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‘पापा आपके राज में कोई खुश नहीं रह सकता’ लिखकर लगा दी छलांग : फैशन डिजायनर का दर्दनाक अंत

दिल्ली से सटे गाजियाबाद से दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां एक युवा फैशन डिजायनर ने बिल्डिंग की 11वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी।युवती का नाम आयुषी दीक्षित बताया जा रहा है। वारदात के वक्त फ्लैट में युवती की मां भी मौजूद थी। आयुषी के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसकी जांच की जा रही है।

यह वारदात गाजियाबाद के नंद ग्राम इलाके के राज नगर एक्सटेंशन में सृष्टि सोसायटी में हुई। मेरठ के कंकर खेड़ा के रहने वाले सतीश दीक्षित का परिवार सोसाइटी के प्लॉट नंबर 1101 रहता है। सतीश दीक्षित की मेरठ रोड पर अपनी एक फैक्ट्री है। सतीश की बेटी आयुषी नोएडा में गौरव स्टूडियो में फैशन डिज़ाइनर है. जानकारी के अनुसार, आयुषी की कंपनी ने पिछले दिनों करीना कपूर की ड्रेस भी डिजाइन की थी।

25 साल की आयुषी सोमवार रात करीब 8 बजे फ्लैट की बालकनी में पहुंची, जहां उसने कुर्सी. रखी और उस पर चढ़कर रेलिंग से नीचे कूद गई। जोरदार आवाज सुनकर गार्ड मौके पर पहुंचा। जानकारी होने पर लोगों की भीड़ लग गई। सभी ने घायल युवती को तुरंत अस्पताल पहुंचाया लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने युवती को मृत घोषित कर दिया।

पुलिस को मिला सुसाइड नोट

पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में लिखा गया है कि नौकरी के तनाव के चलते  खुदकुशी कर रही हूं। सुसाइड नोट में यह भी लिखा गया है कि जो मुकाम हासिल करना चाहती थी, वह नहीं हासिल कर सकी। इसके अलावा सुसाइड नोट में अपने पिता का जिक्र करते हुए लिखा है ‘पापा आपके राज में कोई खुश नहीं रह सकता”। नौकरी के तनाव के साथ आयुषी ने अपने पिता के लिए जो लिखा, पुलिस इसके बारे में भी जांच भी कर रही है।

वहीं परिजनों ने पुलिस को बताया कि सुसाइड के दिन सुबह से ही आयुषी परेशान थी। उसने चाय भी नहीं पी थी। आयुषी की एक बहन और एक भाई है। आयुषी ने हिमाचल के कांगड़ा से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया था। उसके बाद करीब 3 साल से नोएडा के सेक्टर 5 में स्थित गौरव स्टूडियो में फैशन डिजाइनिंग कर रही थी।

आजकल के युवा बड़े-बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए सबकुछ भूल जाते हैं, लेकिन जब सपने पूरे नहीं होते तो बहुत जल्द टूट जाते हैं और आत्महत्या जैसा भयानक और कायरतापूर्ण कदम उठा लेते हैं। बड़े सपने देखना अच्छी बात है, सपने को पूरा करने के लिए पूरी कोशिश करना भी अच्छी बात है लेकिन इस दौरान इस बात को याद रखना बहुत जरूरी है कि सपने तभी हैं जब जिंदगी है। जिंदगी नहीं तो सपने भी नहीं।इसलिए जिंदगी सबसे अनमोल है उसकी रक्षा मनुष्य का पहला धर्म है, सपने उसके बाद हैं। यह बात व्यक्ति ही नहीं, परिवार और समाज को भी अपने मन में बिठा लेनी चाहिए।

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