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जब 14 साल के बच्चे ने दान किए दिल, आंखें, फेफड़े, हाथ और लीवर, 6 लोगों को मिला जीवनदान

मौत के बाद इंसान का शरीर किसी काम का नहीं रहता है। परिजन उसे दफना या जला देते हैं। लेकिन यदि मरने वाले का अंगदान कर दिया जाए तो उसका मृत शरीर भी कई लोगों को नया जीवनदान दे सकता है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण हम आपको बताने जा रहे हैं।

14 साल के बच्चे ने दान किए 6 अंग

14 साल का धार्मिक काकड़िया गुजरात के सूरत में रहता था। वह 10वीं का छात्र था। उसे किडनी की एक गंभीर बीमारी थी। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। लेकिन मरने से पहले वह 6 लोगों को अंगदान कर नया जीवन दे गया।

अजय भाई काकड़िया सूरत की एक डायमंड कम्पनी में मैनेजर है। उनके पत्नी ललिता बेन से दो बच्चे थे। जिसमें 14 साल का धार्मिक अब इस दुनिया में नहीं है। किडनी की बढ़ती समस्या के चलते उसका हफ्ते में तीन बार डायलिसीस करवाना पड़ता था। उसे 5 साल से किडनी की समस्या थी।

घरवाले उसकी किडनी ट्रांसप्लांट का प्लान भी बना रहे थे। उन्हें किसी के किडनी दान करने का इंतजार था। लेकिन उसके पहले ही धार्मिक की तबीयत गड़बड़ हो गई। उसका ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ गया था। जब माँ बाप उसे किरन अस्पताल ले गए तो डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

जब इसकी खबर सूरत की डोनेट लाइफ़ संस्था को लगी तो उनकी टीम ने आकर धार्मिक के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया। घरवाले राजी हो गए। फिर ब्रेन डेड धार्मिक का दिल, फेफड़ा, आँख, लीवर और दोनों हाथ 6 अलग-अलग जरूरतमंद लोगों को दान किए गए। इससे उन्हें नया जीवन मिला।

6 लोगों को मिला नया जीवन

धार्मिक के दोनों हाथ सूरत के किरन हॉस्पिटल से मुंबई की ग्लोबल हॉस्पिटल भेजे गए। यहां 32 साल के एक शख्स में ये दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किए गए। बच्चे का दिल अहमदाबाद की सीम्स हॉस्पिटल भेजा गया। इसे यहां जूनागढ़ के 11वीं में पढ़ने वाले 15 साल के बच्चे के सीने में ट्रांसप्लांट किया गया।

फेफड़े को चेन्नई की एमजीएम हॉस्पिटल में भेजकर उसे आंध्र प्रदेश के रहने वाले 44 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया गया। इसी तरह लीवर को अहमदाबाद की जायडस हॉस्पिटल में गुजरात के पाटण निवासी 35 वर्षीय व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। धार्मिक की आंखें सूरत की किरन हॉस्पिटल में ही एक ज़रूरतमंद शख्स को दी गई।

बताते चलें कि ये पूरा मामला बीते वर्ष का है। लेकिन इसे पढ़कर आप आज और भविष्य में भी अंगदान के महत्व को सब दूर फैला सकते हैं। आपके एक अंगदान से किसी जरूरतमंद को नया जीवन मिल सकता है। हाथों के अंगदान की बात करें तो ये भारत में सबसे पहले 2015 में कोच्चि के अमृता हॉस्पिटल में हुआ था। सूरत की डोनेट लाइफ संस्था द्वारा ये धार्मिक के माध्यम से 19 वें हाथ का ट्रांसप्लांट था।

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