बॉलीवुड

जेठालाल का फिल्म अभिनेता संजीव कुमार से है बड़ा ही गहरा संबंध, जानिये क्या था रिश्ता

-जेठालाल ऐसे बने महान बॉलीवुड अभिनेता संजीव कुमार, बड़ी ही दिलचस्प है नाम बदलने की कहानी
-हरिहर जरीवाला कैसे बन गया सबसे बड़ा एक्टर संजीव कुमार, बड़ी ही दिलचस्प है नाम बदलने की कहानी

बॉलीवुड अभिनेता संजीव कुमार अपने समय के बड़े एक्टर्स में से एक थे. उनका जलवा एक तरफा हुआ करता था. मगर क्या आपको पता है उनका असली नाम संजीव कुमार नहीं बल्कि हरिहर जेठालाल जरीवाला था. वैसे तो संजीव कुमार खुद भी मानते थे कि उनका वास्तविक नाम अभिनेता होने के हिसाब से मेल नहीं खाता. लेकिन वह निर्देशक कमाल अमरोही ही थे जिन्होंने कुमार को सुझाव दिया कि पर्दे पर उनकी एक अलग और प्रभावशाली पहचान होनी चाहिये.

sanjeev kumar

अभिनेता-नाट्यकार हनीफ जावेरी और वकील सुमंत बत्रा दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके अभिनेता संजीव कुमार के जीवन पर आधारित एक पुस्तक लेकर आए हैं. इस किताब का शीर्षक ‘एन एक्टर्स एक्टर’ है. इस किताब में उन्होंने संजीव कुमार के बारे में और भी ऐसे ही कई दिलचस्प किस्से शेयर किये हैं.

अपने करियर के शुरुआती दौर में हरिहर जेठालाल जरीवाला नाम से पहचाने जाने वाले संजीव कुमार अक्सर कहा करते थे कि उनका नाम एक अभिनेता के लिए सही नहीं है. वह कई बार अपने दोस्तों के साथ उन संभावित नामों पर बातें करते थे जिन्हे वह रखना चाहते थे.

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उनके ऊपर लिखी गई इस पुस्तक में बताया गया है, ‘उन्होंने सोचने के बाद तय किया कि वह ‘एस’ अक्षर से शुरू होने वाला नाम अपने लिए रखेंगे क्योंकि उनकी मां (शांताबेन) का नाम भी इसी अक्षर से शुरू होता था. साथ ही उनका कहना था कि उनका नाम ‘कुमार’ शब्द पर खत्म होना चाहिये क्योंकि उस समय अधिकतर अभिनेताओं का उपनाम कुमार ही होता था.

इस वजह से ‘संजय कुमार’ नाम को कई लोगों ने सही बताया. उनकी दो फिल्मों ”रामत रामाडे राम” तथा ”आओ प्यार करें” में उनके किरदार का भी यही नाम रखा गया था.’

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बता दें कि, जब जरीवाला ”निशान” फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तब उनकी मुलाकात बहुमुखी प्रतिभा के लेखक-निर्माता-निर्देशक अमरोही से हुई थी. अमरोही ने पहली ही मुलाकात के बाद उन्हें अगले दिन दो नयी फिल्मों ”आखिरी दिन पहली रात” और ”शंकर हुसैन” (1977) पर बात करने के लिए फिल्मिस्तान स्टूडियो, गोरेगांव आने के लिए कहा.

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इस किताब में लिखा गया है कि, ”जब जरीवाला अमरोही से मिलने गए तो उन्हें उर्दू में कुछ कठिन शब्दों के साथ एक स्क्रीन टेस्ट देने के लिए कहा. जरीवाला ने अपनी कला को दिखाते हुए उन संवादों को चार अलग-अलग तरीकों से बोला. अमरोही हरिहर जरीवाला के आत्मविश्वास से प्रभावित हो गए. इसके बाद अमरोही ने सुझाव दिया कि हरि को अपनी उर्दू को सही करने के लिए उनके सहायक बाकर के साथ काम करना चाहिए.

अमरोही भी जरीवाला के नाम को लेकर चिंतन करने लगे

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वह अमरोही ही थे जिन्होंने उन्हें बताया कि उनका नाम एक अभिनेता के लिए पर्याप्त प्रभावशाली नहीं है और उन्होंने उनके स्क्रीन नाम को बदलने का फैसला कर लिया. इससे पहले ही जरीवाला की संजय कुमार नाम से दो फिल्में रिलीज हो गई थीं, फिर भी उन्होंने अमरोही को यह नहीं बताया कि वह पहले ही अपना नाम बदल चुके हैं.

हालांकि वह ‘आओ प्यार करें’ और ‘रामत रामाडे राम’ जोकि एक स्थानीय फिल्म थी में संजय कुमार नाम से काम क्र चुके थे. लिहाजा हरि ने एक और चांस लिया और संजय कुमार से अपना नाम बदल कर संजीव कुमार रख लिया. उसके बाद से ये नाम इतिहास बन गया.

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