राजनीति

जानिये मुलायम की 40 साल पुरानी लव स्टोरी जब वो दिल दे बैठे थे साधना को, आज अखिलेश को दे रही दर्द

उत्तरप्रदेश की राजनीति में बहुत कुछ आजकल ऐसा घटित हो रहा है। जिसकी बीते समय में किसी ने कल्पना तक नहीं की होगी। वैसे राजनीति का नाम ही शायद इसलिए राजनीति है, क्योंकि यहां बहुत कुछ पहले से अपेक्षित नहीं होता है। अब एक उदाहरण यही देख लीजिए किसी को क्या पता था 2017 के विधानसभा चुनाव तक या उससे पहले कि योगी आदित्यनाथ भाजपा के मुख्यमंत्री बनेंगे। वह भी पूर्ण बहुमत के साथ। देखा जाए तो शायद योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात की कल्पना नहीं की होगी।

लेकिन आज हम आपको भाजपा और योगी आदित्यनाथ की कहानी नहीं बताने वाले, बल्कि हम चर्चा करने वाले हैं समाजवादी कुनबे की। जी हां वही समाजवादी कुनबा जिनके मुखिया कभी मुलायम सिंह रहें, लेकिन आजकल उनके पुत्र अखिलेश यादव पार्टी के खेवनहार बनें हुए हैं।

akhilesh yadav

वैसे बता दें कि बीते दिनों उनसे एक पत्रकार ने एक ऐसा सवाल पूछ लिया। जिसका जवाब देते हुए उन्हें नहीं बना और आपको बता दें ये इस वज़ह से हुआ, क्योंकि सवाल अपर्णा यादव से जुड़ा हुआ था। मालूम हो कि जो समाजवादी अभी तक योगी बाबा की सरकार को ललकार रही थी, वह अब घर मे हुई सर्जिकल स्ट्राइक से परेशान हैं। आइए ऐसे में समझे पूरी कहानी…

Akhilesh Yadav

बता दें कि अखिलेश यादव चंद दिन पहले तक यूपी फ़तह मानकर चल रहे थे। ऐसा हम नही कह रहे, बल्कि उनका चुनावी मिजाज कह रहा था, लेकिन अपर्णा यादव कुनबा छोड़कर भाजपाई क्या हुई? अब अखिलेश को जवाब देते नहीं बन रहा। जी हां शायद अखिलेश ने कभी इस बारे में सोचा भी नहीं होगा कि उनके परिवार से ही कोई अलग होकर उनके अभियान को नुकसान पहुँचाएगा, लेकिन भविष्य किसने देखा है औऱ शायद यह भविष्य 40 साल पहले अखिलेश यादव ने भी नहीं देखा था।

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जब वे 9 साल के थे। जी हां अब आप सोचेंगे कि हम आज की बात करते-करते सीधा अखिलेश के बचपन की बात कहां करने लगें। ऐसे में बता दें कि अतीत से भविष्य और वर्तमान हमेशा प्रभावित होता है और इसे कोई झुठला नही सकता और कुछ ऐसा ही अखिलेश के साथ भी हुआ।

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बता दें कि यह बात है करीब 40 वर्ष पहले की। जब कांग्रेस लगातार देश भर में टूट रही थी और विशेषकर यूपी में पिछड़ा वर्ग, खासकर के यादवों का दबदबा बढ़ रहा था। इसी दौरान एक नेता अपने राजनीतिक जीवन के उफान पर था और वो कोई और नहीं बल्कि अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव थे। गौरतलब हो कि उस दौरान जनता, पार्टी और नई उम्र की लड़कियां तक मुलायम सिंह यादव पर फिदा थी और उस समय उनकी उम्र थी महज 43 साल।

फिर क्या था उस दौरान अखिलेश बच्चे होने की वजह से भले राजनीति और इश्क दोनों को नही समझते थे। लेकिन उस दौरान मुलायम हर मामले में जानकर थे और तब भले ही समाजवादी पार्टी नहीं थी, लेकिन औरैया जिले के बिधूना के रहने वाले कमलापति की 23 साल की बेटी राजनीति में कुछ करना चाहती थी और उनका नाम था साधना गुप्ता।

ऐसे में साधना पार्टी में आती हैं और कुछ कार्यक्रमों में हिस्सा बनती है। इसके बाद इसी बीच मुलायम सिंह की उनसे नजर लड़ी। फिर उनकी प्रेम कहानी की शुरुआत हुई। बता दें कि पहले इस प्रेम कहानी के प्रति कोई बोलने को तैयार नही था, लेकिन फिर एक लेखिका सामने आती हैं जिनका नाम है सुनीता ऐरोन। उन्होंने अखिलेश यादव की बायोग्राफी ‘बदलाव की लहर’ लिखी थी। जिसमें उन्होंने इन दोनों की प्रेम कहानी की चर्चा की है।

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बता दें कि एक जगह सुनीता एरोन किताब में लिखती हैं कि, “मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी। उस समय साधना वहां मौजूद थीं और उन्होंने नर्स को ऐसा करने से रोक दिया। ऐसे में साधना की वजह से ही मूर्ति देवी की जिंदगी बची थी और यहीं से मुलायम साधना से इम्प्रेस हुए और दोनों की रिलेशनशिप शुरू हो गई। बाकी की सारी बातें तो आप जानते हैं।

वहीं अब जब अखिलेश से एक पत्रकार ने बीते दिनों यह सवाल पूछा कि, “अखिलेश जी अपर्णा बीजेपी में चली गईं। क्या कहेंगे? अखिलेश को जवाब देते नहीं बन रहा था। ऐसे में वो सिर्फ इतना ही कह पाए- उनको शुभकामनाएं।

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