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यूपीए सरकार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को करना चाहती थी आतंकी घोषित, लेकिन फिर ये हुआ..

सांसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। विपक्ष इसे हाथ से जाने देने के लिए तैयार नहीं है। जब भी अन्साद का सत्र शुरू होता है विपक्ष कोई ना कोई ऐसा नया ड्रामा रचती ही है, जिससे सरकार के ऊपर प्रभाव पड़े। ऐसे में एक बहुत ही चौकाने वाला मामला सामने आया है। इस बार विपक्ष को इस खुलासे से निक्सन उठाना पड़ सकता है। हर बार विपक्ष आरोप लगाती थी, इस बार विपक्ष की बारी है।

यूपीए सरकार डालना चाहती थी आतंकवादी की सूची में:

अंग्रेजी न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ ने खुलासा किया है कि जब देश में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार थी तब वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को आतंकवादी की सूची में डालना चाहती थी। कांग्रेस ने मोहन भागवत को आतंकवादी घोषित करने की पूरी तैयारी कर ली थी। कांग्रेस ने मालेगांव और अजमेर में हुए बम ब्लास्ट के बाद से ही हिन्दू आतंकवाद की चर्चा शुरू कर दी थी।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी थी जाँच के मूड में:

कांग्रेस ने इसी हिन्दू आतंकवाद का सहारा लेकर मोहन भागवत को फँसाने की पूरी तैयारी कर ली थी। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के अधिकारीयों पर यूपीए सरकार ने दबाव भी डालना शुरू कर दिया था, ताकि मोहन भागवत को आतंकवादी की लिस्ट में डाला जा सके। टाइम्स नाउ ने यह खुलासा किया कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के कुछ अधिकारी मोहन भागवत के खिलाफ जाँच शुरू करने के मूड में थे। ये सभी अधिकारी यूपीए सरकार के दबाव में ऐसा कदम उठाने जा रहे थे।

हमले का प्रेरक बताया गया मोहन भागवत को:

उस समय देश के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे थे। इसकी इजाजत उन्होंने ही दे रखी थी। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत को हिरासत में लेने के निर्देश भी दे दिए थे। फ़रवरी 2014 में कारवां पत्रिका में स्वामी असीमानंद का साक्षात्कार छपा था। जिसमें इस हमले के लिए मोहन भागवत को प्रेरक बताया गया था। इसी को लेकर यूपीए सरकार ने मोहन भागवत को शिकंजे में लेने की पूरी तैयारी कर ली थी।

शरद कुमार ने कार्यवाई से कर दिया इनकार:

यूपीए सरकार के लाख दबाव के बाद भी राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के प्रमुख शरद कुमार ने किसी भी ऐसी कार्यवाई से साफ़ इनकार कर दिया। शरद कुमार चाहते थे कि स्वामी असीमानंद के इंटरव्यू वाले टेप की पहले फोरेंसिक जाँच की जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया, इसलिए इस मामले को बंद कर दिया गया। अगर कांग्रेस अपने उस इरादे में कामयाब हो जाता तो आज मोहन भागवत को एक देश भक्त के रूप में नहीं बल्कि एक आतंकवादी के रूप में जाना जाता।

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