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यहां होती है भगवान गणेश से पहले उनके मूषक की पूजा, वजह जान कर रह जाएंगे दंग

बेंगलुरु: हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं का अपना ख़ास स्थान है। सभी देवताओं के भक्त हैं और अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार सबकी पूजा की जाती है। लेकिन कुछ देवी-देवता ऐसे भी हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा पूजा जाता है। भगवान गणेश को सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले पूजा जाता है। जब भी किसी शुभ कार्य की शुरुआत करनी होती है तो भगवान गणेश का नाम लिए बगैर शुरू ही नहीं होता है।

5 पीढ़ियों से की जा रही है मूषक की पूजा:

देश में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधन की जाती है। इसी सप्ताह की 25 तारीख से पुरे देश में यह पर्व मनाया जाना शुरू हो जायेगा। बेंगुलुरु के मैसूर में लोग इसके उलट प्रथा से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मैसूर में कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो पिछले 5 पीढ़ियों से गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा ना करके उनकी सवारी मूषक की पूजा करते हैं।

दो दर्जन से अधिक परिवार करते हैं मूषक की पूजा:

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ऐसा माना जाता है कि मूषक(चूहा) भगवन गणेश का वाहन है। भगवन गणेश कहीं भी जाते हैं तो इसी पर सवार होकर जाते हैं। मैसूर के लगभग 2 दर्जन से ज्यादा परिवार उस दिन मूषक की मूर्ति लगाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। वहाँ के लोगों की आस्था को देखकर कुछ मूर्ति कलाकार केवल मूषक की ही मूर्तियाँ बनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये परिवार आर्य समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं।

पहले हर जगह की तरह होती थी भगवान गणेश की ही पूजा:

मैसूर के ये परिवार हर गणेश चतुर्थी को मूषक महोत्सव मनाते हैं। इन्ही परिवारों के एक सदस्य ने बताया कि, अपनी 5 पीढ़ियों से वे गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की जगह उनकी सवारी मूषक की पूजा कर रहे हैं। एक सदस्य के अनुसार इस प्रथा के पीछे उनके दादा ने एक कहानी सुनाई थी। उन्होंने बताया कि हमारी 5वीं पीढ़ी से पहले तक हर जगह की तरह ही गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा होती थी।

भगवान गणेश आये सपने में और कहा मूषक की करें पूजा:

भगवान गणेश की पूजा करने के बाद भी उन लोगों को सुख-शांति नहीं मिलती थी। एक दिन उन लोगों के सपने में भगवान गणेश आये और लोगों से कहा कि सिर्फ मेरी पूजा करने से कुछ नहीं होगा। आपलोगों को मेरे वाहन मूषक की भी पूजा करनी होगी। उसे के बाद से लगातार 5 पीढ़ियों से भगवान गणेश की जगह उनके वाहन मूषक की पूजा की जाने लगी है। आज सभी लोग अपना जीवन सुख-शांति से व्यक्तित कर रहे हैं।

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