अध्यात्म

शिव की पूजा में भूलकर भी न करें ये गलती, वरना भोलेनाथ के क्रोध से नहीं बचा पाएंगे आप!

हिंदू धर्म में हर देवी-देवता के पूजन और प्रसाद के लिए कुछ विशेष नियम बताये गए हैं। उदाहरण के तौरपर भगवान कृष्ण को दही का भोग पसंद है लेकिन संतोषी मां को खटाई चढ़ाना वर्जित किया गया है। इसीलिए हर श्रद्धालु को जब वो किसी मंदिर में जा रहा हो तो इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वहां किस तरह से पूजा अर्चना करनी है। आमतौर पर देखा जाता है कि जागरण, पूजन एवं आरती आदि को दौरान लोग तालियां बजाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि तालियों की गूंज एवं प्रार्थना भगवान तक पहुंचती है। Mistake in shiva temple.

शिव मंदिर में न बजाएं ताली :

लेकिन, धार्मिक मान्यता के अनुसार शिव जी की पूजा के दौरान ऐसा करना वर्जित है। यह मान्यता आपको आश्चर्यचकित कर सकती है लेकिन बिल्कुल सत्य है। मान्यता के मुताबिक शिव मंदिर में खास मौकों को छोड़कर ताली बजाना पापा माना गया है। इसके पीछे तर्क ये है कि भगवान शिव हमेशा समाधि में रहते हैं।

जैसा कि पौराणिक कथाओं में वर्णन किया गया है कि शिव का ध्यान भंग करने पर वो क्रोधित हो जाते हैं और भगवान शिव के क्रोध की सीमा को हम कामदेव को भस्म करने वाली बात से समझ सकते हैं। इसके पीछे एक अन्य तथ्य ये भी है कि शिव की समाधी में कोई व्यवधान न हो इसलिए शिव के मंदिर अक्सर शांत वातावरण में ही बनाये जाते हैं।

शिव को निर्जन स्थान पर रहना है पसंद :

ये बात तो सभी जानते है कि शिव लगातार जलधारा के नीचे ध्यान लगाते हैं। शिव जी ध्यान और समाधि के लिए श्मशान या कैलाश जैसा निर्जन स्थान ही चुनते हैं। ये भी कहा जाता है कि शिवलिंग के पास भी तीन बार ताली नहीं बजानी चाहिए। ऐसा करना शिव के ध्यान को भंग करने की कोशिश हो सकती है।

संक्षेप में कहें तो ताली बजाने से शिव का ध्यान भंग होता है जिससे शिवजी का ध्यान भंग हो सकता है और वे आप से क्रोध हो सकते हैं। जिसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ सकता है। यह भी माना जाता है कि ताली बजाने से शिव अंतिम सीमा तक रुष्ट हो सकते हैं। हालांकि, शिवजी की पूजा के दौरान ताली, शंख, घंटी एवं अन्य वाद्य बजा सकते हैं।

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