बॉलीवुड

पहली ही फिल्म से स्टार बन गया था यह छोटा बच्चा, मिला था नेशनल अवॉर्ड, अब रिक्शा चलाने को मजबूर

फ़िल्मी दुनिया में हर कलाकार सफल नहीं हो पाता है या हर कलाकार एक अच्छा जीवन नहीं बिताता है। बॉलीवुड में काम करने और नाम कमाने के बावजूद आज कई सितारें एक गुमनाम जीवन जी रहे हैं। ऐसे ही एक कलाकार के बारे में आज हम आपसे बात करेंगे। यह असली कहानी है एक बच्चे की जो कि अब काफी बड़ा हो चुका है।

shafiq syed

बात हो रही है शफीक सैयद की। शफीक सैयद को आप शायद न पहचान पाए हो। अगर आपने फिल्म ‘सलाम बॉम्बे’ देखी होगी तो एक छोटा सा बच्चा आपको जरूर याद होगा। उसी छोटे से बच्चे का नाम है शफीक सैयद। इस फिल्म में शफीक सैयद ने ‘चैपू’ या ‘चाय पाव’ का रोल निभाया था। साल 1988 में आई इस फिल्म में शफीक ने रघुबीर यादव, इरफान खान और नाना पाटेकर जैसे अभिनेताओं संग काम किया था।

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शफीक ने फिल्म में अहम रोल अदा किया था। बता दें कि इस फिल्म का निर्देशन मीरा नायर ने किया था। फिल्म के दौरान शफीक 12 साल के थे। 12 साल की उम्र में उन्होंने ऐसी अदाकारी की कि हर कोई हैरान रह गया। ख़ास बात यह है कि फिल्म में बेहतरीन काम के लिए शफीक को नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। लेकिन वे अब ऑटो रिक्शा चलाकर गुजारा कर रहे हैं।

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मुंबई देखने की चाह लिए शफीक मुंबई आ गए थे अपने दोस्तों के साथ। लेकिन उनके दोस्त वापस चले गए और वे मुंबई में ही रुक गए। यहां किसी तरह उन्हें एक्टिंग वर्कशॉप के बाद फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था। 12 साल के शफीक ने ‘सलाम बॉम्बे’ में शानदार काम किया था। इसमें उन्होंने झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चे का किरदार निभाया था। फिल्म हिट हुई और शफीक को खूब लोकप्रियता मिल गई।

छोटी सी उम्र में ही शफीक ने बड़ा नाम कमा लिया था। हालांकि आगे जो हुआ वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा। क्योंकि इसके बाद शफीक का जलवा नहीं देखने को मिला। उन्हें लगा कि अब बॉलीवुड में उन्हें और काम मिलेगा हालांकि उनके हाथ निराशा लगी। साल 1988 में ‘सलाम बॉम्बे’ के बाद शफीक ने एक अन्य फिल्म में और काम किया लेकिन फिर इंडस्ट्री से दूर हो गए।

प्रोड्यूसर्स के काटे चक्कर फिर थक हारकर आ गए बेंगलुरु

काम के लिए शफीक ने खूब ठोकरें खाई। उन्होंने फिल्म निर्माताओं के खूब चक्कर काटे लेकिन काम नहीं मिला। ऐसे में फिर थक हारकर शफीक को मजबूरी में अपने होमटाउन बेंगलुरु आना पड़ा था। अब वे ऑटो रिक्शा चलाते है। कभी पेट पालने के लिए उन्हें लाइटमैन की नौकरी भी करनी पड़ी।

बता दें कि शफीक ने ‘सलाम बॉम्बे’ के लिए 52 दिनों तक शूटिंग की थी और बदले में 15 हजार रूपये मिले थे। कुछ सालों पहले एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि उनकी लाइफ ‘सलाम बॉम्बे’ के चाय पाव की तरह है। जिंदगी गुजारने के लिये उन्होंने हर छोटा-बड़ा काम किया। शफीक की शादी हो चुकी है और वे अपने परिवार संग बेंगलुरु में रहते हैं।

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