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हिजाब पहनकर कॉलेज में नहीं आ सकेंगी मुस्लिम लड़कियां, कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट ने लंबे से चले आ रहे हिजाब विवाद पर फैसला सुना दिया है। आज यानि मंगलवार को ये बड़ा फैसला आया है। अपने फैसले में कोर्ट ने साफ कर दिया है कि हिजाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है। इस फैसले के बाद हिजाब पहनकर कॉलेज आने की जिद कर रही लड़कियों को झटका लग गया है।

जानें क्या है विवाद

हिजाब विवाद कर्नाटक में कुछ समय पहले शुरू हुआ था। कर्नाटक में ये विवाद उस समय गहराया था जब कॉलेज की लड़कियां हिजाब पहनकर अंदर जाना चाह रही थीं। वहीं कॉलेज प्रशासन ने उनको हिजाब में प्रवेश करने से मना कर दिया था। इसके बाद उडुपी के एक कॉलेज की 6 लड़कियों ने बवाल कर दिया था।

इन लड़कियों का कहना था कि हिजाब इस्लाम का हिस्सा है। ऐसे में उनको संविधान के हिसाब से हिजाब पहनने का अधिकार है। इन लड़कियों ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया यानि CFI की ओर से किए गए एक प्रोग्राम में प्रेस से भी वार्ता की थी। आयोजन का मकसद कॉलेज की ओर से इन छात्राओं को हिजाब में दाखिल न होने का विरोध करना था।

जानें हाईकोर्ट ने कैसे दिया झटका

हाईकोर्ट में 9 फरवरी को लड़कियों ने याचिका दाखिल की थी। इसके बाद 26 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मंगलवार को इस मामले में बड़ा फैसला आया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार के पास हिजाब पर बैन लगाने की शक्ति देने का अधिकार है। फैसले में कहा है कि हिजाब इस्लाम में जरूर नहीं है।

कोर्ट ने साफ कहा है कि स्कूल-कॉलेजों को यूनिफॉर्म तय करने का अधिकार है। यूनिफॉर्म के हिसाब से ही छात्र-छात्राओं को कॉलेज में आना होगा। फैसले से साफ हो गया है कि हिजाब पहनकर मुस्लिम लड़कियां अब कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में दाखिल नहीं हो सकेंगी। उनको तय यूनिफॉर्म के हिसाब से ही स्कूल आना होगा।

जमकर हुई थी राजनीति

हिजाब विवाद पर जमकर राजनीति शुरू हो गई थी। कॉलेज के छात्र ही हिजाब का विरोध करने लगे थे। वहीं राजनेता भी इस मामले पर टिप्पणी दे रहे थे। हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तो विवाद को धार्मिक रंग देना भी शुरू कर दिया था। उन्होंने इसके लिए भाजपा को हिन्दुत्ववादी एजेंडे की सरकार बता दिया था।

उन्होंने इस विवाद को इस्लाम पर हमला बताया था। साथ ही कहा था कि वो अपनी बेटी को हिजाब पहनाएंगे। आपको बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद पूरे कर्नाटक में कानून व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। फैसले के बाद से विरोध प्रदर्शन और हिंसा होने की आशंका है।

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