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जब अपने जन्मदिन पर ही गुरु दत्त को गिरवाना पड़ा था अपना आलीशान बंगला, जानें क्या थी वजह?

हिंदी सिनेमा के मशहूर निर्देशक गुरु दत्त अपनी बेहतरीन फिल्मों के लिए जाने जाते थे। वह अपनी फिल्मों में इस तरह के किरदार उतारते थे जो हमेशा के लिए अपनी छाप छोड़ जाते थे जबकि इसके इतर गुरुदत्त की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं रही। शानो शौकत की जिंदगी जीने वाले गुरु दत्त की जिंदगी में कभी किसी चीज की कमी नहीं रही।

उन्हें वो हर चीज हासिल हुई जिसको उन्होंने चाहा, लेकिन फिर भी गुरु दत्त अपनी जिंदगी से खुश नहीं थे और उन्होंने करीब 2 बार आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी। इतना ही नहीं बल्कि गुरुदत्त ने अपने जन्मदिन के मौके पर ही अपने आलीशान बंगले को गिरवा दिया था। आइए जानते हैं गुरु दत्त के जीवन से जुड़ा यह खास किस्सा?

guru dutt

बता दें, यह किस्सा साल 1963 का है, जब गुरु दत्त मुंबई के पाली हिल में स्थित अपने आलीशान बंगले में रहा करते थे। यह बंगला उनके सपनों के महल जैसा था और उन्होंने इस बंगले को बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया हुआ था। लेकिन इसी बीच गुरुदत्त के इस बंगले को लेकर लोग कहते रहते थे कि यह एक भूतिया बंगला है।

वही गुरुदत्त की पत्नी गीता दत्त भी अक्सर कहती थी कि उन्हें ये बांग्ला पसंद नहीं है और ना ही वे इससे खुश थी। इतना ही नहीं बल्कि वह अक्सर कहती थी कि गुरुदत्त के इस बंगले में एक पेड़ पर भूत रहता है जो हमेशा ही उनकी जिंदगी में अपशगुन लेकर आता है। गीता को बंगले में रखी बुद्ध भगवान की मूर्ति भी पसंद नहीं थी।

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ये वही समय था जब गुरुदत्त और गीता दत्त की जिंदगी में काफी बवाल हो चुका था और दोनों के बीच अनबन चल रही थी। इसी दौरान गुरुदत्त ने करीब 2 बार आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा था, हालांकि उन्होंने इस तरह का कदम नहीं उठाया। इसी बीच जब गुरुदत्त से उनके एक दोस्त ने पूछा कि तुम मरना क्यों चाहते हो? तुम्हारे पास तो सब कुछ है फिर अब तुम अपनी जिंदगी से खुश क्यों नहीं हो?

इसके जवाब में गुरुदत्त ने कहा था कि, “इस जिंदगी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। इसलिए मैं अपनी जिंदगी से असंतुष्ट नहीं हूं। मैं खुद से और खुद में असंतुष्ट हूं। हां मेरे पास धन-दौलत, शोहरत सब कुछ है। लेकिन मेरे पास शांति नहीं है। अगर वह मिल जाती, तो जिंदगी जीने लायक हो जाती।”

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जब 9 जुलाई 1963 को गुरु दत्त का जन्मदिन आया तो वह अपने जन्मदिन को सेलिब्रेट नहीं करना चाहते थे। इतना ही नहीं बल्कि अपने जन्मदिन के दिन वह उस हर सपने को मिटाना चाहते थे जिसको उन्होंने बेहद ही प्यार से सजाया था। ऐसे में उन्होंने इसकी शुरुआत अपने आलीशान बंगले को तोड़कर की। अपने जन्मदिन के दिन ही गुरुदत्त ने कुछ मजदूरों को बुलाया और उन्होंने इस आलीशान बंगले को तुड़वा दिया।

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बता दें, जब गुरुदत्त ने अपनी इस बंगले को गिरवाया तो हर कोई हैरान रह गया था। सब यही जानना चाहते थे कि आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से गुरुदत्त अपने इस महल जैसे घर को गिरा रहे हैं? जब गुरुदत्त से इसका कारण पूछा गया तो वह खामोश रहे और उन्होंने इस बंगले की तरफ देखते हुए बस एक ही जवाब दिया था कि, “गीता की वजह से”

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बता दें, गुरुदत्त ने अपने करियर में ‘कागज के फूल’, ‘प्यासा’, ‘आरपार’, ‘साहिब बीवी और गुलाम’, ‘चौदहवी का चांद’ और ‘मिस्टर एंड मिसेस 55’ जैसी कई सुपरहिट फिल्मों का निर्माण किया और उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल भी रही।

19 जुलाई 1925 को बेंगलुरु में जन्मे गुरुदत्त 10 अक्टूबर साल 1964 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। बता दे गुरुदत्त भले ही दुनिया से चले गए हो लेकिन हमेशा ही वह अपनी फिल्मों के जरिए फिल्म इंडस्ट्री में जिंदा रहेंगे।

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