शिक्षक ने बेटी की शादी पर छपवाया ऐसा अनोखा कार्ड, इंटरनेट पर हो गया वायरल, खूब हो रही तारीफ
घर में शादी या कोई भी खास आयोजन होता है तो मेहमानों को जरूर निमंत्रण भेजा जाता है। मेहमानों को बुलाने के लिए कार्ड छपाने की परंपरा भी पुरानी है। हालांकि कुछ लोग इस समाज में अलग करना चाहते हैं। कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश के शिक्षक ने किया। जिनकी पहल की अब खूब सराहना की जा रही है।
एमपी के शिक्षक ने अपनी बेटी की शादी पर मेहमानों को बुलाने के लिए अनोखा कार्ड छपवा दिया। इस कार्ड को देखकर लोग खुश भी हो गए और शिक्षक की तारीफ भी कर रहे हैं। वहीं सोशल मीडिया पर भी ये कार्ड वायरल हो गया है। आखिर इस कार्ड में ऐसा क्या संदेश शिक्षक ने दे दिया जिसके लोग कायल हो गए।
देवास जिले की है खबर
मध्य प्रदेश के देवास जिले की यह खबर है। यहां एक शिक्षक ने अनूठी पहल की है। उन्होंने सच में शिक्षक की भूमिका निभाते हुए समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है। इस प्रयास को उन्होंने बेटी की शादी के माध्यम से पूरा करने की ठानी। शिक्षक का नाम बालू सिंह मूवेल है और वो देवास के बागली तहसील में रहते हैं।
बागली तहसील के मालीपुरा गांव में रहने वाले शिक्षक बालू सिंह इन दिनों काफी चर्चा में चल रहे हैं। उनकी बेटी गायत्री की शादी तय हुई। इसके बाद उन्होंने बेटी की शादी पर कार्ड के रूप में पूरी पत्रिका ही छपवा दी। इस पत्रिका के जरिए उन्होंने समाज को ऐसा संदेश दिया है जिसकी हर ओर तारीफ होने लगी है।
जानें क्या लिखा पत्रिका में जो हो गई वायरल
शिक्षक ने जो कार्ड रूपी पत्रिका अपनी बेटी गायत्री की शादी के लिए छपवाई है उसने अनूठा संदेश है। इस पत्रिका में उन्होंने पर्यारण बचाने का संदेश दिया है। इस पत्रिका में पांचों तत्वों और पूर्वजों को साक्षी माना गया है। उन्होंने पत्रिका में संदेश दिया है कि आखिर क्यों देश के रीति रिवाजों, बोली, भाषा और संस्कृति को बचाना जरूरी है।
शिक्षक ने पत्रिका में लोगों से बिजली, प्रकृति, संस्कृति से लेकर बेटी बचाने की बात कही है। उन्होंने बताया है कि इनकी सुरक्षा करना बेहद जरूरी है। वो कहते हैं कि बेटी घर के बगीचे का सबसे सुंदर फूल है। वहीं उनका कहना है कि अपने बच्चों को पढ़ाओ, भले ही आपको एक रोटी कम ही क्यों न खानी पड़ जाए।
बेटी भी बनना चाहती है शिक्षक
बालू सिंह ने पत्रिका में गीत और स्लोगन को आदिवासी भाषा में छपवाया है। वहीं उनकी बेटी गायत्री इस कार्ड से बेहद खुश हैं। वो अपने दो भाइयों से बड़ी हैं। इस समय वो बीएड कर रही हैं। गायत्री का सपना भी पिता की तरह शिक्षक बनकर बच्चों का जीवन सुधारना है और वो देश में शिक्षा का स्तर सुधारना चाहती हैं।
बालू सिंह ने अपना दामाद भी सबसे शिक्षित गांव से तलाशा है। उनके दामाद धार जिले के पडियाल गांव में रहते हैं। वो भी स्नातक कर चुके हैं और इस समय आईआईटी की पढ़ाई कर रहे हैं। वो भी देश की सेवा करना चाहते हैंष ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा के लिए भी तैयारियां कर रहे हैं।