राजनीति

राम रहीम केस : सीबीआई अधिकारी को नेताओं से मिली थी केस बंद करने की धमकी, नाम जानकर होश उड़ जाएंगे

नई दिल्ली – लाखों अंधभक्त समर्थकों के कारण डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ बलात्कार के मामले को सुलझाना सीबीआई के लिए आसान नहीं था। जांच 2007 में डीआईजी मुलेंजा नारायणन को सौंप दी गई थी, और उन्हें राम रहीम के अनुयायियों कि धमकीयों और उनके वरिष्ठ अधिकारियों व राजनेताओं के दबाव का सामना करना पड़ा था। CBI officer get threatened in Ram Rahim case.

सीबीआई अधिकारी ने खोला राज

मुलेंजा नारायणन ने सेवानिवृत्त होने के बाद द इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि वह खुश हैं कि मामला निष्कर्ष पर पहुंच गया है और बताया कि कितने लोग थे जो जांच के बिना मामले को बंद करना चाहते थे। उन्होंने कहा, जिस दिन यह मामला मेरे सामने आया, मेरे वरिष्ठ ने मेरे कमरे में आएं और कहा कि यह मामला बंद कर दो। उन्होंने दबाव के बावजूद केस कि जांच जारी रखी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों पर यह मामला मेरे पास आया था। इस मामले में एफआईआर 2002 में दर्ज किया गया था लेकिन पांच साल तक कुछ भी नहीं हुआ था।

फिर अदालत ने मामले को सीबीआई को देने का आदेश दिया। मैंने अपने वरिष्ठ से कहा कि मैंने जांच शुरू कर दी है और मैं उनके आदेशों का पालन नहीं करूँगा। राम रहीम को बचाने की कोशिश में सीबीआई अधिकारी ही नहीं बल्कि, कई राजनेता भी थे। इनमें शीर्ष के नेता और हरियाणा के सांसद शामिल हैं। कई सांसदों और नेताओं ने मुझसे केस को बंद करने के लिए कहा था। लेकिन मैं दबाव में नहीं आया।

नेताओं और डेरा अनुयायियों से मिलती थी धमकी

अधिकारी ने बताया कि केस बंद करने के लिए उन्हें डेरा के अनुयायियों से भी धमकी मिलती थी। उन्होंने कहा, अनुयायियों ने उनके घर तक आने की कोशिश की थी। जांच में यही एकमात्र बाधा नहीं थीं। ऐसे मामले की जांच करना जहां यौन शोषण कि शिकायत एक पत्र के आधार पर दर्ज की गई थी, आसान नहीं था। उन्होंने कहा कि, शिकायतकर्ता को ढूंढना मुश्किल था यह पता चला कि यह पत्र होशियारपुर (पंजाब में) से लिखा गया था। इसे किसने लिखा इसका पता नहीं चल सका था। हम बड़ी मुश्किल से पीड़ितों तक पहुंचे। तब मुझे सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करने के लिए पीड़ित और उसके परिवार को समझाना पड़ा था।

डेरा के लोगों ने गवाहों और पीड़ितों को धमकी दी थी, इसलिए इस मामले की जांच करना आसान नहीं था। नारायणन ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या पूछताछ के लिए राम रहीम से मिलना था। हजारों प्रयासों के बाद, वह केवल आधे घंटे के लिए पूछताछ के लिए राजी हुए। इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगाये गए सभी आरोपों को मानने से इंकार कर दिया था।  2009 में सेवानिवृत्त होने से पहले अब उम्मीद है कि राम रहीम के खिलाफ दो हत्या के मामले भी निष्कर्ष तक पहुंच जाएंगे।

 

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