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पीएम का ऐलान-26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’, जानिए क्यों दीवार में चुनवा दिए गए दसवें गुरु के बेटे

औरंगजेब ने गुरु गोविन्द सिंह के दोनों बेटों को ज़िंदा दिवार में चुनवा दिया था, जानिये उनकी शहादत की पूरी कहानी

सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर पीएम मोदी ने बड़ा ऐलान किया है। पीएम मोदी ने गुरु गोबिंद सिंह के शहीद बेटों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। दसवें गुरु के इन बेटों को मुगल बादशाह औरंगजेब के समय दीवारों में चुनवा दिया गया था। पीएम ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर पूरे देश को इस ऐलान की जानकारी दी। आगे आपको पीएम के ट्वीट और गुरु गोबिंद सिंह के बेटों को दीवार में क्यों चुनाव दिया गया इसके बारे में बताते हैं-


पीएम ने किया ट्वीट

पीएम ने गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश पर्व के अवसर पर ट्वीट किया कि-  ‘ यह साहिबजादों’ के साहस और न्याय स्थापना की उनकी कोशिश को उचित श्रद्धांजलि है। मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, उसी दिन मनाया जाएगा जिस दिन साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा फतेह सिंह जी ने दीवार में जिंदा चुनवा दिए जाने के बाद शहीदी प्राप्त की थी। इन दो महान हस्तियों ने धर्म के महान सिद्धांतों से विचलित होने के बजाय मौत को चुना।’

प्रधानमंत्री ने ट्वीट में आगे कहा, ‘माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और चार साहिबजादों की बहादुरी और आदर्शों ने लाखों लोगों को ताकत दी। उन्होंने कभी अन्याय के आगे सिर नहीं झुकाया। उन्होंने समावेशी और सौहार्दपूर्ण विश्व की कल्पना की। यह समय की मांग है कि और लोगों को उनके बारे में पता चले।’

पीएम की इस पहल को केंद्र सरकार की तरफ से सिखों की तरफ हाथ बढ़ाने की एक और कोशिश के रूप में देखा जा रहा है जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वो तीन कृषि कानूनों के कारण केंद्र सरकार और बीजेपी से नाराज है। प्रधानमंत्री ने ही पिछले वर्ष 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। ध्यान रहे कि उस दिन भी गुरु पर्व था। आगे आपको बताते हैं कि गुरु गोबिंद सिंह के बेटों को दीवार में क्यों चुनवा दिया गया-

साहिबजादों पर अत्याचार की दर्दनाक दास्तान

1704 में औरंगजेब के शासन काल का वो दिसंबर महीना था। मुगल सेना ने 20 दिसंबर को कड़कड़ाती ठंड में अचानक आनंदपुर साहिब किले पर धावा बोल दिया। गुरु गोबिंद सिंह उसे सबक सिखाना चाहते थे। लेकिन उनके दल में शामिल सिखों ने खतरे को भांप लिया और गुरु गोबिंद सिंह को इस वक्त वहां से निकलने की सलाह दी। गुरु गोबिंद सिंह भी जत्थे की बात मानकर पूरे परिवार के साथ आनंदपुर किला छोड़कर चल पड़े। सरसा नदी में पानी का बहाव बहुत तेज था। इस कारण नदी पार करते वक्त गुरु गोबिंद सिंह का परिवार बिछड़ गया।

गुरु गोबिंद और उनके दो बड़े साहिबजादे- बाबा अजित सिंह और बाबा जुझार सिंह चमकौर पहुंच गए। वहीं, गुरु गोबिंद सिंह की माता गुजरी, दोनों छोटे पोतों- बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के साथ रह गईं। उनके साथ गुरु साहिब का सेवक रहा गंगू भी था। वो माता गुजरी को उनके दोनों पोतों समेत अपने घर ले आया। कहा जाता है कि माता गुजरी के पास सोने के सिक्कों को देखकर गंगू लालच में आ गया और उसने इनाम पाने की चाहत में कोतवाल को माता गुजरी की सूचना दे दी।

माता गुजरी अपने दोनों छोटे पोतों के साथ गिरफ्तार हो गईं। उन्हें सरहंद के नवाब वजीर खान के सामने पेश किया गया। वजीर ने बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को इस्लाम स्वीकार करने को कहा। दोनों ने धर्म बदलने से इनकार कर दिया तो नवाब ने 26 दिसंबर, 1704 को दोनों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया और माता गुजरी को सरहिंद के किले से धक्का देकर मार दिया गया।

इतिहास क सबसे बड़ी शहादत

गुरु गोबिंद सिंह जी के परिवार की इस महान शहादत को आज भी इतिहास की सबसे बड़ी शहादत माना जाता है। अत्याचारी के आगे तन कर खड़े रहने और धर्म की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने की यह घटना मिसाल बन गई। श्रद्धावान आज भी हर वर्ष सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, 20 दिसंबर से लेकर 27 दिसंबर तक मनाते हैं।

इन दिनों गुरुद्वारों से लेकर घरों तक में बड़े स्तर पर कीर्तन-पाठ किया जाता है। इस दौरान बच्चों को गुरु साहिब के परिवार की शहादत के बारे में बताया जाता है। साथ ही कई श्रद्धावान सिख इस पूरे हफ्ते जमीन पर सोते हैं और माता गुजरी और साहिबजादों की शहादत को नमन करते हैं।

पीएम मोदी के ऐलान की सराहना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब दोनों साहिबजादों के बलिदान के दिन को हर वर्ष ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की तो केंद्रीय मंत्रियों से लेकर बीजेपी के अन्य नेता खुशी का इजहार करने लगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘वीर बाल दिवस’ मनाने के निर्णय से चार साहिबजादों की राष्ट्रभक्ति से न सिर्फ आज करोड़ों बच्चे प्रेरणा लेकर राष्ट्रसेवा में अपना योगदान दे पाएँगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक उनका बलिदान याद किया जाएगा। इसके लिए मोदी जी का अभिनंदन करता हूं।’

वहीं,बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि उन्होंने ही 26 दिसंबर को साहिबजादों के बलिदान दिवस के रूप में मनाने की मांग में अभियान छेड़ा था। वर्मा ने पीएम की इस पहल पर आभार जताया। उन्होंने कहा, 2018 में मैंने एक मुहिम शुरू की और संसद के एक-एक सांसद से मिलकर हस्ताक्षर अभियान शुरू किया की 26 दिसम्बर को चार साहिबजादों के बलिदान दिवस पर बाल दिवस मनाया जाए।आज इस ऐतिहासिक कार्य को पूरा करने के लिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का दिल से कोटि-कोटि धन्यवाद करता हूं।’

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