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बीच फेरों में ठनका दुल्हन का दिमाग, बोली- नहीं करनी शादी.. वजह जान दंग रह गया दूल्हा

कहते हैं शादी ब्याह बच्चों का खेल नहीं होता है। इसलिए जब भी बच्चों की शादी तय की जाए तो पहले उनकी रजामंदी जरूर जान लेनी चाहिए। वरना बाद में या तो उनकी जिंदगी बर्बाद होगी या आपकी समाज में बदनामी होगी। अब उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के साहपुर गांव की घटना ही ले लीजिए। यहां एक दुल्हन ने फेरों के समय ऐसे नाटक किए कि बारात बेरंग ही लौट गई।

यह अनोखी घटना 24 अप्रैल, रविवार की है। साहपुर की रहने वाले नेहा (बदल हुआ नाम) की शादी आंवला के गांव लक्ष्मीपुर निवासी पंकज (बदला हुआ नाम) से तय हुई थी। दोनों की सगाई 20 अप्रैल को धूमधाम से हुई थी। फिर रविवार की शाम तय समय पर बारात भी पहुंच गई। लड़कीवालों ने बारात का अच्छे से स्वागत किया। सबकुछ खुशी-खुशी चल रहा था।

दुल्हन ने फेरे लेने से किया इनकार

अब जयमाला का समय हुआ। दूल्हे ने तो दुल्हन के गले में वरमाला डाल दी। लेकिन दुल्हन वरमाला पहनाने में नाटक करने लगी। हालांकि दुल्हन की सहेलियों और पिता ने जैसे तैसे उससे वरमाला डलवा दी। बस यहीं से नई नवेली दुल्हन के लक्षण दिखने लगे। वह शादी की हर रस्म पर विरोध करने लगी।

आधी रात हो गई। फेरों का समय आया। यहां दुल्हन फेरे न लेने की जिद पर अड़ गई। परिजनों और बरातियों ने उसे बहुत मनाने की कोशिश की। लेकिन वह टस से मस नहीं हुई। उसने साफ बोल दिया कि ‘मुझे जब दूल्हा ही पसंद नहीं है तो शादी करने का क्या फायदा है?’ यह बात सुन हर कोई हक्का बक्का रह गया।

पुलिस ने ऐसे सुलझाया मामला

दुल्हन के पिता ने कई देर बेटी को समझाने बुझाने की कोशिश की। लेकिन जब वह नहीं मानी तो उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए। ऐसे में घराती और बाराती के बीच बहसबाजी होने लगी। कहासुनी बड़ी तो किसी ने 112 पर कॉल कर पुलिस को बुलाया लिया। पुलिस जब मौके पर आई तो लड़की को समझाने लगी। इस तरह सुबह की 10 बज गई। लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकला।

अंत में पुलिस ने भी थक हारकर वर-वधू पक्ष में समझौता करवा दिया। पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच हुए खर्चों का हिसाब किताब कर दिया। साथ ही शादी तोड़ने की बात और खर्च के बटवारे का जिक्र लिखित में कर दिया। इसके बाद दूल्हा और बारात बिना दुल्हन के मायूस लौट गई। अब यह पूरी घटना इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।

इस घटना से आप भी सीख लें। लड़के या लड़की की मर्जी के बिना शादी तय न करे। वरना बाद में पछताने के सिवाय कुछ नहीं बचता है।

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