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क्या कोरोना काल अब खत्म होने वाला है, दुनिया के लिए कैसे वरदान बन रहा ओमिक्रॉन वायरस?

क्या कोरोना वायरस की दहशत से अब दुनिया को आजादी मिलने वाली है? क्या लाखों लोगों को मौत की नींद सुला देने वाले वाले कोरोना वायरस के आतंक का अंत होना वाला है? आज दुनिया का हर शख्स का इन सवालों का हां में जवाब जानने के लिए बेसब्र हो रहा है। तो अब उनकी ये बेसब्री खत्म होने वाली है। क्योंकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना का ओमिक्रॉन वैरिएंट लोगों के लिए वैक्सीन की तरह काम कर रहा है।

इसका बेहद माइल्ड असर हो रहा है जिसके लक्षण कोरोना के वैक्सीन जैसै ही हैं। ओमिक्रोन के संक्रमण के बाद ज्यादातर लोगों में लक्षण ही नहीं दिख रहे हैं, जो लक्षण दिख रहे, वो भी दो से तीन दिन में ठीक हो जा रहे हैं। इसलिए जिस ओमीक्रॉन से हम डर रहे हैं, एक्सपर्ट की मानें तो वह हमारे लिए अभिशाप की जगह वरदान साबित हो सकता है।

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ओमिक्रॉन पर अब-तक हुई स्टडी

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ओमिक्रॉन वेरिएंट को दुनियाभर के कई वैज्ञानिक एन्डेमिक की शुरुआत का पहला चरण मान रहे हैं और इसके पीछे कुछ ठोस वैज्ञानिक कारण भी दे रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब किसी देश में 60 से 70 फीसदी लोगों में इन्फेक्शन या टीके से एंटीबॉडीज आ जाती हैं तो नया म्युटेट वायरस अपने आपको कमजोर और शरीर के लिए कम घातक बनाने लगता है।

हालांकि ये फैलता तेजी से है ताकि वो ज्यादा से ज्यादा इंसानों के शरीर में अपना घर बना ले लेकिन इससे लोग रिकवर भी जल्दी हो जाते हैं।

वैक्सीन की तरह कैसे काम कर रहा ओमिक्रॉन?

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ओमिक्रॉन ठीक वैसे ही काम कर रहा है जैसे पोलियो और चेचक की वैक्सीन काम करती हैं। इन दोनों वैक्सीन को लाइव वायरस को कमजोर करके बनाया जाता है, जो शरीर में जाकर एंटीबॉडी बनाती हैं। जब शरीर में पोलियो या चेचक के वायरस आते हैं तो उसके खिलाफ एक्टिव होकर यह उसे रोकता है। ठीक इसी तरह ओमिक्रॉन वेरिएंट जिन्हें संक्रमित कर रहा है, उन्हें बीमार नहीं कर रहा है, उनमें एक तरह से कोरोना के खिलाफ नेचुरल इम्युनिटी पैदा कर रहा है। अभी तक की रिपोर्ट के आधार पर यही देखा जा रहा है।

ओमिक्रॉन संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों का अनुभव

ओमिक्रॉन पॉजिटिव होने के बाद उससे ठीक हो चुके कुछ लोगों का कहना है कि ओमिक्रॉन से बिल्कुल भी डरने की जररूत नहीं है, क्योंकि महज तीन दिन में वे नेगेटिव हो गए। यह बहुत सामान्य सा फ्लू है।

एंडेमिक स्टेज में जा रहा कोरोनाडॉ राय

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एम्स के रिसर्चर डॉ संजय राय  का कहना है कि  हमें ओमीक्रॉन को लेकर बहुत ज्यादा टेस्ट करने में संसाधन बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसका इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में हो तो ज्यादा बेहतर है। उन्होंने कहा कि हम एंडेमिक स्टेज की तरफ जा रहे हैं। डॉक्टर राय ने कहा कि दिल्ली में एलएनजेपी अस्पताल का डाटा भी यही बता रहा है कि ओमिक्रॉन संक्रमित अधिकतर लोगों में लक्षण ही नहीं थे। साउथ अफ्रीका में वहां की हेल्थ मिनिस्टरी ने आदेश जारी कर दिया है कि एसिम्टोमेटिक लोगों की जांच नहीं होगी।

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यह सही कदम है। ग्लोबल ट्रेंड दिखा रहा है कि ओमीक्रॉन से डरने की जरूरत नहीं है, यह बेहद माइल्ड है। संक्रमण तेज है, इसलिए यह बहुत तेजी से बढ़ेगा। यह सच है कि इस स्प्रेड को रोक पाना संभव नहीं है। इसलिए मेरी अपनी राय है कि टेस्टिंग पर पैसा या रिसोर्स का इस्तेमाल न करें। आपकी जितनी क्षमता है, उतनी जांच करेंगे, उतने मामले आएंगे। इससे फायदा नहीं होगा। इसलिए फोकस जो बीमार हैं, उनके इलाज और केयर पर होना चाहिए।

हालांकि एक्सपर्ट ओमिक्रॉन को बेहद माइल्ड बता रहे हैं, लेकिन भारत की आबादी को देखते हुए पूरी तरह लापरवाह होने की भी जरूरत नहीं है। लोगों को सतर्क और सजग रहना चाहिए और जबतक सरकार कोई औपचारिक ऐलान नहीं कर देती तबतक कोविड के तमाम प्रोटोकॉल का पालन जारी रखना चाहिए।

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