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बेटी के हाथ में बप्पी दा ने तोड़ा दम, निधन के बाद जानिए उनके सोने-चांदी का कौन होगा मालिक?

हिंदी सिनेमा के एक और दिग्गज़ कलाकार बप्पी लहरी इस दुनिया को अलविदा कह गए. मंगलवार और बुधवार रात को बप्पी दा का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. 69 साल की उम्र में बप्पी लहरी ने आख़िरी सांस ली. हिंदी सिनेमा और संगीत जगत अभी स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन के सदमे से उबर भी नहीं पाया था कि 10 दिनों के भीतर एक और गायक हमने खो दिया.

bappi lahiri

बप्पी लहरी एक बेहतरीन गायक होने के साथ ही मशहूर संगीतकार भी थे. उन्होंने हजारों की संख्या में गानों को संगीत दिया था. 80 और 90 के दशक में बप्पी लहरी काफी लोकप्रिय रहे. उन्होंने हिंदी सिनेमा के संगीत को एक अलग और ख़ास मुकाम पर पहुंचाया था. उनका संगीत, उनके गाने हर किसी को झूमने पर मजबूर करता है. लेकन वे अब सभी को रुलाकर चले गए.

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बप्पी दा अपने गानों और अपने संगीत के साथ ही एक ख़ास चीज को लेकर भी हमेशा चर्चाओं में रहे. दरअसल, इस बात से देश-दुनिया परिचित है कि बप्पी लहरी हमेशा सोने चांदी से लदे हुए रहते थे. वे कई ग्राम सोना और चांदी हमेशा पहनकर रखते थे. उनके गले में सोने की कई चेन होती थी. वहीं उनके हाथ में कड़े, ब्रेसलेट भी होते थे. वे ये सब सोने-चांदी के पहनते थे.

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बप्पी दा के जाने के बाद अब एक सवाल यह भी उठता है कि अब उनका सोना, चांदी आदि सब किसका होगा. वे जो सोना-चांदी पहने थे वो किसे मिलेगा. इसका खुलासा हो चुका है. कोइ सोच रहा है कि यह उनके बच्चों का हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. तो आइए आपको बताते है कि आखिर उस सोने का क्या होगा.

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बप्पी दा के एक करीबी ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि, ”सोने से उनका बहुत करीबी रिश्ता था. उनके लिए ये सिर्फ आभूषण नहीं थे, वो जानते थे कि अब ये उनका सिग्नेचर लुक बन चुका है.

कई बार जब लोग बप्पी दा की सोनी चेन के साथ सेल्फी के लिए पूछते थे तो सिंगर बहुत विनम्रता से मना कर देते थे. वो नहीं चाहते थे कि कोई उनकी चेन को हाथ लगाए. इसलिए जब कोई उनके पैर छूने आता था तो वो उनसे थोड़ी देरी बनाने की कोशिश करते थे”.

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उन्होंने आगे बताया है कि, ”बप्पी दा के पास सोनी की अंगूठियां हैं, ब्रैसलेट्स हैं, गणेश जी हैं, डायमंड लगे सोने के ब्रैसलेट हैं, गोल्ड के फ्रेम और कफलिंग्स भी हैं. फिलहाल ये सब चीज़ें बॉक्स में बंद अलमारी में रखी हुई हैं. बप्पी दा के बच्चों ने इन्हें संरक्षित रखने का फैसला किया है. वो अपने पिता की लेगेसी को इसी तरह बरकार रखना चाहते हैं”.

बेटी से बप्पी दा ने की थी आख़िरी बार बात, बेटी के हाथ में ही तोड़ा दम…

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आगे बप्पी दा और उनके परिवार के एक करीबी ने यह भी कहा कि, ”बप्पी दा ने बेटी के हाथों में अपना दम तोड़ा है. रीमा वो आखिरी शख्स थीं जिनसे बप्पी दा ने बात की थी, मतलब बप्पी दा ने आखिरी बार अपनी बेटी से बात की थी. उनके निधन से पूरा परिवार बुरी तरह टूट गया है”.

बता दें कि 27 नवंबर 1952 को बप्पी दा का जन्म बंगाल में हुआ था. शुरू से ही उन्हें संगीत की शिक्षा और इसकी विरासत अपने माता-पिता से मिली थी. महज 19 साल की उम्र में उन्होंने बंगाल छोड़ दिया था और फिल्मों में करियर बनाने के लिए वे मुंबई आ गए थे.

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