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पिता जज के ड्राइवर, बेटी 7वीं रैंक हासिल कर बन गई जज, कड़ी मेहनत कर बदल ली गाड़ी की सीट

पिता सिविल जज के ड्राइवर हैं, बेटी बचपन से अपने पिता को गाड़ी पर ड्राइवर की सीट पर बैठते देखती आ रही थी। उसके मन में इच्छा जगी कि वो अपने परिवार के लिए अब इस सीट को बदलेगी और जज वाली सीट पर बैठगी। बचपन में उसने ये संकल्प लिया और उसे पूरा करने के लिए उसने कड़ी मेहनत शुरू कर दी। उसकी मेहनत रंग लाई और वो अपने पहले प्रयास में ही पीसीएस-जे की परीक्षा में 7वां स्थान हासिल कर जज बन गई। अब पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है।

नीमच की वंशिका ने पूरा किया संकल्प

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की तरफ से आयोजित सिविल जज वर्ग-2 के परिणाम मंगलवार को आ गए। इस परीक्षा में नीमच कोर्ट में सिविल जज के ड्राइवर की बेटी वंशिका गुप्ता भी अब सिविल जज बन गई है। उसकी सफलता पर पूरे जिले को गर्व है। साथ ही वंशिका के परिवार में भी खुशी की लहर है। पिता की खुशी का ठिकाना नहीं है। वंशिका ने पिता ही नहीं पूरे परिवार के नाम रोशन किया है। उसके दादा भी सिविल कोर्ट में ही क्लर्क थे।

माता-पिता और कड़ी मेहनत को दिया श्रेय

वंशिका ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता की प्रेरणा, कड़ी मेहनत और लगन को दिया है। प्रदेश भर के न्यायालय में रिक्त 252 पदों के लिए लिखित परीक्षा में देश भर में 350 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। इसके परिणाम मंगलवार की शाम को आए हैं। परिणाम आने के बाद जिला व सत्र न्यायालय में न्याय विभाग के लघु वेतन कर्मचारी अरविंद गुप्ता के घर में मिठाइयां बंट रही हैं। उनकी बेटी वंशिका गुप्ता पहले ही प्रयास में सिविल जज बन गई हैं। वंशिका को पूरे प्रदेश में सातवीं रैंक मिली है।

पिता ड्राइवर, दादा क्लर्क

वंशिका गुप्ता के दादा रमेशचंद गुप्ता भी न्यायालय में ग्रेड-1 रीडर थे। सेवानिवृत्ति के बाद वर्तमान में मंदसौर में वकालत कर रहे हैं। वहीं, पिता अरविंद गुप्ता वर्तमान में जिला कोर्ट में लघु वेतन कर्मचारी (ड्राइवर) हैं। वहीं, वंशिका की मां स्कूल में शिक्षिका हैं। उन्होंने बताया कि वंशिका बचपन से ही घर में कोर्ट-कचहरी की बातें सुनती आ रही है। पिता को मेहनत करते हुए देखती थी तो उसको महसूस होता था कि जीवन में कुछ करना है।

बचपन में ही तय किया जज बनना है

मां ने कहा कि बचपन से ही उसकी इच्छा थी कि जज बने। पापा उससे अक्सर कहा करते थे कि बेटी ऐसा काम करना, जिससे तुम्हारे कारण मेरी पहचान हो। इसे वंशिका गुप्ता ने साबित कर दिखाया है। वंशिका के घर पर अब बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है।

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