अध्यात्म

आज भी धरती पर जिंदा है भगवान शिव के 2 अवतार, जाने इसके पीछे की पौराणिक कथा

कहते हैं जब-जब धरती पर पाप का घड़ा भर जाता है, तब-तब भगवान धरती पर अवतार लेते हैं। वह बुराई का नाश कर धरती पर अच्छाई लाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्‍णु और भगवान शिव अब तक धरती पर कई अवतार ले चुके हैं। कुछ शास्त्रों में भगवान शिव और भगवान विष्‍णु के कलियुग के अवतारों का जिक्र भी देखने को मिलता है।

मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्‍णु कलियुग में कल्कि का अवतार लेकर प्रकट होंगे। वहीं कहा जाता है कि भोलेनाथ के दो अवतार आज भी इस धरती पर मौजूद हैं। ये दो अवतार हैं भगवान हनुमान और महाभारत काल के योद्धा अश्‍वत्‍थामा। जहां एक तरफ भगवान हनुमान को आज भी हर घर में पूजा जाता है तो वहीं दूसरी तरफ अश्‍वत्‍थामा के को लेकर कहा जाता है कि वे आज भी घने जंगल में कहीं भटक रहे हैं।

हनुमान को मिला था मां सीता से आशीर्वाद

हनुमान जी का जन्म वानरराज केसरी की पत्‍नी अंजनी की कोख से हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उन्हें भगवान शिव का रूप भी माना जाता है। हनुमान जी को अमरता का वरदान मां सीता से मिला था। ये तब की बात है जब रावण ने सीता का हरण कर लिया था।

फिर हनुमान माता सीता को खोजते हुए समुद्र लांघ कर लंका पहुंच गए थे। यहां हनुमान की भक्ति से खुश होकर मां सीता ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया था। कहते हैं कि इसी अमरता के वरदान के चलते हनुमान जी आज भी जीवित हैं। वे दुनिया में कहीं पहाड़ी पर बैठ ध्यान मुद्रा में लीन हैं।

अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण ने दिया था श्राप

गुरु द्रोणाचार्य के घर अश्‍वत्‍थामा का जन्‍म हुआ था। उन्हें शिव का रूप भी कहा जाता है। इसकी वजह ये है कि लिए दोणाचार्य ने घोर तपस्या कर शिवजी से वरदान मांगा था कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्‍म लें। इसके बाद तब सवन्तिक रूद्र के अंश से अश्वत्थामा इस दुनिया में आए थे।

महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद कौरवों की हार हो गई थी। ऐसे में अश्वत्थामा ने रात को सोते समय पांडवो के पांचों पुत्रो की हत्‍या कर दी थी। इस दौरान उन्होंने उत्तरा के गर्भ को भी नष्ट किया था। इसके लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया था।

अश्वत्थामा की इस हरकत से भगवान श्री कृष्ण  नाराज हो गए थे। उन्होंने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम चिरकाल तक पृथ्वी पर जीवित रहोगे। हमेशा इधर उधर भटकते रहोगे।

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