अध्यात्म

भगवान शंकर ने खुद ही बताया है कि उनके भक्त कैसे करें उन्हें प्रसन्न और पायें मनचाहा वरदान

भगवान शंकर इस श्रृष्टि के रचयिता भी हैं और संहारक भी हैं। भगवान शिव अत्यंत भोले भी हैं और अत्यंत ही क्रोधी भी। जो उनकी भक्ति सच्चे मन से करता है, जीवन में उसका कभी भी अहित नहीं होने देते हैं। जो व्यक्ति भगवान शंकर का तिरस्कार करता है, उसके लिए भगवान शंकर अपनी आँखें मूंद लेते हैं। सच्चे में मन से आराधना करने वालों की भोलेनाथ झोली बार देते हैं।

समुद्र मंथन से निकली थी कई चमत्कारी चीजें:

हिन्दू पौराणिक कथा समुद्र मंथन के बारे में तो आप जानते ही होंगे। देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। समुद्र मंथन के दौरान कई कीमती और चमत्कारी वस्तुएं निकली थीं। उन्ही में से एक था कालकूट विष। जब कालकूट विष निकला तो चारो तरफ हाहाकार मच गया। सभी देवताओं ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वह विषपान करें। देवताओं के कहने पर भगवान शिव ने विष को अपने कंठ में रोके रखा। इस वजह से उनका कंठ नीला पड़ गया। उसके बाद से ही उन्हें नीलकंठ भी कहा जाने लगा।

विषपान करने से भगवान शिव हो गए थे व्याकुल:

इस कालकूट विष में गर्मी बहुत ज्यादा थी, जिस वजह से भगवान शिव व्याकुल हो गए। उन्हें गर्मी से बेचैनी होने लगी। उनको व्याकुल देखकर सभी देवी-देवताओं ने उनके ऊपर जलधारा प्रवाहित करनी शुरू कर दी। कहा जाता है कि उस समय सावन का महिना चल रहा था। जब जलधारा के प्रवाह के बाद भी भगवान शिव शांत नहीं हुए तो उन्होंने शीतलता के लिए चन्द्र देव को अपने शीश पर धारण कर लिया। ऐसा करने से उन्हें काफी राहत मिली।

सावन के महीने में जल चढ़ाने वाले की हो जाती है हर इच्छा पूरी:

भगवान शिव ने चंद्रमा की गरीमा बढ़ाने के लिए आशीर्वाद दिया कि जो भी व्यक्ति सावन के सोमवार में मेरे ऊपर जल चढ़ाकर सच्चे मन से जो भी मांगेगा, उसकी हर इच्छा पूरी हो जाएगी। मेरे ऊपर जल चढ़ाने वाले व्यक्ति को विविध तापों (दैहिक, दैविक और भौतिक) से मुक्ति मिलेगी। इसके बाद से ही सावन के महीने में भगवान शंकर को सोमवार के दिन जला चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई। आज के समय में सावन के सोमवार के दिन शिवालयों में भक्तों का ताँता लगा रहता है।

कालसर्प दोष से भी पायी जा सकती है मुक्ति:

इस महीने में भगवान शंकर को दूध, जल, पंचगव्य (दूध, दही, मक्खन, घी और गंगाजल) बेलपत्र, आक, धतूरा आदि चढ़ाना अत्यंत ही फलदायी होता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति पायी जा सकती है। इसके लिए शिवालय में रुद्राभिषेक के साथ कल सर्प पूजा करें। हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अमरनाथ यात्रा का महत्व भी केवल गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन तक ही होता है।

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