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ऐसा क्या हुआ जो मेहंदी को हीना कहा जाने लगा? जाने इसके पीछे की कहानी

‘मेहंदी’ ये नाम सुनते ही महिलाओं के चेहरे पर खुशी का भाव आ जाता है। शादी हो, त्योहार हो या कोई खास दिन, महिलाओं को मेहंदी लगाने का बड़ा शौक होता है। वे इस मेहंदी को हाथ से लेकर पाँव तक और यहाँ तक की बालों पर भी लगाती हैं। मेहंदी लगाने के कई फायदे भी होते हैं।

आज के मॉडर्न जमाने की लड़कियां पीठ, बाजू या कमर पर भी मेहंदी का टैटू बनाती हैं। मेहंदी से निकली खुशबू, इसका कलर दिल को प्रसन्न कर देता है। कुछ लोग मेहंदी को हीना भी कहते हैं। ऐसे में क्या आप ने कभी सोचा है कि आखिर मेहंदी को हीना क्यों कहा जाता है? चलिए जानते हैं।

इस कारण मेहंदी को कहते हैं हीना

मेहंदी का एक वानस्पतिक नाम भी है। इसे लॉसोनिया इनरर्मिस (Lawsonia inermis) भी कहते हैं। दरअसल मेहंदी में पिगमेंट लॉसॉन (Lawsone) उपस्थित रहता है जिसके चलते इसका ये नाम पड़ा। पिगमेंट लॉसॉन रासायनिक दृष्टि से एक कार्बोहाइड्रेट होता है। ये मेहंदी की पत्तियों में मिलता है। इसका रासायनिक सूत्र C10H6O3 है।

इस लॉसॉन पिगमेंट को हैनाटॉनिक एसिड (Hennatonic Acid) के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि ये नाम बोलने में काफी मुश्किल होता है। ऐसे में लोगों ने इसे शॉर्ट में हीना बोलना शुरू कर दिया। जल्द ही ये नाम सब दूर फेमस हो गया। बस इसी के बाद से मेहंदी को हीना कहा जाने लगा।

ये है सबसे बेस्ट हिना

वैसे तो बाजार में कई तरह की मेहंदी उपलब्ध है। लेकिन कुछ मेहंदी बाकियों से गुणवत्ता में काफी अच्छी होती है। उदाहरण के लिए राजस्थान की सोजत मेहंदी (Sojat Mehndi) को काफी अच्छी माना जाता है। सोजत मेहंदी को सितंबर 2021 में जीआई टैग (GI Tag) मिला हुआ है। सोजत मेहंदी ज्यादातर राजस्थान के पाली जिले में मिलती है। इस मेहंदी की खासियत ये होती है कि इसकी पत्तियों में लॉसन पिगमेंट या हेनाटॉनिक एसिड बाकी मेहंदी की तुलना में 2% अधिक होता है।

मेहंदी हाथों और बालों की शोभा बढ़ाने के साथ साथ शरीर को भी लाभ पहुंचाती है। इसके पत्तों का इस्तेमाल कई औषधियों में भी होता है। कहते हैं मेहंदी लगाने से शरीर ठंडा रहता है। दिमाग को शांति का अनुभव होता है। इससे टेंशन कम होता है। इसे गर्मी में लगाने से ज्यादा लाभ मिलता है।

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