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PM मोदी की प्रेरणा ने बदलकर रख दी इस गांव की सूरत, शख़्स ने खर्चे 25 करोड़, लोकार्पण करने पहुंचे राष्ट्रपति

दुनिया में कई ऐसे लोग होते हैं जो कुछ ऐसा कर जाते है जो दूसरे लोगों के लिए भी मिसाल बन जाता है. कई लोग अपने अद्भुत काम से लोगों को हैरान कर देते हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी है जो सरकार को कोसने और प्रगति को सरकार की ही जिम्मेदारी मानने की भूल न कर खुद अपने हाथ में काम लेकर शुरू हो जाते हैं और फिर इतिहास बना देते हैं. ऐसा ही कुछ हरियाणा के एक गांव में हुआ है.

हरियाणा के भिवानी जिले के गांव सूई की कहानी कुछ सालों पहले तक कुछ और थी जबकि अब कुछ और है. इस गांव को साल 1962 में श्रीकृष्ण जिंदल और उनका परिवार छोड़कर जा चुका था लेकिन श्रीकृष्ण जिंदल और उनके परिवार ने प्रधानमंत्री की योजना से प्रेरित होकर गांव सूई को गोद ले लिया और फिर उसकी सूरत ही बदल डाली.

हरियाणा के सूई गांव की सूरत बदलने का काम साल 2015 में शुरू हुआ. इस दौरान हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने गांव का दौरा किया. गांव में कई महत्वपूर्ण काम किए गए और गांव के विकास पर कुल 25 करोड़ रुपये इन 6 सालों में खर्च किए गए. बता दें कि, सूई के विकास हेतु श्रीमती महादेई परमेश्वरी दास जिंदल चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत काम किया गया.

इस गांव में करोड़ों रुपये खर्च कर इसमें झील, आडिटोरियम, स्कूल आदि का निर्माण कराया गया और इसका महत्त्व इस बात से समझा जा सकता है कि बुधवार को इस गांव में बनी झील, आडिटोरियम, स्कूल आदि का लोकार्पण करने खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पहुंचे थे. इस दौरान कई घोषणाएं भी हुई और गांव को और अधिक संवारने के लिए श्रीकृष्ण जिंदल अपने ट्रस्ट की तरफ से 100 करोड़ रुपये और खर्च करने के लिए भी तैयार हो गए.

इन चीजों ने बदल डाली सूई की सूरत…

गांव सूई में अब सूई-बलियाली रोड पर नौ एकड़ में फ़ैली हुई झील है और इसमें चार नाव भी रखी गई है. वहीं एक-दो नहीं बल्कि चार ख़ूबसूरत पार्क का भी निर्माण करवाया गया है. गांव में 2 करोड़ रुपये स्कूल पर खर्च किए गए जो कि कई सुविधाओं से लैस है. वहीं तीन एकड़ भूमि पर श्रीकृष्ण जिंदल ने आडिटोरियम बनवाया है. गांव पूरी तरह से साफ़-सुथरा है और लगभग पूरे गांव में पक्की सड़कों का भी निर्माण हो चुका है.

300 साल पुराना है गांव का इतिहास…

गांव सूई का इतिहास 300 साल पुराना है. बताया जाता है कि भिवानी जिले से 12 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव 300 साल पहले बसा था और अब इसकी गिनती एक आदर्श गांव के रूप में हो रही है.

 

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