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दाऊद के जिगरी रहें छोटा राजन ही लेना चाहते थे दाऊद की जान, रची थी खत्म करने की साजिश
राजेंद्र सदाशिव निखल्जे यानी छोटा राजन। जी हां ये नाम तो आपने सुना ही होगा। मालूम हो कि यह वही शख्स है जो एक समय दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का काफ़ी जिगरी था। वैसे हम आपको बता दें कि छोटा राजन की इतनी सी पहचान नहीं, बल्कि दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का जिगरी होने से पहले राजन की अपनी एक अलग पहचान थी।
जी हां मालूम हो कि भले छोटा राजन (Chhota Rajan) कभी अंडवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का सबसे खास था। लेकिन उसकी एंट्री अपराध की दुनिया में सिनेमाघर से हुई थी। जी हां वो शंकर सिनेमा के बाहर ब्लैक में टिकट बेचाता था और फिर एक समय कुछ ऐसा वाकया घटित होता है कि वो अंडवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का खास बन गया, लेकिन आज हम आपको जो कहानी बताने जा रहें। वो इन दोनों के अलग होने की है।
आइए ऐसे में जानें कि आख़िर ऐसा क्या हुआ था? जिसकी वजह से एक समय दाऊद का जिगरी रहने वाला छोटा राजन ही उसके खात्मे की कहानी लिखने लगा।
बता दें कि यह कहानी है साल 1993 की। जब मुंबई में एक बम धमाका होता है औऱ यही वो घटना थी। जिसके बाद इन दो अंडरवर्ल्ड के जिगरी एक-दूसरे से अलग हो गए। इतना ही नहीं स्थिति कुछ ऐसी बन गई कि ये दोनों एक-दूसरे के खून के प्यासे बन गए। वहीं गौरतलब हो कि जब 1993 में मुम्बई बम धमाका हुआ। तो छोटा राजन डी-कंपनी यानी दाऊद से अलग हो गया। ऐसे में छोटा राजन और दाऊद गुट में भिड़ंत शुरू हो गई। इसके अलावा बात यहीं नहीं रुकी और डी-कम्पनी के छोटा शकील ने कई बार छोटा राजन को मारने के लिए गुंडे भेजे, लेकिन हर बार छोटा राजन बचता रहा।
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जब छोटा राजन को बाली से गिरफ्तार करके भारत लाया गया और उसे तिहाड़ जेल में रखा गया। उस दौरान भी उस पर हमले हुए। इसके अलावा इसी बीच साल 2020 में एक व्यक्ति गिरफ्तार होता है, जिसका नाम एजाज लकड़ावाला है। उसने जो खुलासे किए। उसने यह साबित किया कि अंडर वर्ल्ड में भी जब तक दोस्ती रहती तो ठीक है, वरना वहां भी लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं।
वैसे ऐसी धारणा के पीछे अपना मनोविज्ञान है और जब एजाज लकड़ावाला गिरफ्तार हुए तो उन्हें खुलासा करते हुए बताया था कि, “छोटा राजन ने भी साल 1998 में दाऊद को मारने की योजना बनाई थी, जो कि फेल हो गई थी।” मुंबई क्राइम ब्रांच के द्वारा गिरफ्तार किए गए एजाज ने अधिकारियों को इस बातचीत में बताया कि इस प्लान के फेल होने के बाद छोटा शकील ने उस पर और छोटा राजन पर भी विदेश में रहते वक्त हमला करवाया था।
इतना ही नहीं एक विश्वसनीय सूत्र के मुताबिक उस दौरान एजाज ने बताया था कि साल 1998 में छोटा राजन के करीबी फरीद तनाशा, विक्की मल्होत्रा, बालू डोकरे, बाबा रेड्डी, एजाज लकड़ावाला, विनोद मटकर और संजय घाटे जैसे गैंगस्टर व शार्प शूटर कराची पहुँचे थे और इस यात्रा में वह दाऊद को मारने की योजना लेकर आए थे, क्योंकि दाऊद अपनी बेटी मरिया की मौत के बाद दरगाह आने वाला था। वहीं इस दौरान विक्की मल्होत्रा, एजाज सहित अन्य लोग दाऊद का इंतजार कर रहे थे।
मालूम हो कि ऐसे में दाऊद कड़ी सुरक्षा के बीच दरगाह पहुंचा था लेकिन ऐन वक्त पर छोटा राजन ने फोन कर उन सभी को वहां से निकलने के कह दिया था। वहीं जब दाऊद को शूट करने गए लोगो ने राजन से इसका कारण पूछा था तो उसने बताया था कि दाऊद को अपने प्लान की भनक लग चुकी है। ऐसे में कुल-मिलाकर देखें तो गुंडागर्दी और दहशतगर्दी के क्षेत्र में भी संघर्ष और वजूद की लड़ाई वर्षों से चली आ रही है और कहीं न कहीं अपने वर्चस्व के लिए ही ये दो जिगरी एक-दूसरे से अलग होने को मजबूर हुए।