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भारत का एक पड़ोसी देश दीवालिया होने के कगार पर, जहां 100 ग्राम दूध खरीदना भी हो रहा मुश्किल

भारत का एक पड़ोसी देश और उसके निवासी इस समय बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। हालत ये है कि यह देश दिवालिया होने के कगार पर है और वहां के लोगों को खाने के लाले पड़ रहे हैं। बदहाली के दौर से गुजर रहा भारत का ये पड़ोसी देश श्रीलंका है। रोज 1 किलो से अधिक दूध और सब्जी खरीदने वाले लोग केवल 100 ग्राम दूध और 100 ग्राम सब्जी से अपना काम चला रहे हैं।

इस पड़ोसी देश की बदहाली की वजह हर उस देश के निवासी को जानना जरूरी है, जिस देश की आर्थिक हालत डावांडोल है। आपको एक-एक कर वो कारण बताते हैं जो श्रीलंका को दिवालिया बनाने की तरफ ले जा रहे हैं।

तेजी से बढ़ती महंगाई और खाने का संकट

श्रीलंका का आर्थिक संकट धीरे-धीरे गंभीर मानवीय संकट बन रहा है। महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ रही है। खाने-पीने की चीजें भी लोगों की पहुंच से दूर हो रही है। सरकारी दुकानों पर लंबी-लंबी लाइन लग रहगी है। चीनी और चावल के लिए सरकारी कीमत तय की गई लेकिन इससे भी लोगों की मुश्किलें खत्म नहीं हो रहीं।

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में ब्रिटिश अखबार द गार्जियन से अनुरुद्धा नाम के एक टैक्सी ड्राइवर ने कहा कि – मेरे गांव की दुकान में एक किलो दूध पाउडर के पैकेट को खोल कर 100-100 ग्राम के पैक तैयार किए जा रहे हैं, क्योंकि लोग एक किलो का पैकेट नहीं खरीद पा रहे।

अब हम 100 ग्राम बीन्स से ज्यादा सब्जी भी नहीं खरीद पा रहे हैं। मेरा परिवार तीन टाइम के बदले दो वक्त ही खाना खा रहा है। उधर कोविड महामारी, पर्यटन उद्योग की तबाही, बढ़ते सरकारी खर्च और टैक्स में जारी कटौती के कारण सरकारी खजाना भी खाली होता जा रहा है।

सरकार के फैसले से खेती पर पड़ा असर

पिछले साल सरकार ने अचानक सभी तरह के उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी थी। किसानों को सरकार ने ऑर्गेनिक खेती करने पर मजबूर किया था। सरकार के इस फैसले ने किसानों को घुटने के बल ला दिया था। किसानों के लिए  उर्वरक और कीटनाशक के बिना खेती करना मुश्किल था।

इसका नतीजा यह हुआ कि घाटे के डर से किसानों ने खेती करना बंद कर दिया। श्रीलंका में खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति में आई कमी के लिए सरकार का यह फैसला भी जिम्मेदार है। पिछले साल अक्टूबर महीने में सरकार ने फैसला वापस ले लिया, लेकिन अब किसान ऊंची कीमत पर आयातित उर्वरक लेने के लिए मजबूर हैं।

श्रीलंका पर बढ़ता कर्ज

कर्ज लेते समय जो सावधानी नहीं बरतता उसका बदहाली में जाना तय है। श्रीलंका के साथ भी ऐसा हुआ। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या है उसका बढ़ता विदेशी कर्ज। खास कर चीन का कर्ज। श्रीलंका पर चीन का पांच अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है। अभी पिछले साल ही श्रीलंका ने आर्थिक संकट से बचने के लिए एक अरब डॉलर का और कर्ज ले लिया था। अब इन कर्जों के भुगतान करने की बारी है। अगले 12 महीनों में श्रीलंका की सरकार और वहां के निजी सेक्टर को एक अनुमान के मुताबिक घरेलू और विदेशी कर्जों के रूप में 7.3 अरब डॉलर का भुगतान करना है। दूसरी तरफ नवंबर तक श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 1.6 अरब डॉलर ही बचे थे।

क्या डिफॉल्टर हो जाएगा श्रीलंका?

श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने आश्वस्त किया है कि श्रीलंका धीरे-धीरे विदेशी कर्ज चुका देगा लेकिन श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के पूर्व उप-गवर्नर के अनुसार, श्रीलंका के डिफॉल्टर होने का पूरा खतरा है और ऐसा हुआ तो इसके बहुत बुरे अंजाम होंगे। कर्ज नहीं चुकाने के कारण ही श्रीलंका को हंबनटोटा पोर्ट के साथ 15000 एकड़ जमीन चीन को सौंपनी पड़ी थी।

श्रीलंका ने चीन को जो इलाका सौंपा है, वो भारत से महज 100 मील की दूरी पर है। भारत के लिए इसे सामरिक रूप से खतरा बताया जा रहा है। ऐसे में, श्रीलंका का नया आर्थिक संकट भारत के लिए भी चिंता की बात है।

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