अध्यात्म

इस बार 8 दिनों की है नवरात्रि, जानें कब मनाए अष्टमी और नवमी, ये है मुहूर्त और कन्या पूजन विधि

देश में नवरात्रि के पावन पर्व के साथ त्यौहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है. अब एक के बाद एक कई त्यौहार आने वाले हैं. नवरात्रि हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार हैं और इसकी शुरुआत 7 अक्टूबर से माता की स्थापना के साथ हो गई है. यूं तो शास्त्रों और धार्मिक मान्यता के मुताबिक़, पूरे 9 दिनों का ही महत्व रहता है हालांकि अष्टमी तिथि और नवमी तिथि के दौरान लोग माता का विशेष रूप से पूजन करते है.

अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन माता की विशेष रूप से पूजा की जाती है और माता को भोग लगाया जाता है. वहीं इस दिन कन्या भोज भी कराया जाता है. हालांकि हिंदू पंचांग में बताया गया है कि इस बार नवरात्रि का समापन 8 दिनों में ही हो रहा है. इसके हिसाब से अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं. कई लोगों के मन में ऐसे में सवाल पैदा हो रहे है कि अष्टमी कब मनाए और नवमी कब ? तो आइए आपको सब कुछ विस्तार से बताते है.

दुर्गा अष्टमी तिथि और पूजन का शुभ मुहूर्त…

– दुर्गा अष्टमा की पूजा: 13 अक्टूबर को होगी.

– नवरात्रि अष्टमी तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से.

– नवरात्रि अष्टमी तिथि समाप्त: 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट पर.

नवमी तिथि और पूजन का शुभ मुहूर्त…

– नवमी की पूजा: 14 अक्टूबर को होगी.

– नवमी तिथि आरंभ: 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से

– नवमी तिथि समापन्न: 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट पर.

कन्या पूजा विधि…

– कन्या पूजा के दौरान लोग अपने घरों पर छोटी-छोटी कन्याओं को माता के रूप में आमंत्रित करते है और उन्हें भोजन कराते है.

– बता दें कि कन्याओं को बुलाने पर भी कई नियम हैं. शास्त्र कहते है कि 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को इस दौरान भोजन कराया जाना चाहिए.

– जब आपके घर पर कन्याएं आ जाए तो सबसे पहले जल से उनके चरण धुलाए और फिर उन्हें घर में प्रवेश दें.

– घर में प्रवेश देने के बाद सभी को साफ़-स्वच्छ आसन पर बैठाए.

– अब माता के सामने दीपक लगाए और माता को तिलक करें. इसके बाद सभी कन्याओं को भी तिलक लगाए.

– तिलक के बाद सबसे पहले बने हुए भोजन का माता को भोग लगाए. माता को भोग लगाने के बाद उसे बच्चियों को परोसे.

– जब सभी कन्याओं का भोजन हो जाए तो घर के सभी लोग बच्चियों के चरण छूए और उनसे आशीर्वाद लें.

– अब आप अपनी श्रध्दा भक्ति के अनुसार कन्याओं को जो भी दक्षिणा देना चाहे दे सकते है. इसमें रूपये, फल, मिठाई, कपड़े आदि तोहफ़ा स्वरुप कुछ भी हो सकता हैं और बड़े प्यार से अंत में उन्हें विदा करें

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