रात को मॉल में काम, दिन में मैदान में धमाल। जानिए जूनियर हॉकी खिलाड़ी शारदा नंद की यह कहानी…
होमगार्ड का बेटा दिलाएगा जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप। जानिए शारदा नंद तिवारी की दिलचस्प कहानी...
सोहनलाल द्विवेदी जी की एक रचना के बारे में आप सभी ने जरूर सुना होगा। जी हां जिसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं कि, “लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की हार नहीं होती।” जी हाँ इस उक्ति को एक बार फिर चरितार्थ किया है शारदा नंद तिवारी ने। अब चलिए आपको इनके बारे में नहीं पता तो उनकी स्टोरी हम आपको बताते हैं, लेकिन उसके पहले बता दें कि जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप (Junior Hockey World Cup) में मौजूदा चैंपियन भारत सेमीफाइनल में पहुंच गया है।
गौरतलब हो कि भुवनेश्वर में खेले जा रहे इस अहम टूर्नामेंट में भारत के युवा सितारों को अपनी चमक बिखेरने का पूरा मौका मिला है और कई इसमें कामयाब भी हुए हैं। जी हां बेल्जियम के खिलाफ क्वार्टरफाइनल के अहम मुकाबले में भारत ने 1-0 से जीत हासिल की और इस मैच में भारत के लिए इकलौता गोल करने वाले खिलाड़ी रहें शारदा नंद तिवारी (Sharda Nand Tiwari)। जिनके पिता इस मैच को तो नहीं देख पाए, लेकिन उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। आइए ऐसे में जाने पूरी कहानी…
बता दें कि बेल्जियम के खिलाफ जूनियर विश्व कप हॉकी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में गोल दागने वाले शारदा नंद तिवारी की शून्य से शिखर तक की यात्रा काफ़ी मुश्किल रही है, लेकिन उन्होंने रास्ते मे आने वाली हर मुश्किलों का डटकर सामना किया और आज अपनी मंजिल के बेहद क़रीब हैं। बता दें कि डीएम सर्वेंट क्वार्टर में रहने वाले शारदा नंद तिवारी का जूनियर टीम तक का सफर रील लाइफ की तरह जरूर लगता है, लेकिन असल जिंदगी की कहानी काफ़ी झकझोर देने वाली है।
गौरतलब हो कि जूनियर हॉकी विश्व कप में शारदा नंद ने अब तक चार मैचो में चार गोल किए हैं। वहीं वह टीम के सेमीफाइनल के सफर के हीरो भी रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शारदा नंद को एक समय हॉकी के लिए स्कूल तक छोड़ना पड़ा था। इतना ही नहीं मालूम हो कि उनके पिता गंगा प्रसाद तिवारी जिलाधिकारी के स्कार्ट की गाड़ी चलाते हैं और वहीं परिसर में पीछे कर्मचारी आवास में परिवार सहित रहते हैं।
ऐसे में जब शारदा नंद की कामयाबी के बाद मीडिया से जुड़े लोग उनके आवास पर पहुँचने लगे। फिर शारदा नंद के पिता गंगा प्रसाद तिवारी खुशी से रोने लगे। इतना ही नहीं इस दौरान उन्होंने कहा कि, बेटे ने जिंदगी भर की मेहनत सफल कर दी और मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है।
वहीं आप सभी को जानकारी के लिए बता दें कि हाकी खेलने के लिए एक समय शारदा नंद के पास पैसे नहीं होते थे। ऐसे में वो रात के समय मे सहारागंज माल जाकर सामान की ढुलाई का काम किया करते थे। इतना ही नहीं यह शायद शारदा नंद का हॉकी को लेकर जुनून और जज्बा ही था कि वहां काम नहीं मिलता तो वह किराना स्टोर में सामान की पैकेजिंग का काम भी करते थे। जिसकी बदौलत उन्हें तकरीबन रात भर में दो सौ से तीन सौ रुपये मिल जाते थे और फिर सुबह उठकर वो हॉकी का अभ्यास करने मैदान चले जाते थे।
बता दें कि हॉकी को लेकर शारदा नंद का जुनून कुछ यूं था कि उनके लिए नींद मायने नहीं रखती थी। बस उन्हें कैसे करके हॉकी खेलने को मिलती रहें। इसका जुनून हर समय बना रहता था। वहीं उनके पिता के मुताबिक जब वह कक्षा छह में थे। तभी से वह नेशनल कालेज मैदान जाने लगा था। वहीं एक दिन कोच ने शारदा नंद के पिता को बुलाया और कहा, बेटा बहुत अच्छी हॉकी खेलता है।
इसे रोकना नहीं। इसके अलावा पत्रकारों से बातचीत के दौरान शारदा नंद के पिता ने कहा कि, “मैं होमगार्ड हूं, वेतन में मुश्किल से ही गुजारा होता है। बच्चे का मन रखने के लिए मैंने अपनी खुशियों को कुर्बान कर दिया। लेकिन आज लग रहा है जिंदगी भर की मेहनत सफल हो गई।”
बेटा के खेल के लिए उधार से घर चलाया…
इतना ही नहीं शारदा नंद की मां रानी तिवारी ने कहा कि पति की कमाई से काम नहीं चलता था। तीन बेटे हैं जिसमें शारदा नंद दूसरे नंबर पर है। शारदा आगे बढ़े कुछ नाम करे, इसके लिए लोगों से उधार तक मांगना पड़ा। वहीं वह दिन भर अभ्यास करने के बाद रात को काम करने जाता था। एक मां के लिए यह सब बहुत मुश्किल था, लेकिन इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं था। भगवान ने हम सब लोगों की सुन ली और आज बच्चे ने नाम कर दिया। वहीं गौरतलब हो कि जब शारदा की मां यह सब बता रही थी उस दौरान उनकी आंखों से बेटे की बात करते-करते खुशी के आंसू छलक रहे थे।
वहीं दूसरी तरफ यह एक पिता के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं कि उसे उसके बेटे की सफलता की वज़ह से डीएम से सम्मानित होने का अवसर मिला। जी हां जिस डीएम की गाड़ी अभी तक शारदा नंद के पिता चलाते थे। उन्हीं ने बेटे की सफलता पर उन्हें सम्मानित किया। गौरतलब हो कि शारदानंद के पिता गंगा प्रसाद को डीएम अभिषेक प्रकाश ने कार्यालय बुलाकर सम्मानित किया तो सभागार में भावनाएं उमड़ पड़ी।
डीएम ने गंगा प्रसाद से कहा कि, ” मैं आपको रोज गाड़ी के साथ देखता था, लेकिन आज सम्मानित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। जिस तरह शारदानंद ने आपका सीना गर्व से चौड़ा किया, हर बच्चा अपने पिता का करे। आपने जो त्याग और परिश्रम किया वह सफल रहा।
” इतना ही नहीं जानकारी के लिए बता दें कि डीएम अभिषेक प्रकाश ने कहा है कि घर वापसी पर शारदानंद का बड़ा सम्मान किया जाएगा और उसे प्रशासन की तरफ से भी सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा युवा वोटरों को प्रेरित करने के लिए जिला निर्वाचन कार्यालय की तरफ से उन्हें ब्रांड एंबेसडर भी बनाया जाएगा।