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दिल्‍ली का बुराड़ी कांड जिसमे 11 लोगों ने एक साथ लगाई थी फांसी, अब जाकर सामने आया सच

जानिये क्यों एक ही परिवार के 11 लोगों ने एक साथ लगा ली थी फांसी

बुराड़ी कांड दिल्‍ली पुलिस के लिए सबसे बड़ी टेडी खीर साबित हुआ है. देश का एक ऐसा केस जिसमें किसी बात का लॉजिक समझ नहीं आ रहा था. इस कांड को लेकर काला जादू से लेकर टोने-टोटके को मर्डर मिस्‍ट्री की वजह तक बताया जाने लगे. अब आख़िरकार दिल्‍ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले को बंद कर दिया है. पुलिस ने इस मामले में अपनी क्‍लोजर रिपोर्ट दे दी है.

पुलिस ने कहा कि, इस मामले में किसी तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं मिले हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक मौतें किसी ‘स्‍यूसाइड पैक्‍ट’ का नतीजा है. मामले में पुलिस ने शुरुआत में हत्‍या का केस दर्ज किया था, मगर तीन साल तक लंबी जांच के बाद निष्‍कर्ष निकाला कि यह ‘स्‍यूसाइड पैक्‍ट’ का केस था. पुलिस ने 11 जून को ही क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी. अब अदालत इस मामले की सुनवाई नवंबर में करेगी.

क्या था बुराड़ी कांड

आपको बता दें कि 1 जुलाई 2018 की सुबह एक परिवार के 11 सदस्‍यों के शव बरामद किए गए थे. इसमें नारायण देवी का शव फर्श पर बरामद हुआ. वहीं बाकी सभी घर वालों के शव एक लोहे की ग्रिल से लटके मिले थे. सभी लोगों के हाथ-पैर बंधे हुए और आंखों पर पट्टी थी. नारायण देवी के अलावा मृतकों में उनके बेटे भवनेश चुंडावत और ललित चुंडावत, बेटी प्रतिभा, भवनेश की बीवी सविता और उनके बच्‍चे नीतू, मोनू और ध्रुव, ललित की पत्‍नी टीना और बेटा शिवम तथा प्रतिभा की बेटी प्रियंका शामिल थे.

इस वजह से पुलिस ने दिया ये नतीजा

burari murders

इस मामले में पुलिस को घर के अंदर से डायरी मिली जिसमें वह पूरी प्रक्रिया लिखी हुई थी जिसके तहत परिवार को फांसी लगानी थी. डायरी में जैसा लिखा गया था पुलिस को ठीक उसी तरह सभी शव मिले थे. अगस्‍त 2019 में, हैंडराइटिंग एनालिसिस ने पता लगाया था कि उस डायरी में घरवालों ने ही लिखा था. इसके साथ ही कई अन्य सबुत से भी यही जाहिर हुआ कि मौत एक ‘स्‍यूसाइड पैक्‍ट’ की वजह से थी.

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एक सूत्र ने मामले में बताया था कि, ‘परिवार के लोगों ने मोबाइल फोन साइलेंट कर दिए और फिर एक बैग में भरकर घर के मंदिर में रख दिए थे. डायरी से सामने आई जानकारी देख कर भी यही लग रहा था कि, वे कोई अनुष्‍ठान कर रहे थे. डायरी में ज्‍यादातर एंट्रीज प्रियंका और ललित द्वारा की गई थी. जिस दिन यह घटना हुई उस दिन उनके घर में भी कोई बाहर वाला नहीं गया था.

परिवार को मौत नहीं चमत्कार की उम्मीद थी

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साइकोलॉजिकल अटॉप्‍सी की माने तो इन 11 लोगों ने मौत के इरादे से ये कदम नहीं उठाया था. सभी लोगों ने अनुष्‍ठान पूरा होने पर सामान्‍य जिंदगी में लौटने की उम्‍मीद जताई थी. विसरा रिपोर्ट में भी जहर नहीं मिला था. परिवार की डायरी देखकर लगता है कि ललित को इस बात का पूरा यकीन था कि 2007 में गुजर चुके उसके पिता भोपाल सिंह उससे बात कर रहे थे और अनुष्ठान करने को कह रहे थे जिससे परिवार को फायदा होगा.

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