राजनीति

सीएम योगी के खिलाफ गोरखपुर सदर से चुनाव मैदान में उतरे चंद्रशेखर आजाद: जानिए क्या हैं इसके मायने

भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। उनकी पार्टी आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने उन्हें गोरखपुर सदर सीट से टिकट दिया है। इससे पहले भीम आर्मी चीफ ने 18 जनवरी को यूपी की 33 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया था। गोरखपुर सीट से चंद्रशेखर के चुनाव लड़ने के क्या मायने हैं, और इस सीट का सियासी समीकरण क्या है आपको आगे बताते हैं।

बीजेपी की गढ रही है गोरखपुर सीट

गोरखपुर सदर से साल 2017 में भाजपा के राधा मोहन दास अग्रवाल ने 60 हजार के अंतर से जीत दर्ज की थी। यह सीट बीजेपी की गढ़ मानी जाती है और 1989 से भाजपा के पास है। बता दें कि इससे पहले चंद्रशेखर सपा से गठबंधन करने गए थे। लेकिन बाद में वह समाजवादी पार्टी से गठबंधन से पीछे हट गए थे।

चंद्रशेखर ने अखिलेश पर लगाया आरोप

चंद्रशेखर आजाद ने कहा था कि अखिलेश यादव को दलित वोट की जरूरत नहीं है, इसलिए सपा और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन नहीं होगा। इसके जवाब में अखिलेश यादव ने कहा था कि उन्होंने चंद्रशेखर को 2 सीटें ऑफर की थीं। वे मान भी गए थे, लेकिन बाद में किसी का फोन आया और वे पलट गए। आगे आपको बताते हैं कि चंद्रशेखर आजाद के योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने के क्या मायने हैं-

सीएम योगी के खिलाफ लड़ने के मायने

सवाल ये है कि चंद्रशेखर आजाद बीजेपी की गढ़ मानी जाने वाली सीट से क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं। सियासी एक्सपर्ट मानते हैं कि चंद्रशेखर आजाद के योगी के खिलाफ चुनाव लड़ने से वो लगातार चुनावी सुर्खियों में रहेंगे। गोरखपुर में छठे चरण में मतदान होना है इसका मतलब हुआ कि उन्हें इसके लिए लंबा वक्त भी मिलेगा। साथ ही वो अपने कैडर को भी ये संदेश देना चाहते हैं कि बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए उन्होंने योगी को उनके गढ़ में जाकर चुनौती दी है।



साथ ही चुनाव के नजरिए से सबसे कठिन माने जा रहे पूर्वांचल के इलाके में वो गोरखपुर से चुनाव लड़ कर इस क्षेत्र के वोटर को प्रभावित कर सकेंगे। चंद्रशेखर के मन चाहे जो वजह हो चुनाव नतीजों के बाद पता चल जाएगा कौन अपने मकसद में कितना कामयाब हुआ।

Back to top button