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खाने वाले तेलों के दाम में आई कमी, जानें क्यों सस्ता हुआ सरसो, सोयाबीन और पामोलीन तेल

अब भारतीयों के लिए खुशखबरी यह है कि दैनिक उपयोग में आने वाले कई खाद्य तेलों के दाम में जबरदस्त कमी आई है। सरसों तेल, सोयाबीन तेल और पामोलिन तेल की दरों में जबरदस्त कमी देखी गई है। आप आए दिन खबर पढ़ते रहते होंगे कि महंगाई बढ़ती जा रही है, सरसों तेल का कीमत आसमान छू रहा है तो अब आपको बता दें कि सरसों तेल, सोयाबीन तेल और पामोलिन तेल बाजार में पहले से कम दर पर उपलब्ध होंगे।

इन तेलों को छोड़कर अन्य प्रकार के खाद्य तेलों का दाम पहले की तरह यथावत बना रहेगा। आइए आपको यह बताते हैं कि खाद्य तेल की दरों में क्यों कमी आई है।

मलेशिया एक्सचेंज में शुक्रवार को 3.8 % की गिरावट थी जबकि शिकॉगो एक्सचेंज 0.75 % कमजोर बंद हुआ था। देश के ज्यादातर बाजार ‘भाई दूज’ के मौके पर शनिवार को बंद थे, तो यहां के मार्केट में भी गिरावट ही था। ग्लोबल मार्केट में गिरावट के बाद भारतीय बाजारों में भी तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है।

विदेशों में सोयाबीन डीगम का भाव टूटने और पामोलीन के महंगा होने से दिल्ली तेल तिलहन बाजार में सरसों तेल, सोयाबीन तेल, सीपीओ और पामोलिन तेल के दामों में गिरावट के साथ बाजार बंद होते हुए देखा गया। विश्वसनीय सूत्रों की माने तो विदेशों में इस बार सूरजमुखी की अच्छी फसल हुई है जिसके कारण सोयाबीन डिगम की दरों में कमी आई है। सोयाबीन डिगम के दामों में कमी के कारण तेल सहित इससे निकलने वाले तमाम उत्पादों के दर कम हो रहे हैं।

जैसा कि हमने आपको बताया कि विदेशों में सूरजमुखी की अच्छी फसल हुई है। इस कारण से इसके दामों में भी गिरावट होना लाजमी है। सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की दरों में गिरावट के कारण लोगों ने पामोलिन तेल खरीदना कम कर दिया है। पामोलिन तेल की मांग में आई कमी का असर इसके दरों पर भी हुआ है। बाजार में मूंगफली दाने की आवत भी बढ़ी है।इसका सीधा असर मूंगफली तेल और इसके उत्पाद के दामों पर हुआ है।

इसके अलावा भारत सरकार ने पाम, सोयाबीन और सूजरमुखी तेल से कृषि सेस में भी कटौती की  है। पाम ऑयल से एग्री सेस को 20 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है, वहीं कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल पर इसे 5 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है.

इसके अलावा विदेशों में बाजार के टूटने से सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट आई जबकि सोयाबीन दाना और लूज के भाव पहले की तरह ही रहेंगे। तमाम प्रकार के खाद्य तेलों की दरों में गिरावट के कारण लोग अन्य तेल ज्यादा से ज्यादा खरीद रहे हैं; और इस प्रकार सरसों तेल की डिमांड पहले से घट गई है। बाजार में सरसों तेल की घटते डिमांड का असर बाजार में इसकी कीमत पर पड़ा है।

ये सब कुछ प्रमुख कारण है जिसके कारण बाजार में तेल की दरों में कमी आई है।

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