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वो शख्स जिसके जीवन पर बनी है अमिताभ बच्चन की ‘झुंड’, बेहद दिलचस्प है इनकी कहानी

हिंदी सिनेमा के ‘महानायक’ कहे जाने वाले मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन की आगामी फिल्म ‘झुंड’ शुक्रवार 4 मार्च को बड़े पर्दे पर रिलीज होने के लिए तैयार हैं। बता दें, इस फिल्म का निर्माण नागराज पोपटराव मंजुले द्वारा किया गया है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है जिसे फैंस द्वारा खूब प्यार मिल रहा है। ऐसे में अब फैंस इस फिल्म को देखने के लिए भी काफी उत्साहित है।

अमिताभ बच्चन की यह फिल्म एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है जो लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। बता दें, अमिताभ बच्चन की यह फिल्म रिटायर खेल प्रोफेसर विजय बरसे की जिंदगी पर आधारित है जिन्होंने गरीब बच्चों की जिंदगी को सवारने का काम किया है। आइए जानते हैं विजय बरसे की जीवन के बारे में।

amitabh bachchan

बता दें, विजय बरसे उस दौरान काफी सुर्खियों में रह रहे थे, जब उन्होंने आमिर खान के शो ‘सत्यमेव जयते’ में शिरकत की थी। इस दौरान उनका नाम काफी चर्चा में रहा था और लोग उन्हें पहचानने लगे थे। इसी शो के दौरान विजय बरसे ने खुलासा किया था कि साल 2000 में वह नागपुर के हिसलोप कॉलेज में एक खेल टीचर के रूप में काम किया करते थे।

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इसी दौरान उनकी नजर कुछ बच्चों पर पड़ी जो बारिश में एक टूटी बाल्टी से खेल रहे थे। वह बच्चे इस बाल्टी को बॉल समझकर लात मार रहे थे जिन्हें देखकर विजय बरसे के दिमाग में इन बच्चों के लिए कुछ करने का विचार आया और उन्होंने पूरा जीवन गरीब बच्चों जिंदगी संवारने में लगा दिया।

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इंटरव्यू के दौरान विजय बरसे ने कहा कि, जब उन्होंने गरीब बच्चों को फुटबॉल खेलने के लिए बुलाया था तो कई सारे बच्चे असहज स्थिति में थे। उन्होंने गंदे मेले कपड़े हुए पहने हुए थे, धीरे-धीरे उनके पास कई सारे बच्चे आने लगे। इसके बाद विजय ने अपने कुछ दोस्तों के साथ एक टूर्नामेंट आयोजित किया जिसमें सिर्फ वही बच्चे भाग ले सकते थे जो गरीब और झुग्गी झोपड़ी वाले थे।

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इसके बाद साल 2001 में विजय बरसे ने स्लम सॉकर की स्थापना की जिसमें करीब 128 टीमों ने भाग लिया। आमिर खान के शो में विजय बरसे ने कहा था कि, “मैंने सोचा कि ये बच्चे राष्ट्र के भविष्य निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं। एक टीचर के तौर पर वे और क्या दे सकते थे। इस तरह उन्होंने 2002 में एक झोपड़पट्टी फुटबॉल की जर्नी की शुरुआत की”

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धीरे धीरे विजय बरसे की जर्नी शुरू हुई और वह स्लम सॉकर के नाम से मशहूर हो गए। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपनी टीम का नाम स्लम सॉकर क्यों रखा तो उन्होंने कहा था कि, “मैं जानता था कि सभी खिलाड़ी झोपड़दपट्टी के रहने वाले हैं और मुझे केवल उनके लिए काम करना है इसलिए मुझे इस नाम को जारी रखना चाहिए।”

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इसके कुछ दिन बाद ही विजय बरसे पॉपुलर हो गए और हर कोई उनके साथ जुड़ना चाहता था। इतना ही नहीं बल्कि हर माता-पिता चाहते थे कि विजय बरसे उनके बच्चों को ट्रेनिंग दे। कहा जाता है कि शुरुआत में विजय बरसे का साथ किसी ने नहीं दिया था।

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जब अमेरिका में उनके बेटे ने अखबार में उनके पिता के बारे में पढ़ा तो वह तुरंत अपने पिता की मदद करने के लिए भारत आ गया। इसके बाद उन्हें साल 2007 में केपटाउन बुलाया गया, जहां वे नेलसन मंडेला से मिले। इस बारे में विजय बरसे ने बताया कि, “मुझे उस दिन मेरे काम के लिए सबसे बड़ी पहचान मिली, जब उन्होंने मुझ पर हाथ रखा और कहा- मेरे बेटे, तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो।”

बता दें, साल 2012 में विजय बरसे को सचिन तेंदुलकर के द्वारा रियल हीरो पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अब उनके जीवन पर अमिताभ बच्चन जैसे महानायक भूमिका निभा रहे हैं, ऐसे में वह एक बार फिर तेजी से चर्चा में हैं। अब देखना ये हैं कि, उनके जीवन पर बनीं फिल्म धमाल कर पाती है या नहीं?

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