समाचार

नांदेड़, मालेगांव और अमरावती में भारी हिंसा, जिहादियों ने हिंदुओं के दुकानों में लगाई आग

त्रिपुरा हिंसा के विरोध में रज़ा एकेडमी ने महाराष्ट्र में बंद का किया था आह्वान, समर्थन नहीं मिलने पर की हिंसा

त्रिपुरा हिंसा के विरोध में महाराष्ट्र के अमरावती नांदेड और मालेगाव में शुक्रवार को हिंसा हुई। नांदेड़ में पुलिस और उपद्रवियों के बीच हिंसक झड़प में ASP समेत 7 लोग घायल हो गए। वही मालेगांव में एक ऐसे ही हिंसा में तीन पुलिसवालों समेत 12 लोग घायल हो गए। अमरावती में 20 दुकानों में तोड़फोड़ की गई।

शुक्रवार के दिन महाराष्ट्र में एक ही समय पर अलग-अलग जगहों पर घटनाएं हुई। जिनमें जिहादी दंगाइयों ने गाड़ियों को आग लगा दी, और सैकड़ों दुकानों में तोड़फोड़ किया। इस हादसे में महाराष्ट्र पुलिस पर भी पत्थर बरसाए गए। इस हिंसा के पीछे त्रिपुरा के कथित दंगों को जिम्मेदार बताया जा रहा है। दरअसल 26 अक्टूबर को त्रिपुरा से एक खबर आई थी कि राज्य में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दंगे भड़क गए हैं। कुछ लोगों ने तथाकथित रूप से एक मस्जिद को भी गिरा दिया है।

बाद में त्रिपुरा पुलिस ने इन खबरों को गलत बताया था और इस प्रकार के अफवाह पर ध्यान न देने को कहा था। त्रिपुरा पुलिस ने दंगे की खबर को खंडन करते हुए कहा था कि त्रिपुरा में मुस्लिमों के घर जलाने की बात सिर्फ एक अफवाह है राज्य में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। नांदेड़ जिले में  दंगाइयों ने पुलिस पर लगभग 1 घंटे पत्थरबाजी किया। इसी दौरान इन जिहादी दंगाइयों ने हिंदुओं के दुकानों को जलाकर खाक कर दिया। हिंसा में एक एडिशनल एसपी और एक इंस्पेक्टर समेत 7 लोग  घायल हो गए। नांदेड़ में जो हुआ आपको वह आपके सामने हैं ।

अब आपको अमरावती में क्या हुआ वह बताते हैं। अमरावती में करीब 10 हजार जिहादी गुंडों के भीड़ ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इन जमाती गुंडों के भीड़ ने जब देखा कि इनके अपील के बावजूद कुछ लोगों ने दुकान बंद नहीं की है यानी इनके समर्थन में नहीं खड़े हुए हैं, तो इन्होंने उनके दुकान में तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी। कुछ दुकानों में आग लगा दी गई। कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि अमरावती में करीब 40 ऐसे दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। कुछ दंगाइयों ने हिंदुओं के घरों पर भी पत्थर फेंके।

नांदेड़ और अमरावती जैसी घटना मालेगाव में भी देखने को मिली। मालेगांव में भी दंगाइयों ने पुलिस और आम आदमी को निशाना बनाया। वहां सबसे पहले रैली की गई । मुस्लिम धर्म गुरु और नेताओं ने भाषण दिए। इसके बाद वहां शांतिप्रिय मार्च बताकर भीड़ को सड़कों पर ला दिया गया। इसके बाद यहां भी दुकानों में आग लगाई गई। तोड़फोड़ की गई। इस कारण से यहां के कुछ हिंदू दुकानदारों में इतना खौफ फैल गया कि वह दुकान बंद करके वापस अपने घर में जाकर दुबक गए।

मुंबई में जो शुक्रवार को बंद का आह्वान किया गया था । यह महाराष्ट्र की एक इस्लामिक संस्था रजा अकैडमी द्वारा किया गया था। यह वही संस्था है म्यांमार में हुए रोहिंग्याओं पर हमले के खिलाफ 2012 में मुंबई के आजाद मैदान में प्रदर्शन किया था।

Back to top button