अध्यात्म

कल से शुरू हो रहा है खरमास, इस दौरान भूलकर भी न करें ये पांच काम

क्यों खरमास में नहीं किए जाते हैं शुभ कार्य। जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कहानी...

भारत एक विविधताओं वाला देश है। यहां कई धर्म-सम्प्रदाय के लोग रहते हैं और सबकी अपनी-अपनी धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं हैं। वहीं हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार कोई भी शुभ कार्य बिना सही मुहूर्त देखे शुरू नहीं किया जाता। जी हां किसी भी काम की शुरुआत से पहले हम शुभ समय या मुहूर्त या ग्रहण-नक्षत्र की गणना या जानकारी जरूर जुटाते हैं।

इसके अलावा सूर्य की चाल पर भी जरूर ध्यान दिया जाता है। लेकिन हम आपको बता दें कि हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बारह महीने में एक महीना ऐसा भी आता है। जब हम किसी भी शुभ कार्य को करने से बचते है और इस मास को खरमास या मलमास कहा जाता है।

गौरतलब हो कि इस बार खरमास की शुरुआत कल यानी 16 दिसंबर दिन गुरुवार से हो रही है। मलमास नए साल 2022 में 14 जनवरी पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि तक रहेगा। वहीं इस महीने में विशेष तौर पर कुछ कामों को करने की मनाही है। ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है। वहीं मान्यता यह भी है कि इस महीने में सूर्य की चाल धीमी हो जाती है, जिसके चलते कोई भी शुभ कार्य सफल नहीं होता। ऐसे में ज्योतिषियों के अनुसार किसी भी तरह का मांगलिक कार्य ना करें।

इस महीने में शादी, सगाई, वधू प्रवेश, द्विरागमन, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ आदि नहीं करना चाहिए। आइए ऐसे में जानते हैं खरमास क्यों लगता है और कौन से पांच काम इस दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए…

कब लगता है खरमास, जानिए…

बता दें कि सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। संक्रांति एक सौर घटना है और हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं। वहीं जब सूर्य देव धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो इन्हें क्रमश: धनु संक्रांति और मीन संक्रांति कहा जाता है और सूर्य जब धनु व मीन राशि में रहते हैं, तो इस अवधि को मलमास या खरमास कहा जाता है।

Malmas

इसके अलावा बता दें कि जब सूर्य बृहस्पति राशि में प्रवेश करता है तभी से खरमास या मलमास या अधिकमास शुरू हो जाता है। हिन्दू धर्म में यह महीना शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए इस महीने में नए या शुभ काम नहीं किए जाते हैं। खरमास महीने के अपने कुछ अलग नियम बताए गए हैं। वहीं इस महीने में हिन्दू धर्म के विशिष्ट व्यक्तिगत संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, विवाह और कोई भी धार्मिक संस्कार नहीं होते है। इतना ही नहीं इस मास के मलिन होने के कारण इस महीने को ‘मलमास’ भी कहा जाता है।

क्यों नहीं किए जाते इस दौरान शुभ कार्य…

मालूम हो कि ज्योतिष के अनुसार, बृहस्पति धनु राशि का स्वामी होता है। वहीं बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश इंसान के लिए कदापि अच्छा नहीं होता है। जी हां ऐसा होने पर लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ जाता है और इस राशि में सूर्य के मलीन होने की वजह से इसे मलमास नाम भी दिया गया है। कहते हैं कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है और सूर्य के कमजोर स्थिति में होने की वजह से इस महीने शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है।

मलमास में भूलकर भी ना करें ये पांच काम…

1) बता दें कि इस महीने में विवाह वर्जित होता है और इस समय अगर विवाह किया जाए तो भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों नहीं मिलते हैं।

Malmas

2) इसके अलावा इस दरमियान नए मकान का निर्माण और संपत्ति का क्रय करना भी वर्जित माना जाता है और इस अवधि में बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है।

Malmas

3) वहीं नया व्यवसाय या नया कार्य इस समय नहीं शुरू करना चाहिए। मलमास में नया व्यवसाय आरम्भ करना आर्थिक मुश्किलों को जन्म देने वाला होता है।

4) इसके अलावा अन्य मंगल कार्य जैसे द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन भी इस अवधि में वर्जित होते हैं, क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना भी होती है।

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5) वहीं आख़िर में बता दें कि इस महीने में धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए। बशर्तें कि हर रोज किए जाने वाले अनुष्ठान किए जा सकते हैं।

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