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10500 फीट की ऊंचाई पर स्थित गरतांग गली हुआ चालू, 17वीं सदी में चट्टान को काटकर बनाया था गली

उत्तराखंड में रोमांच के सफर के लिए चीन सीमा के पास स्थित गरतांग गली (Gartang street) को लगभग 59 साल बाद 18 अगस्त को पर्यटकों के लिए खोला गया था। हालांकि कुछ असमाजिक तत्वों ने इसे बदरंग करना शुरू कर दिया था। ये असमाजिक तत्व लकड़ी की रेलिंग पर अपने नाम कुरेदने लगे थे। इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ था।

लेकिन पर प्रशासन इस चीज को लेकर गंभीर हो गया है। उसने गरतांग गली पर अपना नाम कुरेदने वाले आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया। इस घटना के बाद गरतांग गली में सुरक्षाकर्मी भी तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही इस गली के दर्शन करने के लिए पर्यटकों से एक खास शुल्क भी वसूला जाएगा।

गरतांग गली उत्तरकाशी जनपद मुख्यालय से लगभग 85KM दूर स्थित है। कई सालों बाद जब इसे खोला गया था तो इसके रोमांच का आनंद लेने कई पर्यटक आने लगे थे। ये कुछ ही दिनों में पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन गई थी। यहां बीते 20 दिनों में 600 से अधिक पर्यटक आए थे। कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी गरतांग गली घूमने आए थे।

इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें असमाजिक तत्वों द्वारा नुकीली चीजों से लकड़ी के पुल पर अपना नाम कुरेद दिया गया था। इस प्राचीन धरोहर के साथ होने वाली छेड़छाड़ इसकी सुंदरता पर दाग लगा रही थी। इसके बाद वन विभाग अलर्ट हो गया और उन्होंने गरतांग गली में कुछ सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए ताकि कोई दोबारा इस धरोहर के साथ छेड़छाड़ न कर सके। इसके साथ ही फालतू लोगों को आने से रोकने के लिए प्रवेश शुल्क लेना स्टार्ट कर दिया गया। फिलहाल यह प्रवेश शुल्क 150 रुपए है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गरतांग गली समुद्रतल से 10500 फीट की ऊंचाई पर एक खड़ी चट्टान को काटकर बनाया गया एक सीढ़ीनुमा मार्ग है। ये 140 मीटर लंबी है। इसे 17वीं सदी में पेशावर से आए पठानों ने चट्टान को काटकर बनाया था। 1962 से पहले इस गली में भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियां संचालित होती थी। यहां दोरजी (तिब्बती व्यापारी) ऊन, चमड़े से बने वस्त्र व नमक लाते थे। वे सुमला, मंडी व नेलांग से गर्तांगली होते हुए उत्तरकाशी आते थे।

भारत-चीन युद्ध होने के बाद गरतांग गली से व्यापारिक आवाजाही बंद हो गई थी। लेकिन सेना का आना जाना जारी था।  हालांकि जब  भैरव घाटी से नेलांग तक सड़क बन गई तो सेना ने 1975 से गरतांग गली का उपयोग करण बंद कर दिया था। इस गली की देखरेख अच्छे से नहीं हुई तो इसकी सीढ़ि‍यां और किनारे पर लगी लकड़ियां जर्जर होती चली गई। हालांकि अब इसे फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है।

गंगोत्री नेशनल पार्क के वन क्षेत्राधिकारी प्रताप पंवार बताते हैं कि हमने स्टाफ के 2 गार्ड गेट पर और 2 गार्ड पुल पर तैनात किए हैं। इसके साथ ही प्रवेश शुल्क 150 रुपए रखा गया है। इस घटना (लड़की पर नाम कुरेदने वाला प्रकरण) के बाद सभी को जागरूक किया जा रहा है।

वैसे यदि आप भी उत्तराखंड की इस रोमांचक गली का आनंद लेना चाहते हैं तो एक बार यहां जरूर जाएं।

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