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16 साल पहले शहिद हुआ था जवान, अब बर्फ में मिली बॉडी, पहले कभी नहीं देखी होगी ऐसी शहादत

जब कोई सेना का जवान शहादत को प्राप्त होता है तो दुख होता है। खासकर उस सैनिक के परिवार के लिए ये दुख अहसहनीय होता है। ऐसे में परिवार सोचता है कि हम आखिरी बार अपने घर के चिराग के दर्शन कर ले। लेकिन यूपी में मुरादनगर के हिसाली गांव के एक परिवार को इसके लिए पूरे 16 साल इंतजार करना पड़ा। दरअसल उनके बेटे अमरीश त्यागी का शव 16 साल बाद बर्फ में दबा मिला।

अमरीश त्यागी 23 अक्टूबर, 2005 में सियाचीन से लौट रहे थे, तभी एक दुर्घटना के चलते वे उत्तराखंड की हरशील खाई में गिर गए थे। उनके साथ 3 और जवान भी शाहिद हुए थे जिनके शव तभी मिल गए थे, लेकिन अमरीश का कोई सुराग नहीं मिल पाया था। फिर लगभग 16 साल बाद दो दिन पहले बर्फ पिघलने के चलते एक शव देखा गया। शव के कपड़े और कुछ पेपरों के आधार पर उसकी पहचान अमरीश के रूप में की गई।

अमरीश का शव नहीं मिला तो परिवार ने कभी उनके मरने पर यकीन नहीं किया। वे हमेशा यही सोचते थे कि अमरीश जिंदा होगा और दुश्मन के चंगुल में फंस गया होगा। सेना के लोग और रिश्तेदार उनसे अक्सर कहते थे कि अब अमरीश नहीं है, लेकिन परिजन को उसके जिंदा होने की उम्मीद थी। यहां तक कि उन्होंने न तो पितृपक्ष में कभी श्राद्ध किया और न ही मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया।

अमरीश के बड़े बाई राम कुमार त्यागी बताते हैं हमने कभी अमरीश को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी थी। हमे लगा कि वह दुश्मन से जान बचाकर इधर उधर भाग रहा होगा। फिर 24 सितंबर की शाम दिल्ली सेना मुख्यालय से 3 अधिकारी आए और उन्होंने अमरीश के पार्थिव शरीर के उत्तराखंड में प्राप्त होने की सूचना दी।

अमरीश की मौत की खबर सुन परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। 2005 में सियाचिन पर झंडा फहरा चुके अमरीश 23 अक्टूबर, 2005 को हरशील क्षेत्र में एक हादसे के चलते 3 अन्य जवानों सहित खाई में गिर गए थे। तब बाकी जवानों का शव तो मिल गया था लेकिन अमरीश की कोई खबर नहीं थी।

अमरीश जब लापता हुए थे तब उनकी बीवी पेट से थी। उनकी मौत के 5 महीने बाद उन्होंने बेटी को जन्म दिया था। अमरीश ने 2005 में शादी रचाई थी। अमरीश का पार्थिव शरीर सोमवार तक आ सकता है, तब परिवार उनका अंतिम संस्कार करेगा। यह अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ होगा या नहीं इस पर एसडीएम मोदीनगर आदित्य प्रजापति का बयान आया है। उन्होंने कहा कि फिलहाल मेरे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है। यदि उनका पार्थिव शरीर यहां लाया जाता है तो उस स्थिति में सैनिक सम्मान के साथ ही उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कराया जाएगा।

अमरीश की मां की अपने बेटे के अंतिम दर्शन करने की बड़ी इच्छा थी। लेकिन पुत्र वियोग में चार साल पहले ही उनका देहांत हो गया था। यदि वह आज जिंदा होती तो बेटे अमरीश का आखिरी बार चेहरे देख लेती।

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