अध्यात्म

मंदिर जो हर साल मानसून की भविष्यवाणी करता है, जानिए इस बार मंदिर के गुंबद ने क्या संदेश दिया है

भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म, आध्यात्म और आस्था का काफी महत्व है। इसकी एक वजह ये भी है कि देश में अनेक जगह ऐसे धार्मिक स्थल और मंदिर हैं जो काफी रहस्यमयी हैं और वहां कुछ ऐसे चमत्कार होते हैं कि लोगों की आस्था बहुत प्रबल हो जाती है।

इस बार मानसून कब आएगा, कैसी बारिश होगी…कानपुर के भीतरगांव ब्लाक के बेहटा बुजुर्ग गांव के चमत्कारी माने जाने वाले भगवान जगन्नाथ मंदिर ने यहां के लोगों का इसका संकेत आखिरकार दे दिया है। मंदिर के गुंबद में लगे पत्थरों में आई बूंदों ने मानसून के जल्द आने की आशा जगा दी है। यही नहीं, पत्थर पूरी तरह भीगने से इस बार अच्छी बारिश का अनुमान है। मौसम विज्ञानी भी इस बार मानसून की अच्छी बारिश की भविष्यवाणी कर चुके हैं।

बेहटा बुजुर्ग में भगवान जगन्नाथ का मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। मंदिर के गुंबद पर जड़े पत्थर में मानसून आने से पहले ही बूंदें आ जाती हैं। इन बूंदों को देखकर यहां के पुजारी अनुमान लगाते हैं कि आने वाला मानसून कैसा रहेगा? मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष पत्थर पूरी तरह भीगा हुआ है। बूंदों के गिरने की गति भी तेज है। इससे अनुमान है कि अच्छी बारिश होगी। 10 से 15 दिन में मानसून आ जाएगा।

उन्होंने बताया कि करीब महीने भर पहले भी पत्थर गीला हुआ था, तब छोटी-छोटी बूंदें आई थीं जो क्षणिक आंधी-बारिश का संकेत थीं। मानसून से पहले यहां जब बूंदों का आकार छोटा होता है और पत्थर को एक या दो कोना ही गीला होता है तो अच्छी बारिश का संकेत नहीं होता।

बेहटा बुजुर्ग का भगवान जगन्नाथ मंदिर ओडिशा शैली से भिन्न है। ओडिशा के मंदिरों में भगवान जगन्नाथ के साथ बलदाऊ और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं होती हैं। यहां साथ में सिर्फ बलराम की छोटी प्रतिमा है। मंदिर के पीछे उकेरे गए दशावतारों में महावीर बुद्ध की जगह बलराम का चित्र है।

काफी प्राचीन मंदिर है

पुरातत्व विभाग से संरक्षित इस मंदिर के निर्माण काल को लेकर भी असमंजस है। मंदिर की दीवारें करीब 14 फीट मोटी हैं। अणुवृत्त आकार के मंदिर का भीतरी हिस्सा 700 वर्ग फीट का है। मंदिर के सामने एक प्राचीन कुआं और तालाब है। मंदिर के बाहर बने मोर व चक्र के निशान देखकर कुछ लोग इसे चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के काल का बताते हैं। मंदिर के द्वार पर स्थापित अयाग पट्ट को देखकर इसे 2000 ईसा पूर्व की संस्कृति से भी जोड़ा जाता है।

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