विशेष

कहानी बीएसएफ के एक ऐसे जांबाज़ की। जिसने चंबल में पकड़ा था असली गब्बर सिंह को…

आज के समय में हर युवा की कहीं न कहीं यह चाहत होती है कि वह सीमा पर जाकर देश की सेवा करें। जी हां इसके लिए बहुत से युवा सेना में भर्ती होते है, तो कई बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल का हिस्सा बनते हैं। बता दें कि आज ही के दिन बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी बीएसएफ (BSF) की स्थापना 1965 को हुई थी। बीएसएफ एक अर्धसैनिक बल है, जो शांति काल के दौरान भारत की सीमा की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय अपराध को रोकने के लिए जिम्मेदार है।

K. F. Rustam Ji

गौरतलब हो कि भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बल भारत की सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। देश की आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा में भारतीय सेना के साथ कई सुरक्षा बल रहते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, भारतीय सेना और बीएसएफ जवानों में अंतर होता है।

बीएसएफ सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) में आते हैं और ये सुरक्षा बल गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं, लेकिन आज हम आपको उस साहसी जांबाज की कहानी बताने जा रहें, जिसने बीएसएफ के गठन में अहम भूमिका निभाई।

K. F. Rustam Ji

बता दें कि बीएसएफ यानी सीमा सुरक्षा बल के संस्थापक व पहले डायरेक्टर जनरल के.एफ. रुस्तमजी की कहानी एक ऐसे जांबाज और साहसी देशभक्त की कहानी है, जिन्होंने पुलिस विभाग में रहते हुए अपना पूरा जीवन देश की सुरक्षा और रक्षा के लिए समर्पित कर दिया।

इतना ही नहीं के.एफ.रुस्तमजी वही पुलिस अधिकारी हैं, जिन्‍होंने शोले फिल्म के गब्बर सिंह का असली वर्जन मध्य प्रदेश के चंबल के बीहड़ में पकड़ा था। जी हां चंबल के बीहड़ में डकैत गब्बर सिंह को उन्होंने ही पकड़ा था और के.एफ. रुस्तमजी को देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण भी दिया गया था।

K. F. Rustam Ji

K. F. Rustam Ji

इतना ही नहीं के.एफ. रुस्तमजी को आज इस वजह से भी याद किया जाता है क्योंकि वे देश की अग्रणी रक्षा सेवा बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के संस्थापक व पहले डायरेक्टर जनरल थे। वहीं अब बात के.एफ. रुस्तमजी के जन्म की करें तो उनका जन्म 22 मई 1916 को नागपुर क्षेत्र के गांव कैम्पटी में हुआ था और देश को स्वतंत्रता मिलने से पहले 1938 में सेंट्रल प्रोविन्स (वर्तमान मध्य प्रदेश) में पुलिस अधिकारी रहे। स्वतंत्रता के बाद वे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मुख्य सुरक्षा अधिकारी रहते हुए 1958 में मध्य प्रदेश पुलिस के प्रमुख बनाए गए।

K. F. Rustam Ji

इसके बाद वे मध्यप्रदेश के चंबल बीहड़ में सक्रिय डकैतों और बागियों के खात्मे में सक्रिय भूमिका निभाने लगें। वहीं उनके नेतृत्व में पुलिस ने नाक चबाने के लिए कुख्यात डाकू गब्बरसिंह के अलावा अमृतलाल, रूपा और लाखन सिंह डकैत के गिरोह का सफाया किया। इसी गब्बरसिंह के नाम पर बाद में शोले फिल्म का प्रसिद्ध डाकू चरित्र गब्बरसिंह फिल्माया गया था।

K. F. Rustam Ji

ऐसे बनाया देश की सीमाओं की रक्षा के लिए विशेष बल…

K. F. Rustam Ji

बता दें कि मध्य प्रदेश में डकैतों के सफाए के लिए के.एफ. रुस्तमजी ने जो गजब का कार्य किया, उसने तत्कालीन केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया औऱ उसी दौरान देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए एक समर्पित बल की जरूरत महसूस की जा रही थी। ऐसे में के.एफ. रुस्तमजी के अद्भुत ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए उन्हें बीएसएफ (बार्डर सिक्योरिटी फोर्स) की स्थापना का जिम्मा दिया गया।

गौरतलब हो कि के.एफ. रुस्तमजी ने अपनी तर्कशीलता, कुशाग्र बुद्धि, साहस, प्रतिभा तथा काम के लोगों को चुनने की दृष्टि का उपयोग करते हुए बीएसएफ की पूरी रूपरेखा बनाई और 1965 में इस बल की स्थापना हुई।

K. F. Rustam Ji

वहीं आख़िर में बता दें कि के.एफ. रुस्तमजी इस शानदार बल के प्रथम डायरेक्टर जनरल बने। उसके बाद जब वे इस पद से सेवानिवृत्त हुए, तब तक वे 60 हजार जवानों को बीएसएफ का हिस्सा बना चुके थे। इतना ही नहीं इसके बाद भी वे न रुके और उन्होंने राष्ट्रीय पुलिस आयोग बनाने का खाका तैयार किया और 1978 से 83 तक इसके सदस्य रहे। बाद में सन् 1991 में देश के प्रति अनन्य सेवा के चलते उन्हें दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित भी किया गया और मार्च 2003 में उनका निधन हो गया।

तो यह कहानी थी एक ऐसे देशभक्त जांबाज की, जिसने देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए बीएसएफ जैसे संगठन को तैयार किया। जिसके प्रहरी दिन-रात देश की सेवा में लगे रहते हैं। आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट कर अवश्य बताएं…

Back to top button