अध्यात्म

किन्नरों की भी होती है शादी, उन की शादी का ये सच जान कर आप रह जाएंगे दंग

नमस्कार दोस्तों। आज हम चर्चा करेंगे किन्नरों की शादी के बारे में। जी हां किन्नर की शादी, चौंकिएगा मत। वास्तव में किन्नर भी आपके और हमारे जैसे आम इंसान ही होते हैं। लेकिन उनकी तरफ देखने का समाज का नजरिया काफी बुरा हो चुका है। समाज में उनको तुच्छ दृष्टि से देखा जाता है तथा उतना सम्मान नही दिया जाता जितना किसी आम इंसान को दिया जाता है। इसी भेदभाव की वजह से उनकी ज़िंदगी आम इंसान की ज़िंदगी से काफी अलग हो चुकी है। kinnar marriage truth.

किन्नरों की भी शादी होती है :

किन्नरों की जिन्दगी से जुड़ी ऐसी काफी सारी बातें हैं जिनसे हम आज तक अंजान है। चाहे वो उनकी उत्पत्ती के बारे में हो या शादी ब्याह जैसे व्यक्तिगत मामले की। ऐसा माना जाता है कि किन्नर अपनी सारी ज़िंदगी अविवाहित रहते हैं, लेकिन ये साफ गलत बात है। किन्नरों की भी शादी होती है तथा उन्हें भी किसी की दुल्हन बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है। अब आपके दिमाग में ये सवाल आया होगा कि किन्नरों से आखिर कौन शादी करता होगा ?

किन्नरों की शादी आम इंसान से नही बल्कि उन्ही के भगवान से होती है :

किन्नरों की शादी किसी आम इंसान से नही बल्कि उन्ही के भगवान से होती है। उन्हें सिर्फ एक रात सुहागन बनने का सुख मिलता है तथा दूसरे ही दिन वे पुनः विधवा हो जाती हैं। किन्नरों के भगवान माने जाने वाले इरावन धनुर्धारी अर्जुन और नागकन्या के पुत्र है। वे किन्नरों के भगवान कैसे बने इसका स्पष्ट उल्लेख महाभारत में किया गया है।

पांडवों ने मां काली को प्रसन्न करने हेतु यज्ञ का आयोजन किया था :

कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों ने मां काली को प्रसन्न करने हेतु यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें किसी युवराज की बलि दी जानी थी। काफी मशक्कत के बाद जब कोई भी बली देने सामने नही आया तब इरावन खुद ही आगे आए लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी। शर्त यूं थी कि वो बलि पर तब ही चढ़ेगा जब उसकी शादी हो जाए। चूंकि उसकी मृत्यु अटल थी, इस भय के कारण कोई भी कन्या उससे शादी करने को राजी नही हो रही थी। क्योंकि उन्हें पता था कि अगले ही दिन वे विधवा हो जाने वाली थी।

यह उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है :

इस समस्या का समाधान निकालने के लिए भगवान श्रीकृष्ण स्वयं आगे आए। उन्होंने मोहिनी का रूप लेकर इरावन के साथ ब्याह रचा लिया। शर्त के मुताबिक अगले ही दिन इरावन की बलि दे दी गई और मोहिनी रूप धारण किये हुए श्रीकृष्ण विधवा हो गए। उन्होंने काफी विलाप भी किया तथा विधवा रूप धारण करके सारे रीति रिवाजों का पालन किया।

इस घटना के बाद से किन्नर इरावन को अपना भगवान मानने लगे। तमिलनाडु के कूप गांव में हर साल तमिल वर्ष के प्रथम पूर्णिमा के दिन किन्नरों की शादी का उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव अठारह दिन तक बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

***

Back to top button