी बातों को याद कर बताती हैं कि ‘मेरे पिताजी की कठिनाई को देखते हुए मैं एक सरकारी नौकर बनने और सार्वजनिक सेवा पर ध्यान देने के लिए प्रेरित हुई।’

पिता की बताई बातों पर करती हैं अमल

कलेक्टर रोहिणी की प्रशासनिक क्षमताओँ की आज पूरे प्रदेश में चर्चा है। उन्हे आज राज्य सरकार से सभी आवश्यक समर्थन प्राप्त हैं। जिले की पहली महिला कलेक्टर होने के साथ-साथ कई सारी जिम्मेदारियां ब खूबी निभा रही हैं। रोहिणी कहती हैं कि उनके पिता 65 वर्ष से स्वयंसेवक हैं। जब मैंने उन्हें बताया कि मैं कलक्टर बनना चाहती हूं तो उन्होंने बोला कि मेरी सलाह है कि तुम जब एक कलक्टर बन जाओ तो यह सुनिश्चित करना कि तुम हमेशा लोगों को पहले रखो।

कैसे करती हैं आज काम स्वास्थ्य और शिक्षा पर है पूरा ध्यान

रोहणी आज सलेम के लोगों और स्कूल में भी संबोधित करती रहती हैं। स्वच्छता और स्वास्थ्य दो ऐसी समस्याएं हैं जिनसे वो पहले निपटना चाहती हैं। वो कहती है डेंगू के खतरे से स्पष्ट है कि हमें स्वच्छता पर अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है। यह मेरी पहली प्राथमिकता होगी ।

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