बॉलीवुड

जब गुलशन कुमार पर चली 16 गोलियां, मंदिर के बाहर हुआ था कत्ल, अंडरवर्ल्ड ने मांगे थे 10 करोड़

दिवंगत गायक गुलशन कुमार संगीत जगत का एक बड़ा और मशहूर नाम हुआ करते थे. गुलशन कुमार का जन्म 5 मई 1951 को दिल्ली में एक मध्यम वर्गीय पंजाबी परिवार में हुआ था. गुलशन कुमार ने बड़े होने पर संगीत की दुनिया में और बॉलीवुड में अपनी एक अलग छाप छोड़ी लेकिन कभी वे मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते थे.

gulshan kumar

गुलशन कुमार ने शुरू से ही आर्थिक तंगी का सामना किया था. उनके पिता दिल्ली में जूस की दुकान चलाया करते थे. गुलशन भी इस काम में पिता की मदद किया करते थे. धीरे-धीरे काम बढ़ता गया तो पिता ने एक और दुकान ले ली. अब इस दुकान से गाने रिकॉर्ड करने के बाद महज सात रुपये में कैसेट्स बेची जाने लगी.

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गुलशन कुमार ने इस दुकान के माध्यम से ‘सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ कंपनी की शुरुआत की. आगे जाकर इसी के तहत स्थापना हुई ‘टी-सीरीज’ की. टी सीरीज की शुरुआत साल 1981 में हुई थी. इसमें टी का मतलब त्रिशूल है. टी सीरीज आज भारत में संगीत की दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. इतना ही नहीं टी सीरीज यूट्यूब पर भी है. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा यूट्यब सब्सक्राइबर्स भी टी सीरीज के पास ही है.

समय बदलता गया और अब गुलशन कुमार दिल्ली से मुंबई आ गए थे. यहां उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में काम करना शुरू किया. गुलशन की कंपनी टी सीरीज को बॉलीवुड में पहला बड़ा ब्रेक साल 1988 में आई आमिर खान और जूही चावला की फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ से मिला था. बताया जाता है कि तब इस फिल्म के 80 लाख कैसेट बिके थे.

फिर साल 1990 में रिलीज हुई अनु अग्रवाल और राहुल रॉय की फिल्म ‘आशिकी’ ने तो तहलका मचा दिया था. इसके म्यूजिक एल्बम ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे. 90 की शुरुआत में टी-सीरीज एक बड़ा और जाना-माना नाम बन चुकी थी. इसके बाद गुलशन को ‘कैसेट किंग’ भी कहा जाने लगा.

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गुलशन शोहरत और दौलत दोनों कमा रहे थे. इंडस्ट्री में उनकी एक अलग पहचान बन गई थी. उस दौर में हिंदी सिनेमा पर अंडरवर्ल्ड का भी हस्तक्षेप हुआ करता था. गुलशन की लोकप्रियता और सफलता अंडरवर्ल्ड को खटक रही थी. गुलशन धर्मिक कार्यों के लिए भी जाने जाते थे.

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गुलशन कुमार हर रोज मुंबई में शिव मंदिर जते थे. इस मंदिर में उन्होंने महंगे टाइल्स आदि लगवाकर उसे नया बनवा दिया था. वहीं वे वैष्णो देवी मंदिर में भंडारा भी करवाते थे. एक दिन उनके पास अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम का फोन आया. अबु ने गुलशन से कहा कि, ”वैष्णो देवी में रोज लंगर खिलाते हो, कुछ हमें भी खिलाओ”. उसने गुलशन से 10 करोड़ रुपये मांगे. गुलशन ने देने से मना कर दिया.

गुलशन को फिर से कॉल किया गया. गुलशन ने फिर से मना कर दिय. उन्हें अंडरवर्ल्ड से धमकी मिलने लगी. लेकिन यह बात गुलशन ने पुलिस को नहीं बताई. मंगलवार, 12 अगस्त 1997 को हर दिन की तरह गुलशन मुंबई के जीतनगर स्थित शिव मंदिर जा रहे थे.

गुलशन पर अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम के गुर्गो की नजर थी. गुलशन मंदिर से पूजा करके लौटने लगे. सुबह 10 बजकर 40 मिनट हो रहे थे. उनकी कनपटी पर किसी ने रिवॉल्वर रखी. गुलशन ने कहा- क्या कर रहे हो ? रिवॉल्वर लगाने वाले ने कहा कि, ”बहुत कर ली पूजा, अब ऊपर जाकर करना”.

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अंडरवर्ल्ड डॉन के गुर्गे ने पहली गोली चलाई. गोली गुलशन कुमार के माथे को छूकर निकली. गुलशन कुमार मदद के लिए आस-पास के घरों की तरफ भागे लेकिन लोगों ने घरों के दरवाजे बंद कर लिए. इसी बीच हमलावरों पर गुलशन के ड्राइवर ने कलश फेंका तो हमलावरों ने ड्राइवर के पैर में दो गोली मार दी.

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गुलशन कुमार ने बचने की खूब कोशिश की. लेकिन दो हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ 16 गोलियां चलाई. गुलशन कुमार की मौके पर ही मौत हो गई थी. आधे घंटे बाद पुलिस पहुंची. उन्हें अस्प्ताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टर्स ने गुलशन कुमार के निधन की पुष्टि कर दी.

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