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‘सिंघम’ IPS अफसर शिवदीप लांडे को कोसी रेंज का चार्ज: सहरसा में लांडे का लिपि सिंह ने किया वेलकम

देश के सबसे तेज तर्रार पुलिस अफसरों में एक माने जाने वाले आईपीएस शिवदीप लांडे को बिहार के कोसी रेंज की कमान सौंपी गई है। शिवदीप लांडे ने कोसी रेंज के डीआईजी का चार्ज संभाल लिया है। कोसी रेंज के जिले सहरसा की एसपी लिपि सिंह ने फूलों का गुलदस्ता देकर उनका स्वागत किया। पदभार ग्रहण करते ही लांडे ने सख्त अंदाज में कहा कि कोसी रेंज के अंदर आने वाले तीनों जिलों सुपौल, सहरसा और मधेपुरा में अपराधियों के खिलाफ पुलिस बेहद सख्त एक्शन लेगी।

लांडे ने हर सहयोग का दिया भरोसा

पदभार ग्रहण करने के बाद लांडे ने कहा – मुझे काफी अच्छा लगा क्योंकि बाजू में अररिया है, जहां मैं एसपी के तौर पर कार्यरत था। कोसी रेंज मेरे लिए नया नहीं है, तीनों जिलों के एसपी पर मैं विश्वास करता हूं। वे अच्छा काम करेंगे। उनको अगर कुछ मामलों में गाइडलाइन चाहिए होगी, तो उनको मेरी तरफ से पूरा कोऑपरेशन मिलेगा।

शिवदीप लांडे की सिंघम अफसर के रूप में पहचान

महाराष्ट्र के अकोला जिले के परसा गाँव में एक किसान परिवार में जन्मे शिवदीप लांडे 2006 बैच के आईपीएस अफसर हैं। बिहार कैडर के अधिकारी शिवदीप लांडे की पहली नियुक्ति मुंगेर जिले के नक्सल प्रभावित जमालपुर में हुई थी। पटना में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी अनोखी कार्यशैली के कारण शिवदीप पूरे देश में प्रसिद्ध हो गये। पटना में शिवदीप ने मनचलों को खूब सबक सिखाया था।

लड़कियां खुद को सुरक्षित महसूस करने लगी थीं। छात्राओं के मोबाइल में उनका नंबर जरूर रहता था। पटना से जब उनका अररिया तबादला हो गया तो लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। रोहतास में कार्यकाल के दौरान शिवदीप ने खनन माफियाओं की नींद उड़ा दी थी।

फिल्मी अंदाज में उन्होंने खुद जेसीबी चलाकर अवैध स्टोन क्रेशरों को नष्ट करना शुरू किया तो माफियाओं में हड़कंप मच गया। इस अभियान के बाद पुनः उनका तबादला कर दिया गया। लेकिन वे जहाँ भी रहते हैं, अपराध से समझौता नहीं करते हैं। उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा तीन साल के लिए महाराष्ट्र में प्रतिनियुक्ति भी दी गई थी।

समाज सेवा में आगे रहते हैं लांडे

शिवदीप लांडे की ‘दबंग’ पुलिस अधिकारी की छवि है, लेकिन वे अपनी ड्यूटी पर जितना सख्त नजर आते हैं, निजी जीवन में उतने ही विनम्र हैं। विवाह से पहले वे अपने वेतन का 60 प्रतिशत एनजीओ को दान कर देते थे। अब परिवार बढ़ने से इसमें कमी जरूर आई है परंतु बंद नहीं हुआ है। वेतन का 25 से 30 प्रतिशत भाग वे अब भी दान में दे देते हैं। इसके अलावा कई सामाजिक कार्यों में भी वे सहयोग करते हैं। उन्होंने कई गरीब लड़कियों का सामूहिक विवाह भी करवाया है।

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