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‘दारोगा जी कभी पत्नी को ले जाते हैं, कभी बेटी को..3-4 घंटे बाद छोड़ते हैं’

सीएम हाउस के बाहर न्याय की गुहार लगाने पहुंचे पीड़ित ने बयां की हैरानी भरी दास्तां, बैठा हुआ है धरने पर

मध्य प्रदेश पुलिस के एक टीआई पर बहुत ही गंभीर आरोप लगा है। पीड़ित शख्स ने आरोप लगाया है कि टीआई कभी उनकी पत्नी को तो कभी उनकी बेटी को अपने साथ लेकर चले जाते हैं, और जब वो थाने पहुंचते हैं तो वहां नहीं मिलते, फिर 3-4 घंटे बाद वापस छोड़ जाते हैं। ये परिवार भोपाल में मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरने पर बैठा हुआ है। क्या है पूरा मामला आपको आगे बताते हैं।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भिंड जिले का रहने वाला एक परिवार सीएम हाउस के बाहर न्याय की गुहार लगाते हुए धरने पर बैठा हुआ है। पीड़ित परिवार ने भिंड देहात थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

परिवार के साथ धरने पर बैठे युवक ने बताया कि कभी टीआई उसकी पत्नी को साथ ले जाते हैं तो कभी उसकी बेटी को। टीआई की हरकतों से परेशान होकर उन्होंने एसपी से भी शिकायत की और न्याय की गुहार लगाई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद अब परिवार भोपाल में सीएम हाउस के बाहर धरने पर बैठ गया है।

टीआई पर बेहद गंभीर आरोप

सीएम हाउस के बाहर पत्नी और बेटी के साथ धरने पर बैठे पीड़ित ने बताया कि वो भिंड जिले के नुन्हाटा गांव का का रहने वाला है। वर्तमान में वह भिंड के वार्ड नंबर-11 में रहता है। उसका अपने मकान मालिक के साथ मकान खरीदने को लेकर अनुबंध हुआ था जिसका पैसा भी वो मकान मालिक को दे दिया है।

लेकिन पैसे लेने के बाद मकान मालिक गायब हो गया और देहात थाना प्रभारी रामबाबू यादव से मिल गया। इसके बाद से ही टीआई रामबाबू यादव मुझे और मेरी पत्नी को परेशान कर रहा है।

गुंडों की तरह रात को आकर कभी मेरी बीवी को ले जाता है तो कभी मेरी बेटी को…पीड़ित ने बताया कि जब वो पत्नी या बेटी को ढूंढते हुए थाने पहुंचता है तो पता चलता है कि वहां तो किसी को नहीं लाया गया है। तीन से चार घंटे तक टीआई उन्हें अपने साथ रखते हैं और फिर वापस छोड़ देते हैं।

शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

पीड़ित ने आगे बताया कि उसने टीआई रामबाबू यादव की हरकतों की शिकायत एसपी से भी की लेकिन एसपी ऑफिस के अफसर भी टीआई की ही तरफदारी करते हैं और उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्थानीय स्तर पर न्याय न मिलने से परेशान होकर अब वो परिवार सहित भोपाल आया है और सीएम हाउस के बाहर बैठक न्याय का इंतजार कर रहा है।

पीड़ित शख्स के आरोप में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन कई बार कुछ पुलिसवाले रक्षक के बजाय भक्षक बन जाते हैं।

पुलिसिया रौब में चूर कुछ पुलिसवाले गुंडों की तरह दबंगई करते हैं और कमजोर और मजबूर लोगों की रक्षा करने के बजाय उनका शोषण और उत्पीड़न करते हैं। अगर आरोप में सच्चाई सामने आये तो ऐसे पुलिसवालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि कोई पुलिसवाला अपने रौब का गलत इस्तेमाल ना कर सके।

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