अध्यात्म

इंदिरा एकादशी के व्रत से मिलती है पितरों को मुक्ति, जानिए इस व्रत की पूजा-विधि..

इंदिरा एकादशी व्रत , पितरों की मुक्ति के लिए अवश्य रखें उपवास। जानिए पूजन विधि...

हिंदू धर्म मान्यताओं और परंपराओं में विश्वास रखने वाला एक धर्म है। जिसमें कई त्योहार और व्रत वग़ैरह मनाएं जाते हैं। बता दें कि हिंदी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है और यह एकादशी पितृ पक्ष के दौरान होती है। इसलिए इंदिरा एकादशी व्रत का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है। वहीं गौरतलब हो कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जो व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है, उसके सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

vishnu and laxmi

साथ ही साथ पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन धर्मपरायण राजा इंद्रसेन ने पितर लोक में अपने पिता की मुक्ति हेतु व्रत और पूजन किया था। जिससे उन्हें बैकुण्ठ लोक की प्राप्ति हुई थी। तब से ही इंदिरा एकादशी के दिन पितरों की मुक्ति के लिए भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। जिन लोगों की कुण्डली में पितृदोष व्याप्त हो, उन्हें इंदिरा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। पंचांग के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 02 अक्टूबर, दिन शनिवार को रखा जाएगा। तो आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी के व्रत के बारे में और उसकी पूजन की विधि …

Indira Ekadashi 2021

व्रत की विधि…

बता दें कि इंदिरा एकादशी का व्रत पितृ पक्ष में रखा जाता है। यह व्रत मृत पूर्वजों, पितरों की मुक्ति के लिए होता है। इस लिए इंदिरा एकादशी व्रत का अन्य एकादशियों के व्रत में अलग स्थान है। एकादशी व्रत के नियमानुसार, यह व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है और व्रत का पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है।

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वहीं व्रत की विधि के अनुसार, व्रती को इंदिरा एकादशी व्रत के पहले की दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले भोजन कर लेना चाहिए। उसके बाद अगले दिन एकादशी को प्रातः काल सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के पूजा स्थल पर जाएं और वहां भगवान विष्णु को साक्षी मानकर व्रत का संकल्प लें। उसके बाद भगवान शालिग्राम का पूजन कर दिन भर फलाहार व्रत रखें। वहीं अगले दिन द्वादशी तिथि को जरूरतमंद गरीब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान देकर विदा करें। उसके पश्चात व्रत का पारण करें।

कैसे करें पूजन…

Indira Ekadashi 2021

मालूम रहें इंदिरा एकादशी के दिन शालिग्राम के पूजन का विधान है और इस दिन पूजन में सबसे पहले भगवान शालिग्राम को गंगा जल से स्नान करवा कर आसन पर स्थापित करें। इसके बाद उन्हें धूप, दीप, हल्दी,फल और फूल अर्पित करें। इसके बाद इंदिरा एकादशी व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए। पितरों की मुक्ति के लिए इस दिन पितृ सूक्त, गरूण पुराण या गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। पूजन का अंत भगवान की आरती करके किया जाता है।

Indira Ekadashi

यदि इस दिन श्राद्ध हो तो पितरों के निमत्त भोजन बना कर घर की दक्षिण दिशा में रखना चाहिए व गाय, कौए और कुत्ते को भी भोजन जरूर कराएं। ऐसा करने से पितरों को यमलोक में अधोगति से मुक्ति मिलती है।

इंदिरा एकादशी का महत्व…

Indira Ekadashi 2021

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत सभी घरों में करना चाहिए। जो भी व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है और उस व्रत पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है, तो इससे उसके पितरों को लाभ होता है। जो पितर यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं, उनको इंदिरा एकादशी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ऐसा करने से आपके पितर नरक लोक के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं और उनको श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। इससे प्रसन्न होकर पितर सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति आदि का आशीष देते हैं।

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