स्टूडियो के बाहर खड़ी मौसमी चटर्जी की खूबसूरती के कायल हो गए थे प्रोड्यूसर, बना दिया हीरोइन
बॉलीवुड की पुराने जमाने की कई हीरोइनें हैं, जिन्होंने दर्शकों के दिलों पर राज किया है। उनकी एक्टिंग देखकर अंदाजा लगाना ही मुश्किल होता था कि वो वाकई में अभिनय कर रही हैं या कोई घटना सच में हो रही है। इन अभिनेत्रियों में पुराने जमाने की अभिनेत्री मौसमी चटर्जी का नाम जरूर सामने आता है।
मौसमी चटर्जी जितनी खूबसूरत हुआ करती थीं, उतनी ही दमदार अदाकारा भी थीं। वो आज 73 साल की हो गई हैं। उनके जन्मदिन पर हम उनसे जुड़ी कुछ बातें बताते हैं। क्या आपको पता है कि उनको पहली फिल्म स्टूडियो से गुजरते हुए मिल गई थी। जब एक प्रोड्यूसर ने उनको देख लिया था। आइए ऐसे कुछ किस्से जानते हैं।
कई फिल्मों से बनाई अपनी अलग पहचान
मौसमी चटर्जी ने अपने अभिनय से अलग पहचान बना ली थी। उनके पास काम की कोई कमी नहीं रहती थी। बड़े-बड़े डायरेक्टर उनको अपनी फिल्मों में लेना चाहते थे। उनकी हिट फिल्मों की बात करें तो इनमें रोटी, पकड़ा और मकान, बालिका वधू से लेकर अनुराग जैसी फिल्में हैं। उन्होंने अपनी फिल्मों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
राजेश खन्ना के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों ने खूब पसंद की थी। दोनों ने मिलकर कई ब्लॉक बस्टर मूवीज दी हैं। मौसमी के बारे में एक बात फेमस थी कि वो रोने वाले सीन के लिए ग्लिसरीन नहीं लगाती थीं। वो कहती थीं कि जब भी वो दुख वाले सीन करती हैं, उनकी आंखों में अपने आप आंसू आ जाते थे। इसको वो वरदान मानती थीं।
15 साल में हो गई थी शादी, फिर बनाया करियर
मौसमी का जन्म कोलकाता में 26 अप्रैल 1955 को हुआ था। वैसे उनका नाम मौसमी नहीं बल्कि इंदिरा था। एक प्रोड्यूसर की वजह से उनको अपना नाम मौसमी करना पड़ा था। उनके पिता आर्मी ऑफिसर थे जबकि मां घर संभालती थीं। उनकी चाची मृत्यु शैया पर थीं और वो मौसमी को शादी के जोड़े में देखना चाहती थीं।
चाचाी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए मौसमी ने 15 साल में ही शादी कर ली थी। हालांकि वो काफी लकी रहीं क्योंकि उनके पति और ससुर ने उनको शादी के बाद भी फिल्मों में आने से नहीं रोका। उनके ससुरालवालों ने तो फिल्मों में काम करने के लिए उनकी मदद की। इस बात को मौसमी ने खुद स्वीकार किया था।
जानें क्या हुआ जब प्रोड्यूसर की पड़ी नजर
अब हम आपको उनको पहली फिल्म मिलने का दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं। एक्ट्रेस को फिल्मों में काम करने का बहुत शौक था। कोलकाता में कई फिल्म स्टूडियो थे जहां मौसमी जाया करती थीं। एक बार वो एक स्टूडियो के पास से गुजर रही थीं। इसी दौरान फेमस प्रोड्यूसर तरुण मजूमदार की नजर उन पर पड़ गई।
वो उस दौरान एक फिल्म ‘बालिका वधू’ बना रहे थे। इसके लिए उनको मौसमी पसंद आ गईं। प्रोड्यूसर ने उनको काम का ऑफर दिया तो मौसमी ने भी हां कर दी। इसके बाद 1967 में मौसमी की पहली फिल्म बालिका वधू आई। ये फिल्म हिट रही। इसके बाद तो मौसमी के घर के बाहर प्रोड्यूसरों की भीड़ लगी रहती थी। मौसमी ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।