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भारत के जनसंख्या विस्फोट पर RSS प्रमुख बोले- सिर्फ खाना और बच्चे पैदा करना तो जानवर भी करते हैं

भारत में हो रहे जनसंख्या विस्फोट को लेकर हर कोई चिंतित है। यदि इसका समय रहते कुछ नहीं किया गया तो जल्द भारत आबादी के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ देगा। 2020 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 138 करोड़ है जबकि चीन की आबादी 140 करोड़ है। ऐसे में भारत को जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश का ठप्पा मिल सकता है।

बढ़ती हुई आबादी ढेर सारी समस्याएं भी लाती है। भारत की इस आबादी को देख समय-समय पर कई लोग अपने बयान देते रहते हैं। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने भी बुधवार (13 जुलाई) को भारत की बढ़ती आबादी को लेकर एक बड़ा बयान दिया।

जनसंख्या वृद्धि को लेकर मोहन भागवत का बड़ा बयान

दरअसल भागवत श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करने पहुंचे थे। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर चर्चा की। इसमें जनसंख्या वृद्धि और धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दे शामिल थे।

भागवत ने कहा सिर्फ जीवित रहना ही मनुष्य के जीवन का उद्देश्य नहीं है। मनुष्य के कई कर्तव्य होते हैं जिनका उन्हें समय-समय पर पालन करना होता है। सिर्फ खाने और आबादी बढ़ाने का काम तो जानवर भी करते हैं। मनुष्य के पास यदि दिमाग नहीं होता तो वह आज इस दुनिया का सबसे कमजोर प्राणी होता। जंगल का एक कानून है जो ताकतवर है वही जिंदा रहेगा। लेकिन मनुष्यों की व्याख्या इससे कुछ अलग है। जो सबसे योग्य है वह दूसरों की सहायता करेगा।

यहां गौर करने वाली बात यह है कि भागवत ने अपने संबोधन में देश की बढ़ती जनसंख्या पर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा हालांकि इंसान और जानवर के बीच का अंतर समझा कर अपना संदेश देश को दे दिया। देखा जाए तो भागवत की इस सलाह में दम भी है। यदि भारत ने अपनी बढ़ती आबादी को लेकर कुछ ठोस कदम नहीं उठाए तो एक और बड़ा जनसंख्या विस्फोट हो सकता है। इससे भारत की वर्तमान समस्याएं और भी बड़ा रूप ले लेगी।

विकास को लेकर कही ये बात

अपने संबोधन में भागवत ने यह भी कहा कि भारत ने जो विकास देखा है उसकी नींव 1857 में पहले ही रद्द दी गई थी। तब स्‍वामी विवेकानंद ने अपने सिद्धांतों से उसे आगे बढ़ाया था। उन्होंने आगे कहा यदि आपकी भाषा अलग है तो विवाद है। यदि धर्म अलग है तो भी विवाद है। आपका देश दूसरा है तो भी विवाद है। एक तरह से पर्यावरण और विकास के बीच यह विवाद हमेशा से ही रहा है। बीते 1000 सालों से ये दुनिया ऐसे ही आगे बड़ी है।

इसके साथ ही भागवत ने ‘सभी से प्रेम करो, सबकी सेवा करो’ का संदेश भी दिया। वहीं एक दिन पहले उन्होंने धर्म परिवर्तन रोकने पर जोर दिया था।

बताते चलें कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के अलावा कर्नाटक स्थित श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह में पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन, पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सुनील गावस्कर, गायक पंडित एम वेंकटेश कुमार और कई अन्य लोग उपस्थित थे।

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