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अनुराधा पौडवाल का जायज़ सवाल: मुस्लिम देशों में लाउडस्पीकर पर अजान बैन है, तो भारत में क्यों नही

लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर समय-समय पर बयानबाजी होती रहती है। 2017 में फेमस सिंगर सोनू सिंगम ने लाउडस्पीकर पर होने वाली अजान पर सवाल उठाए थे। हालांकि फिर उनके खिलाफ फतवा जारी हो गया था और वे बहुत विवादों में भी फंस गए थे। अब इस मुद्दे पर फिल्मी गलियारों की एक और फेमस सिंगर अनुराधा पौडवाल (Anuradha Paudwal) का बयान आया है।

अनुराधा पौडवाल को हम सभी उनकी सुंदर आवाज और शानदार भजन के लिए जानते हैं। वे कई हिंदी फिल्मों में भी अपनी आवाज दे चुकी हैं। हाल ही में एक जीन्यूज के एक कार्यक्रम में शामिल हुई थी। यहां उन्होंने लाउडस्पीकर पर होने वाली अजान को लेकर अपनी राय सामने रखी। इसके साथ ही उन्होंने युवा पीढ़ी को एक खास संदेश भी दिया।

लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर बोली अनुराधा पौडवाल

अनुराधा पौडवाल ने कहा कि “मैं दुनिया के कई कौनों में घूमी हूं। लेकिन जैसा भारत में होता है, वैसा मैंने कहीं और नहीं देखा। हमारे देश में लाउडस्पीकर पर अजान चलाई जाती है। मैं किसी धर्म के विरुद्ध नहीं हूं। लेकिन हमारे यहां इस चीज को जबरन बढ़ावा दिया जाता है। मैंने मिडल ईस्टर्न देशों की यात्रा भी की है। वहाँ लाउडस्पीकर पर अजान पर बैन लगा हुआ है। जब मुस्लिम देशों में लाउडस्पीकर पर अजान नहीं होती है तो फिर भारत में ऐसा क्यों होता है?

अनुराधा पौडवाल ने आगे कहा “लाउडस्पीकर पर अजान होता देख दूसरे धर्म के लोगों को लगता है कि फिर हम हनुमान चालीसा क्यों न चलाए? इस तरह ये विवाद बढ़ता जाता है, जो कि बहुत दुख की बात है।” अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अनुराधा पौडवाल ने नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए अपनी संस्कृति की जानकारी रखने पर जोर दिया।

युवा पीढ़ी को दिया ये संदेश

अनुराधा पौडवाल ने आगे कहा “हमे देश के बच्चों को संस्कृति के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। उन्हें हमारे कल्चर की जानकारी होना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि आदि शंकराचार्य हमारे धर्म गुरु हैं। हर ईसाई को पता है कि पोप उनके गुरु हैं। हमे बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि हमारे पास 4 वेद, पुराण और 4 मठ हैं। उनकी बुनियाद मजबूत होना चाहिए।

अनुराधा ने ये भी कहा कि “हम लोग संख्या में जरूर ज्यादा हैं, लेकिन एक साथ हम कम हैं। वहीं दूसरी तरफ दुनिया में कई कल्चर हैं जो संख्या में कम होने के बावजूद स्ट्रॉंग हैं, क्योंकि वह एक साथ हैं।” वैसे अनुराधा पौडवाल की इन बातों से आप किस हद तक सहमत हैं हमे कमेन्ट कर जरूर बताएं।

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