14 राज्य सरकारों ने पेट्रोल डीजल पर VAT नहीं घटाया, जनता से वसूल कर रहे हैं मनमाना टेक्स
पेट्रोलजीवियों को सस्ता पेट्रोल पीने के लिए BJP शासित राज्य जाना चाहिए
दिवाली से पहले विपक्ष के नेता पेट्रोल-पेट्रोल ऐसे चिल्लाते थे जैसे मानो दिन में पानी नहीं वह पेट्रोल पीते हो, लेकिन इन पेट्रोलजीवियों को केंद्र सरकार ने मुहतोड़ जवाब देते हुए दिवाली के दिन पेट्रोल पर 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये की एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर दी।
इसके बाद बीजेपी और एनडीए शासित 10 राज्यों ने भी अपने यहां VAT टैक्स में छूट दे दी; लेकिन पेट्रोल-पेट्रोल की शोर मचाने वाले इन विपक्षियों की राज्य सरकारों ने वैट टैक्स में कोई ढील नहीं दी इस पर बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया।
गैर भाजपा शासित राज्यों में वैट टैक्स न कम करने पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि “कांग्रेस शासित राज्यों में, बंगाल में ममता जी और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल जी को भाजपा से सीख लेते हुए टैक्स में कमी करनी चाहिए।”
गौरव भाटिया ने महाराष्ट्र सरकार पर आरोप लगाते हुए महा विकास आघाडी सरकार को महा वसूली आघाडी सरकार कहा। गौरव भाटिया ने पूछा कि वहां जो महा वसूली आघाडी सरकार है, यह कैसी वसूली कर रही है, उद्धव ठाकरे जी? महाराष्ट्र में पेट्रोल का दाम 110 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम करीब 87 रुपये प्रति लीटर है।
महाराष्ट्र में पेट्रोल पर 31 रुपये 19 पैसे VAT टैक्स लग रहा है अगर इसका बीजेपी शासित राज्य से तुलना की जाए तो समझ में आता है कि यह वसूली सरकार कैसे जनता को लूट रही है। उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पर ₹21.19 वैल्यू ऐडेड टैक्स लगता है जबकि उत्तराखंड में यह ₹20.46 हैं जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान में इसका दर ₹32.19 है।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पूछा कि जब केंद्र सरकार ने एक अच्छा पहल की , पेट्रोल के दाम में और डीजल के दामों में भारी कटौती की तब यह पेट्रोल के दामों का रोना रोने वाले विपक्षी सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया ! उन्होंने सीधा- सीधा सीएम केजरीवाल,
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस शासित राज्यों से सवाल पूछा की राज्यों में वैट टैक्स में क्यों नहीं कमी की जा रही है? भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस शासित राज्य सरकारों पर ओछी, हल्की और घटिया राजनीति करने का आरोप लगाया।
आपको बता दें कि जब केंद्र और कई भाजपा शासित राज्य सरकारों ने पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी कटौती की तब इसमें कांग्रेस शासित राज्यों और विपक्षी सरकारों ने अपने यहां वैट टैक्स कम करने के बजाय वह इस पर भाजपा नेताओं और NDA शासित सरकारों पर राजनीतिक बयानबाजी करने लगे।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पेट्रोल-डीजल की दरों में कटौती को डर से लिया हुआ फैसला बताया।
वही पेट्रोल और डीजल के मामलों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि “साल 2014 में जब कांग्रेस की सरकार थी तो पेट्रोल का दाम था 71 रुपये 41 पैसे प्रति लीटर और डीजल का दाम था 55 रुपये 49 पैसे प्रति लीटर । उस समय कच्चे तेल की कीमत थी $106 प्रति बैरल और आज कच्चे तेल की कीमत है $82 प्रति बैरल। मोदी जी! अगर रेट कम करने हैं तो 2014 के मुकाबले रेट कब कम करेंगे ?
पेट्रोल और डीजल के दामों में कटौती पर व्यंग्य कसते हुए लालू यादव ने कहा था कि -“नरेंद्र मोदी ये जो नाटक किए हैं 5 रुपये घटाने का डीजल पेट्रोल पर से, ये बोगस है…50 रुपये कम होनी चाहिए… और उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद यह फिर रेट बढ़ा देंगे।
अब आप ही सोचिए कि दिवाली से पहले पेट्रोल का रोना रोने वाले इन विपक्षियों के दिल में क्या जनता के लिए सच में कोई स्थान बचा है? अगर यह सच में जनता की समस्याओं को लेकर चिंतित होते तो जिस प्रकार से भाजपा शासित राज्य सरकारों ने अपने राज्य में वैट टैक्स में कमी की है उसी प्रकार से कांग्रेस शासित राज्य भी अपने राज्यों में वैट टैक्स में कमी लाते लेकिन इन्हें तो सिर्फ राजनीति करनी है। धन्य हैं ये पेट्रोलजीवी विपक्ष।