बॉलीवुड

धर्मेंद्र के आते ही जींस उतार कर सलवार सूट पहन लेती थी ईशा देओल, जबेटी ने खोली पापा की पोल

एक पिता और बेटी का रिश्ता बड़ा ही पवित्र होता है। बेटियां अक्सर मां की बजाय पिता के अधिक करीब होती हैं। शायद इसलिए उन्हें पापा की परी भी कहा जाता है। बेटियों की सुरक्षा और परवरिश को लेकर हर बाप बड़ा चिंतित रहता है। कई बार बेटियां खुलकर और आजादी से लाइफ जीना चाहती है, लेकिन पिता उन पर पाबंदियां थोप देता है।

धर्मेंद्र के बेहद करीब है बेटी ईशा

यदि आपको लगता है कि पाबंदी लगाने वाली बात सिर्फ गरीब और मिडिल क्लास लोगों तक ही सीमित होती है, तो ऐसा नहीं है। बॉलीवुड के हीमेन कहे जाने वाले धर्मेंद्र भी अपनी बेटियों ईशा देओल और आहना देओल पर कई पाबंदियाँ लगाते थे। धर्मेंद्र की इस सोच का खुलासा खुद उनकी बड़ी बेटी ईशा देओल ने किया था।

ईशा देओल फिल्मों में अब कम ही दिखती हैं। खासकर शादी के बाद से उनका फिल्मों में आना लगभग बंद हो गया है। हालांकि वे आज जिस भी मुकाम पर खड़ी हैं, उसके लिए अपने पेरेंट्स (धर्मेंद्र और हेमा मालिनी) को शुक्रिया कहती हैं। ईशा अपने पिता धर्मेंद्र के बेहद करीब हैं। बाप बेटी के बीच बहुत प्यार है। एक इंटरव्यू में ईशा ने अपने पिता धर्मेंद्र से जुड़ी कुछ हैरतंगेज बातों का खुलासा किया था।

धर्मेंद्र नहीं चाहते थे बेटी हीरोइन बने

ईशा देओल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता उन्हें लेकर बहुत पजेसिव और ऑर्थोडॉक्स थे। वे नहीं चाहते थे कि ईशा फिल्मों में आए और हीरोइन बने। जबकि वे खुद एक अभिनेता थे। वहीं उनकी बीवी हेमा मालिनी भी बॉलीवुड में एक्टिव थी।

इस बारे में ईशा बताती है कि तब उन्होंने शायद महसूस किया था कि लड़कियों को सुरक्षित तरीके से दुनिया से दूर रखा जाना चाहिए। शायद उन्हें लगा कि मैं फिल्मों में आई तो सुरक्षित नहीं रह पाऊँगी। हद तो तब हो गई थी जब धर्मेंद्र ने ईशा को डांस क्लासेस लेने से भी मना कर दिया था। स्टार्टिंग में वे इसके सख्त खिलाफ थे। हालांकि बाद में वह मान भी गए थे।

धर्मेंद्र के आते ही जींस उतार पहन लेती थी सलवार सूट

एक अन्य इंटरव्यू में ईशा ने बताया था कि उन्हें अपने पापा का बहुत खौफ भी था। मसलन जब उन्हें पापा धर्मेंद्र के घर आने की भनक लगती थी तो वे और उनकी बहन फौरन जींस टॉप उतार सलवार सूट पहन लेती थी। ईशा के अनुसार धर्मेंद्र उन्हें वेस्टर्न ड्रेस पहनने से मना करते थे।

मन पसंद करियर भी नहीं चुनने दिया

ईशा देओल को स्कूल के दिनों में फुटबॉल खेलना बड़ा पसंद था। वह इसमें इतनी माहिर हो गई थी कि इसे बतौर करियर देखने लगी थी। हालांकि धर्मेंद्र ने उनसे कहा कि तुम फुटबॉल मनोरंजन के लिए भले खेल लो, लेकिन इसमें करियर मत बनाना। इस तरह ईशा का ये सपना भी चकनाचूर हो गया।

समय के साथ बदली सोच

ईशा देओल बताती हैं कि जैसे जैसे समय बीतता चला गया, आसपास का माहौल और दुनिया बदलने लगी, वैसे वैसे धर्मेंद्र की सोच और ख्याल भी बदलने लगे। वह थोड़े खुले विचारों के हो गए। उन्होंने धीरे-धीरे अपने बच्चों पर अपनी मर्जी थोपना बंद कर दिया। उन्हें वह करने दिया जो वे चाहते थे।

ईशा कहती हैं कि धर्मेंद्र एक बेस्ट पिता हैं। वे बाहर से जीतने सख्त हैं, अंदर से उतने स्वीट भी हैं। उन्होंने देर से ही सही, लेकिन हमे वह सबकुछ करने दिया जो हमने चाहा।

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