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जालंधर: बाबा फरीद कॉलेज ने बिहार के छात्रों को हॉस्टल से निकालने का फैसला वापस लिया

पाकिस्तान की जीत पर जालंधर में कश्मीरी छात्रों ने लगाए थे भारत विरोधी नारे ,बिहार के छात्रों ने किए तह विरोध

24 अक्टूबर को T20 वर्ल्ड कप मैच में भारत को पाकिस्तान ने हरा दिया था, जिसके बाद भारत के कई हिस्सों में छात्रों ने अलग-अलग जगह पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए थे और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी भी की थी।

क्या है पूरा मामला ?

पंजाब के जालंधर में बाबा फरीद कॉलेज में एक ऐसी ही भारत विरोधी घटना हुई जहां पर यह आरोप लगा कि कुछ कश्मीरी छात्रों ने भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की। पाकिस्तान की जीत और भारत की हार पर खुशी मनाने पर गुस्साए बिहार के कुछ देशभक्त छात्रों ने अपनी आक्रोश जताई,

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जिसके प्रतिक्रिया में कश्मीरी छात्रों ने होटल में तोड़फोड़ किया और मारपीट भी की। इस प्रकरण में कश्मीरी छात्रों पर कार्रवाई के बजाय बाद बाबा फरीद कॉलेज प्रशासन ने 30 अक्टूबर को एक नोटिस जारी कर बिहार के 4 छात्रों कार्तिकेय ओझा, आयुष कुमार तिवारी, उज्ज्वल पांडेय, आयूष कुमार जा

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यसवाल  को 24 घंटे के भीतर हॉस्टल खाली करने के आदेश दे दिए।

फैसला वापस लेने को क्यों मजबूर हुआ कॉलेज प्रशासन

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देशभक्त छात्रों को हॉस्टल से निकालने के आदेश का भाजपा ने पुरजोर विरोध किया। जिसके बाद कॉलेज प्रशासन ने जांच समिति गठित कर मामले की जांच कराई जिसका रिपोर्ट 1 नवंबर को जारी किया गया । रिपोर्ट में कॉलेज प्रशासन ने बताया कि सभी आरोपित छात्र बेगुनाह हैं और हम अपने हॉस्टल से निकालने के आदेश को वापस लेते हैं।

पूरे मामले में तफ्तीश के लिए जब बिहार के छात्रों से पूछताछ की गई तो जानकारी मिली  कि उस रात कुछ कश्मीरी छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की, जिसके विरोध में आवाज उठाने पर कश्मीरी छात्रों ने हॉस्टल में तोड़फोड़ और मारपीट की।

देशभक्त छात्रों का कहना है कि हमें कॉलेज प्रशासन से ये उम्मीद थी कि कॉलेज प्रशासन उन देशद्रोही छात्रों के विरुद्ध कार्रवाई करेगी लेकिन हुआ बिल्कुल इसके उलट। इस प्रकरण में कॉलेज प्रशासन ने उन्हें ही हॉस्टल से निलंबित कर दिया। वहीं इस मामले में कॉलेज प्रशासन का कहना था कि इस मामले का पाकिस्तान समर्थित नारेबाजी वाले प्रकरण से कुछ भी लेना देना नहीं है।

इस मामले में भाजपा की एंट्री हो गई और कपिल मिश्रा ने कॉलेज प्रशासन पर यहां तक आरोप लगा दिया कि कश्मीरी छात्रों पर कार्रवाई के बजाय देश हित में कार्य करने वाले छात्रों को निशाना बनाया जा रहा है। भाजपा के भारी विरोध और राजनीतिक दबाव के बाद बाबा फरीद ग्रुप ऑफ़ इंस्टीटूशंस को हॉस्टल खाली करने वाले आदेश को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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